बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था। हर दिन वह अपने कंधे पर कुल्हाड़ी लेकर जंगल जाता, पेड़ काटता और लकड़ियाँ बेचकर अपना पेट पालता।
एक दिन वह हमेशा की तरह जंगल गया और पेड़ों को काटते-काटते एक नदी के किनारे पहुँचा। वहाँ एक बड़ा पेड़ दिखाई दिया, जिसकी लकड़ी बहुत मजबूत और कीमती थी। रामू ने पेड़ को काटने के लिए जैसे ही कुल्हाड़ी उठाई, उसका पैर फिसल गया और कुल्हाड़ी उसके हाथ से छूटकर सीधी नदी में गिर गई। नदी गहरी थी और तेज बहाव था। रामू बहुत परेशान हो गया क्योंकि वही कुल्हाड़ी उसका एकमात्र साधन था कमाने का।
रामू तट पर बैठकर रोने लगा और भगवान से प्रार्थना करने लगा, “हे भगवान! मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया। हमेशा ईमानदारी से काम किया है। मेरी मदद करो।”
उसकी प्रार्थना सुनकर नदी की देवी जलपरी प्रकट हुईं। उन्होंने रामू से पूछा, “हे लकड़हारे! तुम क्यों रो रहे हो?”
रामू ने पूरी घटना ईमानदारी से बता दी। जलपरी मुस्कुराई और नदी में डुबकी लगाई। थोड़ी देर बाद वह सोने की चमचमाती कुल्हाड़ी लेकर बाहर आईं और पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
रामू ने तुरंत कहा, “नहीं देवी, यह मेरी नहीं है।”
फिर जलपरी दोबारा नदी में गईं और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर लौटीं। “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” उन्होंने पूछा।
रामू ने फिर मना करते हुए कहा, “नहीं देवी, यह भी मेरी नहीं है।”
आखिर में जलपरी तीसरी बार नदी में गईं और एक पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आईं। रामू की आँखें खुशी से चमक उठीं। वह बोला, “हाँ देवी! यही मेरी कुल्हाड़ी है।”
जलपरी उसकी सच्चाई और ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने कहा, “तुम एक सच्चे और नेक इंसान हो। तुम्हारी ईमानदारी के लिए मैं तुम्हें इन तीनों कुल्हाड़ियों का उपहार देती हूँ।”
रामू ने धन्यवाद कहा और प्रसन्न होकर गाँव लौट आया। गाँव के लोग उसकी ईमानदारी और भगवान के इनाम को जानकर बहुत प्रेरित हुए।
💡 शिक्षा: ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है।
2. लालची कुत्ता
बहुत समय पहले की बात है। एक शहर में एक भूखा कुत्ता इधर-उधर खाने की तलाश में भटक रहा था। वह दिन भर कुछ खाने की तलाश करता रहा, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। थका-हारा वह एक कसाई की दुकान के पास पहुँचा, जहाँ उसे ज़मीन पर एक हड्डी पड़ी दिखाई दी।
हड्डी देखकर उसकी आँखों में चमक आ गई और वह खुशी से उस हड्डी को मुँह में दबाकर एक शांत जगह की ओर चल पड़ा, जहाँ वह आराम से बैठकर उसे चबा सके। चलते-चलते वह एक नाले के ऊपर बने लकड़ी के पुल पर पहुँचा। पुल पतला था और उसके नीचे पानी बह रहा था।
जैसे ही वह पुल के बीच में पहुँचा, उसने नीचे पानी में देखा। वहाँ उसे एक और कुत्ता दिखाई दिया, जिसके मुँह में भी हड्डी थी। लेकिन असल में वह उसकी अपनी ही परछाईं थी, जो पानी में प्रतिबिंबित हो रही थी।
उस लालची कुत्ते को लगा कि नीचे कोई दूसरा कुत्ता भी हड्डी लेकर जा रहा है। उसने सोचा, “अगर मैं इस कुत्ते की भी हड्डी ले लूं तो मेरे पास दो हड्डियाँ हो जाएंगी!” यह सोचकर उसने ज़ोर से भौंकने की कोशिश की।
लेकिन जैसे ही उसने मुँह खोला, उसके मुँह में दबाई हुई हड्डी पानी में गिर गई और बह गई। अब उसके पास न अपनी हड्डी रही, और न ही वह दूसरी हड्डी जो उसने सोची थी।
कुत्ता बहुत दुखी हुआ और पछताने लगा। उसने सोचा, “काश मैं लालच न करता, तो आज कम से कम एक हड्डी तो मेरे पास होती।”
वह खाली पेट और भारी मन से लौट गया।
💡 शिक्षा: लालच बुरी बला है। जो हमारे पास है, उसमें संतोष रखना चाहिए।
3. चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौवा
गर्मियों की एक सुबह थी। जंगल के पास बसे गाँव में एक घर की खिड़की से रसोई की रोटी उड़ाकर एक कौवा उड़ा। वह बहुत खुश था कि उसे स्वादिष्ट नाश्ता मिल गया है। रोटी चोंच में दबाकर वह पास के एक पेड़ की ऊँची डाल पर जा बैठा ताकि कोई और जानवर उसे छीन न सके।
पेड़ के नीचे, झाड़ियों में एक चालाक लोमड़ी घूम रही थी। उसकी नज़र ऊपर बैठे कौवे पर पड़ी और उसने देखा कि कौवे की चोंच में एक मोटी और गर्म रोटी है। उसकी भूख और तेज़ हो गई। लोमड़ी ने तुरंत एक योजना बनाई।
वह पेड़ के नीचे आकर मीठी आवाज़ में बोली, “अरे वाह! क्या शानदार रूप है आपका, हे कौवा महाराज! काले पंख, तीखी आँखें, और ऊँची उड़ान – आप तो सचमुच इस जंगल के राजा लगते हैं!”
कौवा ने गौरव से गर्दन उठाई। किसी ने पहली बार उसकी इतनी तारीफ की थी।
लोमड़ी ने आगे कहा, “लेकिन एक बात तो मुझे नहीं मालूम, वो ये कि आपकी आवाज कितनी मधुर होगी। क्या आप मुझे कोई प्यारा सा गाना सुनाएंगे?”
कौवा, जो बहुत ही गर्वित हो चुका था, लोमड़ी की तारीफों में इतना डूब गया कि उसने तुरंत गाने के लिए मुँह खोला। जैसे ही उसने मुँह खोला, रोटी उसकी चोंच से नीचे गिर पड़ी – सीधा लोमड़ी के मुँह के पास।
लोमड़ी ने रोटी लपक ली और हँसते हुए बोली, “धन्यवाद, कौवा महाराज! आज आपने न सिर्फ गाना सुनाया, बल्कि मुझे नाश्ता भी दे दिया। अगली बार थोड़ी समझदारी भी साथ रखना।”
कौवा शर्म से सिर झुकाकर बैठा रह गया, और उसे अपनी मूर्खता पर बहुत पछतावा हुआ।
💡 शिक्षा: झूठी तारीफों में कभी न आएं। हमेशा समझदारी से काम लें।
4. बुरी संगत का असर
एक बार की बात है, एक गाँव में हरि नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था। उसके बगीचे में कई आम के पेड़ थे, जिनसे हर साल मीठे और रसीले आमों की अच्छी फसल होती थी। जब आम पक जाते, तो हरि उन्हें एक-एक करके तोड़ता और साफ करके टोकरी में भरकर बाजार में बेचता।
एक दिन वह ताज़े आमों से भरी एक बड़ी टोकरी लेकर बाजार जाने की तैयारी कर रहा था। वह हर आम को ध्यान से देख-परख कर टोकरी में रख रहा था। तभी एक आम उस पर ध्यान दिए बिना टोकरी में चला गया जो बाहर से तो सामान्य दिखता था, लेकिन अंदर से हल्का सड़ा हुआ था।
हरि को जल्दी थी, इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया और उस एक सड़े आम के साथ बाकी आमों की टोकरी बंद करके बाजार ले गया।
बाजार पहुँचने में उसे लगभग दो घंटे लग गए। जब उसने ग्राहकों के सामने टोकरी खोली, तो उसके आश्चर्य की कोई सीमा न रही। उसमें रखे अधिकांश आम अब पहले जैसे ताज़ा नहीं दिख रहे थे। कुछ में काले धब्बे पड़ चुके थे और कुछ में हल्की सड़न आ चुकी थी। वो एक आम, जो अंदर से सड़ा हुआ था, उसने धीरे-धीरे पूरे टोकरी के आमों को खराब करना शुरू कर दिया था।
हरि को बहुत अफसोस हुआ। उसने सोचा, “काश मैंने समय निकाल कर एक-एक आम को ध्यान से देख लिया होता, तो बाकी आम बच जाते।” उस दिन उसे बहुत नुकसान हुआ। वह खाली हाथ घर लौट आया।
उसकी यह कहानी गाँव के बच्चों में बहुत मशहूर हो गई। गाँव के बुज़ुर्ग इस घटना को उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करते थे जब भी वे बच्चों को समझाते कि बुरी संगत कैसे अच्छे लोगों को भी प्रभावित कर सकती है।
💡 शिक्षा: एक सड़ा आम पूरे टोकरी को खराब कर सकता है, वैसे ही एक बुरी संगत अच्छे व्यक्ति के चरित्र को भी बिगाड़ सकती है। इसलिए सोच-समझकर संगति करें।
5. दो मित्र और भालू
बहुत समय पहले की बात है। दो मित्र – अजय और विजय – एक छोटे से गाँव में रहते थे। वे दोनों बचपन से ही एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। साथ खेलते, साथ खाते, और एक-दूसरे की हर बात में भरोसा करते थे। एक दिन उन्होंने तय किया कि चलो जंगल की सैर पर चलते हैं। दोनों को घूमने का बहुत शौक था और वे प्रकृति को नजदीक से देखना चाहते थे।
चलते-चलते वे गहरे जंगल में पहुँच गए। वहाँ चारों ओर ऊँचे पेड़, पक्षियों की आवाजें और घना सन्नाटा था। वे आपस में बातें कर रहे थे, तभी अचानक झाड़ियों में कुछ हलचल हुई। जब उन्होंने ध्यान से देखा तो पाया कि एक बड़ा और खतरनाक भालू उनकी ओर आ रहा है।
अजय को बहुत डर लगा। उसने बिना कुछ सोचे-समझे तुरंत पास के एक पेड़ पर चढ़ना शुरू कर दिया। वह जानता था कि भालू पेड़ पर नहीं चढ़ पाते। जल्दी-जल्दी वह ऊपर चढ़ गया और सुरक्षित हो गया।
लेकिन विजय पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था। वह घबरा गया। उसकी आँखों के सामने उसकी मौत खड़ी थी। लेकिन उसने सुना था कि भालू मरे हुए इंसान को नहीं छूता। वह तुरंत ज़मीन पर लेट गया और साँस रोककर बिलकुल चुपचाप मरने का नाटक करने लगा।
भालू धीरे-धीरे उसके पास आया। उसने विजय के शरीर को सूँघा, उसके कानों के पास अपनी भारी साँसें छोड़ीं, और फिर यह समझकर कि वह मर चुका है, चुपचाप वहाँ से चला गया।
भालू के जाते ही अजय पेड़ से नीचे उतरा। उसने विजय से मज़ाक में पूछा, “भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?”
विजय ने गुस्से और दुःख के साथ जवाब दिया, “भालू ने कहा कि जो दोस्त मुसीबत में साथ न दे, उससे दूर रहना चाहिए।“
अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सिर्फ खुद को बचाया और अपने मित्र को अकेला छोड़ दिया, जो कि एक सच्चे दोस्त की पहचान नहीं थी।
💡 नैतिक शिक्षा (Moral Stories):
सच्चा मित्र वही होता है जो मुसीबत में आपका साथ न छोड़े। कठिन समय में जो आपके साथ खड़ा रहे, वही असली दोस्त कहलाता है।
6. 🌾 मेहनत का फल: Small Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में हरिदास नाम का एक वृद्ध किसान रहता था। वह बहुत मेहनती, अनुशासित और जमीन से जुड़ा हुआ व्यक्ति था। उसके पास कुछ एकड़ उपजाऊ ज़मीन थी, जिस पर वह सालों से खेती करता आया था।
हरिदास का एक बेटा था – अर्जुन। लेकिन अर्जुन अपने पिता के बिल्कुल उलट था – आलसी, कामचोर और केवल आराम पसंद करने वाला। उसे खेत में काम करने से नफरत थी। वह दिन भर घर में बैठा रहता, खेलता, और समय बर्बाद करता।
हरिदास अब बूढ़ा हो चला था और उसे अपनी सेहत को लेकर चिंता रहने लगी। वह जानता था कि अब ज्यादा दिन वह खेती नहीं कर पाएगा। पर वह इस बात को लेकर भी दुखी था कि उसके बाद ज़मीन का क्या होगा, क्योंकि उसका बेटा खेती में बिल्कुल रुचि नहीं लेता।
एक दिन जब हरिदास बहुत बीमार पड़ गया और उसे लगा कि अब उसके जीवन के दिन गिनती के रह गए हैं, तो उसने अर्जुन को अपने पास बुलाया और कहा:
“बेटा, मैं अब ज्यादा दिन जीवित नहीं रहूंगा। लेकिन सुन, मैंने अपने खेत में कहीं खजाना दबा रखा है। अगर तू उसे ढूंढ ले, तो तेरा जीवन संवर जाएगा।”
अर्जुन की आँखों में चमक आ गई। वह तुरंत ही लालच में आ गया और अगले ही दिन खेत में खुदाई शुरू कर दी। वह सुबह से शाम तक खुदाई करता रहा – एक गड्ढा, फिर दूसरा, फिर तीसरा… लेकिन उसे कोई खजाना नहीं मिला।
यह सिलसिला कई दिनों तक चला। अर्जुन ने खेत का एक-एक कोना खोद डाला। खुदाई करते हुए वह मिट्टी हटा रहा था, झाड़ियाँ काट रहा था, और गहराई तक ज़मीन को उलट-पलट रहा था।
कुछ दिन बाद खेत की मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी और तैयार हो चुकी थी – बिल्कुल खेती के लिए उपयुक्त।
अब जब अर्जुन को खजाना नहीं मिला, तो उसने सोचा,
“इतनी मेहनत की है तो बीज बो ही देता हूँ। देखते हैं क्या होता है।”
उसने बीज बोए, पानी डाला, समय पर देखभाल की। कुछ ही हफ्तों में खेत हरे-भरे हो गए। जब फसल तैयार हुई, तो वह इतनी शानदार और उपजाऊ थी कि अर्जुन खुद हैरान रह गया।
अर्जुन अब समझ चुका था कि पिता ने जो खजाने की बात कही थी, वह असल में मेहनत से पैदा होने वाला फल था। खेत में कोई सोने-चांदी का खजाना नहीं था, बल्कि मेहनत का खजाना था – जो सचमुच जीवन बदल सकता था।
उस दिन के बाद अर्जुन ने कभी आलसीपन नहीं किया और एक मेहनती किसान बन गया।
💡 शिक्षा (Moral Stories):
“मेहनत ही सच्चा खजाना है। अगर हम सच्चे मन से परिश्रम करें, तो उसका फल हमें ज़रूर मिलता है।”
7. 🐜🕊️ चींटी और कबूतर: Life Lessons
एक बार की बात है, गर्मियों का मौसम था। धूप बहुत तेज़ थी और ज़मीन जल रही थी। जंगल के किनारे एक पेड़ के नीचे एक छोटी सी चींटी अपने लिए पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी।
चलते-चलते वह एक नदी के किनारे पहुँची। वहाँ पानी देखकर वह बहुत खुश हुई। लेकिन जैसे ही वह पानी पीने के लिए एक पत्थर पर चढ़ी, उसका संतुलन बिगड़ गया और वह पानी में गिर गई। नदी का बहाव तेज़ था और चींटी बहुत छोटी थी। वह डूबने लगी। वह मदद के लिए तड़प रही थी, लेकिन आसपास कोई नहीं था।
पेड़ पर बैठा एक कबूतर यह सब देख रहा था। वह बहुत दयालु था। जैसे ही उसे चींटी की परेशानी दिखी, वह तुरंत एक पत्ता तोड़कर उड़ता हुआ नीचे आया और पत्ते को चींटी के पास गिरा दिया। चींटी ने मुश्किल से उस पत्ते को पकड़ लिया और धीरे-धीरे तैरते हुए किनारे पर पहुँच गई।
वह कबूतर की इस मदद को कभी नहीं भूली। उसने मन ही मन तय किया कि जब भी मौका मिलेगा, वह कबूतर का किसी न किसी तरह से धन्यवाद ज़रूर करेगी।
कुछ दिनों बाद की बात है। वही कबूतर एक दिन पेड़ की डाल पर बैठा विश्राम कर रहा था। तभी वहाँ एक शिकारी आया। शिकारी ने कबूतर को देखा और धीरे से धनुष-बाण तान लिया। वह कबूतर को मारने ही वाला था कि उसी समय नीचे ज़मीन पर मौजूद वही चींटी, जिसने कबूतर की मदद को याद रखा था, चुपचाप जाकर शिकारी के पैर में ज़ोर से काट लिया।
शिकारी दर्द से तड़प उठा और उसका निशाना चूक गया। आवाज़ सुनकर कबूतर सतर्क हो गया और तुरंत उड़कर दूसरी डाल पर चला गया।
कबूतर जान गया कि यह उसी चींटी ने किया है जिसकी उसने कभी मदद की थी। वह ऊपर आसमान से मुस्कराया और मन ही मन धन्यवाद कहा।
💡 शिक्षा (Moral of the Story):
“जो उपकार करे, उसका उपकार करना हमारा कर्तव्य है।” “एक छोटी सी मदद भी किसी की जान बचा सकती है।”
8. 🦁🐭 शेर और चूहा
बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक शेर राजा की तरह शासन करता था। वह ताकतवर था, और सभी जानवर उससे डरते थे। जंगल के बीचों-बीच एक बड़ा पेड़ था, जिसकी छाँव में शेर अक्सर दोपहर को आराम करता था।
एक दिन, शेर गहरी नींद में था। उसी समय एक छोटा सा चूहा मस्ती में दौड़ता हुआ शेर के ऊपर चढ़ गया। वह उछल-कूद करता रहा, जिससे शेर की नींद खुल गई। शेर को गुस्सा आ गया। उसने चूहे को अपने पंजे में कसकर पकड़ लिया।
शेर ने दहाड़ते हुए कहा,
“तू इतना साहसी कैसे हुआ कि मुझ पर चढ़ा? अब मैं तुझे खा जाऊँगा!”
चूहा डर से काँपने लगा, लेकिन उसने हिम्मत करते हुए कहा:
“हे जंगल के राजा, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मैं बहुत छोटा और निर्बल हूँ, लेकिन हो सकता है कि एक दिन मैं आपकी मदद कर सकूँ!”
शेर को चूहे की बात सुनकर हँसी आ गई। वह सोचने लगा कि इतना छोटा प्राणी भला मेरी क्या मदद करेगा? लेकिन शेर उदार था, उसने चूहे को छोड़ दिया और कहा:
“जा, तेरी जान बख्श दी।”
चूहा ख़ुशी-ख़ुशी अपने बिल में लौट गया।
कुछ हफ्ते बीत गए।
एक दिन शेर जंगल में घूम रहा था, तभी वह शिकारियों द्वारा बिछाए गए मजबूत जाल में फँस गया। वह जितना ज़ोर लगाता, उतना ही उलझ जाता। शेर जोर-जोर से दहाड़ने लगा। उसकी आवाज़ जंगल में दूर तक गूँजी।
पास ही कहीं वह चूहा भी अपने बिल में था। जब उसने शेर की आवाज़ सुनी, तो वह तुरंत दौड़कर आया और देखा कि शेर जाल में फँसा है।
चूहा घबराया नहीं। उसने तुरंत अपने तेज़ दाँतों से जाल को कुतरना शुरू किया। थोड़ी ही देर में वह जाल में एक बड़ा छेद कर चुका था, और शेर आज़ाद हो गया।
शेर को यकीन नहीं हो रहा था कि वही छोटा सा चूहा, जिसे उसने कभी मज़ाक में छोड़ा था, आज उसकी जान बचा रहा है।
शेर ने भावुक होकर कहा,
“तुमने सच कहा था, दोस्त! मदद करने वाला छोटा हो या बड़ा, मूल्य हमेशा बड़ा होता है।”
दोनों अच्छे मित्र बन गए और हमेशा के लिए एक-दूसरे के साथ हो गए।
💡 शिक्षा (Moral):
“कभी भी किसी को छोटा या कमजोर मत समझो। हर किसी में कुछ न कुछ विशेषता होती है।” “नेकी कभी बेकार नहीं जाती।”
9. ⏳ समय का महत्व
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम राहुल था। राहुल बहुत होशियार और प्रतिभाशाली था, लेकिन उसकी एक बड़ी कमी थी – वह समय की कद्र नहीं करता था। उसे हमेशा लगता था कि उसके पास समय बहुत है, इसलिए वह अपने काम टालता रहता था।
राहुल के पिता, जो एक बूढ़े और समझदार आदमी थे, रोज़ उसे समझाने की कोशिश करते, “बेटा, समय बहुत कीमती है। इसे कभी व्यर्थ मत जाने देना।”
लेकिन राहुल उसकी बातों को नजरअंदाज करता। वह पढ़ाई में ध्यान नहीं देता, खेल-कूद में ज्यादा समय बिताता और अपने कामों को हमेशा कल पर टालता रहता।
एक दिन पिता ने राहुल को एक प्याला दिया और कहा, “बेटा, इस प्याले में पानी भर कर लाओ, लेकिन ध्यान रखना कि पानी कहीं से भी गिरा नहीं।”
राहुल ने प्याला लेकर बाहर जाना शुरू किया। रास्ते में वह दोस्तों से मिला, खेला, हँसा, और प्याला झुक गया। पानी गिरने लगा, लेकिन राहुल ने ज्यादा परवाह नहीं की।
फिर पिता ने कहा, “अब इस पानी को लेकर नदी तक जाओ और वापस आओ।”
राहुल ने उत्साह से प्याला उठाया और चला। लेकिन जब वह नदी के पास पहुँचा, तो प्याला भारी हो गया और झुककर पानी गिरने लगा। उसे बहुत मेहनत करनी पड़ी कि पानी गिरने न पाए।
जब वह घर वापस आया, तो पिता ने कहा, “देखो बेटा, यह पानी तुम्हारे जीवन में समय की तरह है। अगर इसे सही तरीके से संभालो, तो यह पूरी तरह बना रहता है। लेकिन थोड़ी सी लापरवाही से सब कुछ बर्बाद हो सकता है।”
राहुल को पिता की बात समझ में आ गई। उसने वादा किया कि अब वह समय की कद्र करेगा और अपने कार्यों में पूरी लगन लगाएगा।
कुछ महीनों बाद, राहुल ने मेहनत से पढ़ाई की और स्कूल में अव्वल आया। उसने समय का महत्व समझ लिया था और सफल हो गया।
💡 शिक्षा (Small Story in Hindi):
“समय की कद्र करो, क्योंकि समय एक बार चला जाए तो लौटकर नहीं आता।” “जो लोग समय का सही उपयोग करते हैं, वही जीवन में सफलता पाते हैं।”
10. 🐘🐜 घमंडी हाथी और चींटी
एक बार की बात है, घने जंगल में एक बहुत बड़ा और ताकतवर हाथी रहता था। वह जंगल के सभी जानवरों से बहुत बड़ा और मजबूत था, इसलिए वह अपने आप को सबका राजा समझने लगा था।
वह हमेशा दूसरों का मज़ाक उड़ाता, अपने बड़े-बड़े पैरों से ज़मीन पर ज़ोर-ज़ोर से कदम रखता और कहता, “मैं ही जंगल का सबसे बड़ा और सबसे ताकतवर जीव हूँ, तुम सब मेरे सामने कुछ नहीं हो।”
जंगल के छोटे-छोटे जानवर उससे डरते थे, लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह हाथी को उसकी बातों पर कुछ कह सके। पर जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी, जो न सिर्फ बहुत चालाक थी, बल्कि निडर भी थी।
एक दिन हाथी नदी के पास जा रहा था। वह ज़ोर से कदम रख रहा था कि अचानक उसका पैर फिसला और वह गहरे कीचड़ में फंस गया। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन खुद को बाहर निकाल नहीं पाया।
उसी समय वह छोटी सी चींटी वहाँ आई। उसने देखा कि हाथी परेशान है। उसने सोचा, “मैं अपनी ताकत से तो हाथी के बड़े पाँव नहीं हिला सकती, पर कुछ तो करना होगा।”
चींटी ने तुरंत अपने बहुत सारे दोस्तों को बुलाया। बहुत सारी चींटियाँ आईं और हाथी के पैरों के चारों ओर की मिट्टी और कीचड़ को काटने लगीं। वे कूदती-कूदती मिट्टी को दूर करने लगीं।
थोड़ी ही देर में, इतने सारे चींटों की मेहनत से हाथी की टांग कीचड़ से बाहर आ गई।
हाथी खुश हुआ और उसने अपनी गलती समझी। उसने चींटी से कहा, “मुझे माफ़ कर दो। मैं कभी भी किसी का मज़ाक नहीं उड़ाऊँगा और न ही घमंड करूँगा। तुमने मेरी जान बचाई।”
उस दिन से हाथी ने घमंड छोड़ दिया और सबके साथ मिल-जुलकर रहने लगा।
💡 शिक्षा (Life Lessons):
“घमंड करना अच्छा नहीं होता, क्योंकि एक छोटी सी मदद भी बड़े से बड़े को बचा सकती है।” “छोटे का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि हर कोई किसी न किसी काम आता है।”