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Best Moral Stories In Hindi For Class 5

भगत धन्ना जाट – Best Moral Stories In Hindi For Class 5

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – पंजाब के एक गाँव में एक जाट रहता था। उसके लड़के का नाम था धनीराम, परंतु गाँव वाले उसे ‘धन्ना’ नाम से पुकारने लगे। जब धन्ना बारह साल का हुआ, तब उसके पिता स्वर्ग पधार गये। माता के साथ वह घर में अकेला रह गया।

एक दिन शामको कोई राहगीर पण्डित धन्नाकी चौपालमें ठहर गया। प्रातः उसने स्नान किया और शालग्रामका पूजन किया। प्रसाद चढ़ाया। जब धन्नाको भी प्रसाद दिया, तब वह बोला-‘पिंडीजी मराज! अपने ठाकुरजी मुझे दिये जाओ।’

‘क्यों?’ आश्चर्यके साथ पण्डितने प्रश्न किया।

‘आपकी तरह मैं भी पूजा किया करूँगा।’ बालक बोला।

‘अभी तुम बहुत छोटे हो ।’

‘छोटे लड़कोंकी पूजा क्या ठाकुरजी मंजूर नहीं करते?” ‘नहीं, यह बात तो नहीं है। ध्रुव-प्रह्लाद भी लड़के थे, उनकी पूजा ठाकुरजीने खूब मंजूर की थी।’

‘तब मुझे ठाकुरजी दिये जाओ नहीं तो आपको जाने नहीं दूँगा।’

बालक धन्नाने हठ पकड़ लिया। फिर बाल हठ तो प्रसिद्ध है।

पण्डितजी – Best Moral Stories In Hindi For Class 5

पण्डितजी ने विचार किया कि लड़का हठ नहीं छोड़ेगा। उधर अपने ठाकुरजीको वे दे नहीं सकते थे। कुछ सोच-विचार झोलेसे एक लंबा ‘भँगघुटना’ निकाला जो काले पत्थरका बना हुआ था। सोचा कि यही

देकर बला टालनी चाहिये। भंग घोटनेके लिये हम कहींसे दूसरा ‘भँग घुटना’ दो-चार आनेमें खरीद लेंगे।

नहीं मानते हो तो लो। कहकर पण्डितजीने वह काला भँगघुटना धनाको पकड़ा दिया। धन्ना बहुत खुश! बोला-‘मेरे ठाकुरजी तुम्हारे ठाकुरजीसे बहुत बड़े हैं।’ ‘हाँ-बड़े ठाकुरजी बड़ा फायदा पहुँचाते हैं । ‘

‘इनकी पूजा कैसे करूँगा।’

स्नान करके इनको भी स्नान कराना। पाँच फूल चढ़ाना। जब रोटी खाओ, तब थाली इनके सामने रखकर कहना – ‘भगवान्! भोग लगाओ।’ उसके बाद तुम भोजन करना । लड़केको झाँसा देकर पण्डितजी चले गये।

जब दोपहरी हुई, तब धन्नाने खेतपरसे लौटकर स्नान किया। ठाकुरजीको उसने अपने कोठेके एक आलेमें रख दिया था— उनको भी स्नान कराया। पाँच फूल वह खेतोंपरसे ले आया था तबतक माताने उसे आवाज दी और थाली में दो बाजरेके टिक्कर रख दिये। धन्ना थाली लेकर कोठरीमें पहुँचा।

धन्ना – Best Moral Stories In Hindi For Class 5

उसने उस भँगघुटनाके सामने थाली रख दी। एक लोटा भरकर पानी रख दिया और कहा- ‘भगवान्! भोग लगाओ।’ थोड़ी-थोड़ी देर बाद वह उठकर देखता कि थोड़ी-बहुत रोटी कम हुई या नहीं। मगर रोटी कम होनेका कारण तो कोई था नहीं। जब भगवान्ने धन्ना की बाजरेकी डबलरोटी (पनपथ) नहीं चखी, तब धन्ना आ गया जाटपनेपर! धन्ना बोला—’ जबतक तुम रोटी थोड़ी-बहुत न निगलोगे, तबतक मैं भी कुछ नहीं खाऊँगा।

‘ उस दिन वह निराहार रहा! दूसरे दिन भी रोटी लाया, परंतु भँगघुटनेने रोटी नहीं खायी। धन्नाने भी नहीं खायी। इस प्रकार सात दिन गुजर गये। वह रोटी शामको धन्ना अपनी भैंसको खिला देता था। माता जानती थी कि कोठरीमें बैठकर वह रोटी खा लेता है। आठवें दिन ज्यों ही थाली आयी, त्यों ही विष्णु भगवान् एक

बालकका रूप बनाकर प्रकट हो गये। उन्होंने देखा कि धन्ना प्राण छोड़ देगा, परंतु हठ नहीं छोड़ेगा। ‘वाह भगवान्, वाह! पण्डितजीकी जुदाईका इतना सदमा गुजरा कि सात दिन कौर नहीं तोड़ा’ धन्नाने कहा।

‘नहीं धन्ना, मेरे सिरमें दर्द था।’ कहकर भगवान् बाजरेके एक टिक्कड़से जुट गये । भगवान् का स्वभाव है कि वे मूर्खपर प्रसन्न रहते हैं और पढ़े लिखेसे साढ़े तीन कोस दूर इसका कारण यह नहीं कि भगवान् भी मूर्ख हैं।

बात यह है कि शिक्षित लोगोंके सिरपर तीन भूत सवार हो जाते हैं-(१) शंका, (२) तर्क और (३) आलोचना। वे तीनों भूत (१) भक्ति, (२) ज्ञान और (३) निश्चयको समीप नहीं आने देते।

उधर भगवान् रहते हैं-‘दृढ़ विश्वास’ के मन्दिरमें तर्क और विश्वासमें वही सम्बन्ध है, जो केलेके वृक्षमें और बबूल के पेड़में। यानी ‘वे रस डोलें आपने उनके फाटत अंग ।’

भगवान्ने – Best Moral Stories In Hindi For Class 5

जब भगवान्ने एक रोटी उड़ा दी, तब धन्ना बोला- ‘बस-बस बस! एक रोटी मेरे लिये भी तो छोड़ो ! मेरी माता इतनी गरीब है कि वह मुझे दो रोटीसे ज्यादा नहीं दे सकती।’ इतना कहकर मासूम लड़केने थाली अपनी तरफ खिसका ली। पढ़े

लिखे लोग न तो ‘मासूम’ बन सकते हैं और न भगवान्‌को पा सकते हैं। भगवान् बैठे थे- धन्ना रोटी खा रहा था। पानी पीकर धन्नाने कहा- ‘अब क्यों बैठे हो ! जाते क्यों नहीं? कल फिर इसी समय रोटी मिलेगी।’

‘मैं तुमपर बहुत खुश हूँ-धन्ना ! कुछ माँगो!’ क्योंकि भगवान् ‘मासूमियत’ पर आशिक हो जाते हैं। सरलताके सागरमें ही भगवान् शयन करते हैं।

कुछ सोच-समझकर धन्नाने कहा- ‘मैं अभी लड़का हूँ। खेती के कामके लिये एक ऐसा नौकर दीजिये कि जो रोटी खाने के अलावा कुछ तनख्वाह न माँगे।’ ‘ऐसा नौकर तो मैं ही हो सकता हूँ।’ मनमें भगवान्ने सोचा एक दिन राजा दशरथने भगवान् से कहा था- ‘मुझे आप-सा एक पुत्र चाहिये!’ भगवान्ने सोचा- मुझ सा पुत्र तो मैं ही हूँ।’

धन्ना जाट –

आज धन्ना जाटने भगवान् से कहा- ‘बिना तनख्वाहका नौकर चाहिये!’ भगवान्ने सोचा- ‘मैं ही ऐसा स्वयंसेवक हूँ।” धन्ना रास्ता देखता था कि भगवान् क्या उत्तर देते हैं। और भगवान् माँगनेवालेके सामने ‘तथास्तु’ कहनेके अलावा अगर कुछ मीन मेष निकालने लगें तो भगवान् कैसे? सर्वशक्तिमान् कैसे? वे बोले-‘कल नौकर आ जायगा !’

यह कहकर वह अन्तर्हित हो गये।

पाँच साल बाद वही पण्डितजी फिर धन्नाकी चौपालमें रातको ठहर गये। वे अपनी यजमानीमें घूमा करते थे। प्रातः पण्डितजीने देखा कि वही लड़का घरमेंसे निकला, जिसे

वे भगघुटना थमा गये थे। अब वह सत्रह वर्षका नवयुवक था।

धन्नाने भी पण्डितजीको देखा। वह लपककर पण्डितजीके चरणोंमें दण्डवत् हो गया। बोला- ‘वाह गुरुजी ! पाँच साल बाद दर्शन दिये?’

हाथ पकड़कर पण्डितजीने सामने बैठा दिया बोले- कहो बच्चा, मौजमें रहे?’

‘खूब गुरुजी-बड़ी मौज है! आप जब पहले आये थे, तब हम गरीब थे। आपको एक मुट्ठी चावल न दे सकते थे केवल एक बार चार रोटियाँ बनती थीं। दो मेरे लिये दो माताके लिये।’

“और अब?”

‘वह सामनेवाली तीन मंजिला कोठी मेरी है। कोठीके सामने

पक्का तालाब देखते हो, जिसमें कमलका वन खड़ा लहराता है। तालाब उत्तरी किनारेपर मन्दिर है। उसीमें वे भगवान् बैठे हैं जो आप मुझे दे गये थे।’

‘तो यह सब हुआ कैसे?””

पण्डितजी – Best Moral Stories In Hindi For Class 5

‘रुपया, पैसा, अनाज, पानी, दूध, दहीकी नदियाँ बह रही हैं।”

‘आखिर कैसे?”

‘उस समय पाँच बीघा बंजर जमीन थी। अब पचास बीघा दुमट

और कछियाना जमीनका मालिक हूँ!’ ‘मगर यह सब हुआ कैसे?”

करती है!’

‘पाँच भैंसें, ११६ गायें। १ घोड़ी थानपर बँधी पिछाड़ी पटका ‘आखिर यह छप्पर फटा कैसे?”

लेता ?”

आपकी कृपासे गुरुदेव !’ कहकर धन्नाने चरण पकड़ लिये। ‘अगर मेरे पास कृपा होती तो मैं अपने ही ऊपर न कृपा कर ‘आपने जो ठाकुरजी दिये थे न! उन्होंने मेरी डूबती नैया किनारेसे

लगा दी। ‘

‘कैसे क्या हुआ? सब सही-सही समाचार सुना जाओ।’ ‘आप जो ठाकुरजी दे गये थे, वे सात दिन आपकी जुदाईमें इतने ‘गमगीन’ रहे कि एक ‘लुकमा’ भी न तोड़ा। मैंने भी कुछ न खाया। खाता कैसे? आपने कहा था कि ‘भगवान्‌को खिलाकर खाना!’

‘हाँ – वह भी भगवान्की ही एक मूर्ति थी! मैंने पहचाना नहीं।’ पण्डितजीका तर्क हवा खाने चला गया। विश्वासका समीर शरीरमें आ लगा।

” तो गुरुजी – आठवें दिन भगवान् आये। एक ‘पनपथ’ खा गये। न जाने कितने दिनोंके भूखे थे वे ! मैं रोक न देता तो दूसरा टिक्कड़

भी बचता नहीं।”

‘क्या सचमुच कोई आया था रे?’ पण्डितका गला शंकासुरने आ दबाया। आया था? वह कहीं गये नहीं!’

‘कहाँ हैं?’

‘खेतोंपर काम करते हैं!’

‘काम करते हैं?’

‘नौकर बनकर – भगवना नाम है !’

‘भगवना? नौकर? क्या भाँग पीकर बैठा है?’

‘गुरुजी ! तुमको दिनमें भी नहीं सूझता है क्या? उसी भगवनाने पाँच सालमें मुझे राजा बना दिया है!’

‘कहींसे धन लाकर दे दिया था?’

‘नहीं जी-खेतीकी विद्यामें वह मिडिल पास है। अब जान लिया कि पृथ्वी ही सोना उगलती है!’ ‘अच्छा तो मुझे भी दिखलाओ। आज मैं कहीं न जाऊँगा। तुम्हारे

भगवनाको देखूँगा !’ पण्डितजीने आसन बाँध लिया था, उसे खोल डाला।

‘क्यों रे धन्ना ! तू मखौल तो नहीं कर रहा है?’ पण्डितजी बोले। शंका, तर्क और आलोचनाके तीनों भूत पण्डितजीसे चिपक गये! ‘आप नहीं मानते हैं तो चले जाओ कूएँपर वह चरसा चला

रहा होगा।’ धन्नाने कहा।

नंगे पैर पण्डितजी भागे। गाँवके बाहर जाकर देखा कि ‘कुऍपर

‘पुर’ जरूर चल रहा है; परंतु न तो कोई बैलोंको हाँक रहा है और

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – न कोई पानी भरा चरसा थाम रहा है। दिखलायी कोई न पड़ा। मगर

काम दोनों हो रहे हैं। मानो दो अदृश्य व्यक्ति अपने-अपने काममें तन्मय हैं! बड़ी देरतक अलग खड़े-खड़े पण्डितजी अपने तीनों भूतोंसे पूछते रहे कि कौन-से साइंससे यह सम्भव है? वापस लौटकर पण्डितजीने धन्नासे कहा-‘ -‘कुएँपर कोई आदमी

नहीं है!’

‘तो वह कोल्हूके लिये झाँकर इकट्ठे करने जंगल गया होगा।’

‘क्या रसवाला कोल्हू?”

a devotee - Best Moral Stories In Hindi For Class 5
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‘हाँ गुरुजी! वहाँ जाइये। खूब तनकर रस पीजिये। गरमागरम मिठाई इतनी अच्छी लगती है कि शहरकी बरफी क्या चीज? कोल्हूयात पूछना कि भगवना कहाँ है?”

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – खोजते खोजते पण्डितजी जंगलमें गये। देखा कि उड़-उड़कर झाँखर अपने-आप एक जगह जमा हुए और फिर वे अपने-आप कोल्हूकी

तरफ उड़ चले।

पण्डितजीने अपने तीनों भूतोंसे पूछा—’यह घटना कौन-से साईससे सम्भव हो सकती है!’

वापस आकर पण्डितजीने धन्नासे कहा- ‘वह न तो कोल्हूपर है।

और न जंगलमें है!’

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – ‘तो जरूर हल चला रहा होगा। गाँवके दक्षिणमें १०० कदमके फासलेपर एक खेत गेहूँके लिये तैयार हो रहा है। वहीं चले जाइये।’ पण्डितजी खेतपर दौड़े गये। देखा कि हल जरूर चल रहा है, मगर हलवाहा कहीं कोई दिखलायी नहीं पड़ता।

घबराकर पण्डितजीके तीनों भूत भाग गये।

‘वापस आकर पण्डितजीने धन्नाके चरण पकड़ लिये!’

‘अरे गुरूजी! यह क्या करते हो?’ धन्ना बोला।

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – ‘मैं गुरू नहीं हूँ- गोरू हूँ। गुरु तो तुम हो धन्ना भगत, जिसकी चाकरी भगवान् अनेक रूप धारण करके कर रहे हैं। जिसकी खेती में इस प्रकारका तूफानी काम होगा, वह पाँच सालमें अवश्य राजा हो जायगा और दस सालमें तो महाराजा बन जायगा। मुझे भी भगवान्के दर्शन करा दो-धन्ना!’

‘तो क्या आपको आजतक भगवान्‌का दर्शन हुआ ही नहीं ?”

‘नहीं भगतजी! सात जन्ममें भी नहीं हुआ!’

‘तो क्या आप भोग नहीं लगाते थे?’

‘भोग तो लगाता था पर वे खाते-पीते कुछ न थे।’

‘जबतक वे न खाते-आप भी न खाते।’ ‘यही तत्त्व तो इस खोपड़ीमें नहीं उतरा था- भगतजी!’

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – “वह रातको दस बजे खेतीपरसे यहाँ आता है। दो रोटी खाकर सी जाता है। सुबह चार बजे फिर ‘हार’ में पहुँच जाता है। मैं आज तुम्हारी बात कहूंगा।” गुरु गुड़ ही रहे, चेला शकर हो गया था। “जरूर दर्शन देनेकी प्रार्थना करना!’ पण्डितजीने कहा ।

‘भगवान्! आज मेरे गुरुजी आये हैं।’ धन्नाने रातमें कहा। ‘हूँ!’ भगवान्ने लापरवाहीसे कहा ।

‘वे तुम्हारा दर्शन करना चाहते हैं।’

‘उसे दर्शन नहीं हो सकते!’

‘कब दर्शन दोगे उनको?”

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – ‘कभी नहीं!’

‘क्यों?’

‘क्योंकि वह विद्वान् है ।’ ‘तुम विद्वान्पर नाराज रहते हो?’

‘विद्वान्‌को देखकर मेरा दो तोला खून सूख जाता है।’

“क्यों?”

‘अगर-मगर-लेकिनके मारे !’

‘अगर उसने भी रोटी खाना छोड़ दिया तो ?’

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – भगवान् हँसे। कहने लगे- ‘उसका नाम कालीचरन पण्डित है। उसका नाम धन्ना जाट नहीं है!’

‘तो क्या पढ़-लिखकर आदमी पागल हो जाता है?” ‘ऐसा पागल, जो अपनेको पागल नहीं समझता ! लाइलाज पागल

हो जाता है।’

‘अच्छा हुआ कि मैंने कभी मदरसेका मुँह नहीं देखा !’ ‘मदरसाका मुँह देखते तो मेरा मुँह न देखते!’

‘अगर तुम उसे दर्शन न दोगे तो मैं भोजन करना छोड़ दूँगा।’ ‘क्यों?’

‘गुरु होकर मेरे चरण पकड़ लिये और दर्शन पानेके लिये बार बार आग्रह किया। मेरा वचन खाली जायगा !’

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – ‘तुम्हारी खुशीके लिये-एक सेकंडके लिये दर्शन दूँगा। परंतु बात नहीं करूँगा। कह देना- कल आधी रातको दर्शन होगा।’ प्रातः धन्नाने पण्डितजीसे कह दिया कि आधी रातको आज भगवान्

दर्शन देंगे।

पण्डितजी आधी राततक बैठे रहे। जाड़ेके दिन थे। एक कमरे में द्वार बंद करके – पण्डितजी कम्बल ओढ़े बैठे थे। आधी रात हुई। पण्डितजीने देखा – गदा, पद्म, शंख, चक्र धारण किये चतुर्भुज विष्णुभगवान् सामने खड़े हैं।

Best Moral Stories In Hindi For Class 5 – पण्डितजीने हाथ जोड़ प्रणाम किया।

सिर उठाया तो भगवान् अन्तर्हित हो चुके थे।

प्रातः काल हुआ, धन्ना घरसे बाहर आया। धन्ना गुरुजीके चरण पकड़ रहा था और गुरुजी चेलेके चरण पकड़नेकी धुनमें थे !

बोलो भगवान् और उनके भगतकी जय!

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