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Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi For Class 10

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी मैं आशा करता हूँ की आप सभी अच्छे होंगे मैंने आप लोगो के लिए एक पोस्ट लिखा है प्यारा पोस्ट है मैं आशा करता हूँ की आपलोगो को यह पोस्ट बहुत ही ज्यादा पसंद आएगा तो अगर ये पोस्ट आपको पसंद आये तो इस पोस्ट पर कमेंट करें और अपनी राय दें |

प्रत्येक भक्त का महत्त्व पृथक् है – Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi

Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi – एक दिन महात्मा जी फिर उसी धनीराम किसान के द्वार होकर निकले। वह अपनी एक बछिया के गले में एक घंटी बाँध रहा था। उसने बाबाजी को सादर बैठाया। महात्मा जी ने विधाता और भगवान् विष्णु जी की बातचीत उसको कह सुनायी। किसान बोला- ‘मैंने तो पहले ही कहा था।’

‘भादों के दिन थे। मचान पर बैठा हुआ धनीराम अपने मक्की के खेत की रखवाली कर रहा था। तब तक एक साधु ने आकर कहा- तुम मुझे मीठे पूए खिलाओ तो तुम जो माँगो सो पाओगे!’ धनीराम हँसा । ‘मेरी माँग जब देवता नहीं पूरी कर सके, तब ये कैसे पूरी करेंगे?’ धनीराम ने कहा- ‘इस मचान पर आकर विराजमान होइये। मैं घर पर जाकर अभी पूए कराये लाता हूँ। माँगना मुझे आपसे कुछ भी नहीं है।’

बाबा जी मचान पर बैठ गये और धनीराम आध घंटे में थाली भर गरम-गरम पूए करा लाया। जब बाबा जी भोजन कर चुके, तब उन्होंने झोली में से थोड़ी-सी राख निकाली और उसे बायीं हथेली पर रखकर दाहिने हाथ के अँगूठे और पास की अँगुली से एक चुटकी भरी और बोले-‘जल्दी माँगो, तुम क्या चाहते हो?”

किसान – Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi

Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi – पुत्र के सिवा मुझे कुछ नहीं चाहिये। बाबा ने चुटकी खोल दी फक्से राख ऊपर को उड़ गयी। बाबा ‘बोले- ‘एक’। दूसरी चुटकी भरकर खोली। फक्से वह राख भी ऊपर को उड़ गयी। बाबा बोले- ‘दो’। फिर तीसरी चुटकी वैसे ही उड़ायी, उन्होंने कहा- ‘तीन’ पर चौथी चुटकी भरकर खोली तो राख नीचे गिर पड़ी। बाबा ने कहा—बस। और तुरंत मचान से कूदकर किसी तरफ राह पकड़ी!

एक दिन महात्मा नारद जी फिर उसी किसान की चौपाल से होकर निकले। देखा कि धनीराम तीन बच्चों को खिला रहा है। महात्माजी का माथा ठनका! समझा-किसी पड़ोसी के बच्चे होंगे। धनीराम ने उनको सादर बैठाया और जलपान कराया। महात्माजी के पूछने पर किसान ने कहा कि बाबा गरीब दास के आशीर्वाद से ये तीन बच्चे तीन साल में पैदा हुए हैं। नारदजी सन्न रह गये । वहाँ से उठकर उन्होंने सीधे विष्णु लोक का रास्ता लिया। भगवान् के सामने जाकर अपनी वीणा पटक दी।

भगवान् – Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi

Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi – कहिये महात्मन्! आज आप क्रोधित-से क्यों हैं? नारद- आपने तो कहा था कि धनीराम को सात जन्म पुत्र न होगा? भगवान् कहा तो था ।

नारद – फिर उसे इसी जन्म में तीन पुत्र कैसे मिल गये? भगवान् -वे मैंने नहीं दिये हैं। भक्त गरीबदास ने दिये हैं! नारद – हूँ ! भक्त गरीबदास नारद से भी बढ़कर भक्त हो गया? आपने मेरा अनुरोध न माना और उसका मान लिया !

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Narad Ji

भगवान् — आपको तो मैं अपना ही एक स्वरूप मानता हूँ और गरीबदास को अपना भक्त मानता हूँ। मेरी इच्छा चाहे रह जाये पर भक्त की इच्छा मुझे पूरी करनी ही पड़ती है।

नारद – इसी समय मेरे साथ चलकर भक्त गरीबदास की भक्ति की परीक्षा लीजिये। मैं भी तो जानूँ कि वह कितना गहरा भक्त है। भगवान् – प्रत्येक भक्त की भक्ति का मोल पृथक् पृथक् होता है।

नारद – Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi

Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi – वही तो मैं जानना चाहता हूँ कि उसकी भक्ति का मोल मेरी भक्ति से कैसे ज्यादा माना गया?

जमालपुर के जंगल में गरीबदास की कुटी थी। किसानों ने मिट्टी के द्वारा एक कोठरी बना दी थी और पत्थरों से छत पाट दी थी। कुटी में किवाड़ न थे। उस समय कुटी में लकड़ी और कंडी भी न थी। एक अहीरनी आज बाबाजी को एक सेर घी दे गयी। उसने मनौती मानी थी कि मेरी भैंस जब बच्चा देगी तो पहले पहल का एक सेर घी बाबाजी को दूँगी।

विष्णु जी के हुक्म – Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi

Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi – हाँड़ी में वही घी रखा था और धूनी में दो पतली लकड़ियाँ जल रही थीं। बरसात के दिन थे और बादलों की सेना लिये हुए राजा इन्द्र देख रहे थे कि कहाँ पर पानी बरसाना मुनासिब है। थोड़ी देर में बिजली चमकी और मूसलधार पानी बरसने लगा। यह पानी भगवान् विष्णु जी के हुक्म से बरस रहा था; क्योंकि भक्त गरीबदास की परीक्षा लेनी थी।

पानी से तर और थर-थर काँपते हुए महात्मा ने आकर गरीबदास से कहा-‘देखो, मेरा नाम नारद है। भगवान् विष्णु और मैं दोनों कहीं जा रहे थे कि घनघोर बरसात शुरू हो गयी। हम दोनों भीग गये और जाड़े से काँप रहे हैं। तुम जल्दी आग जलाओ। मैं अभी भगवान्‌ को लेकर आता हूँ।’ नारद ने वही किया, जो भगवान्ने उनको सिखाकर भेजा था। थोड़ी देर बाद भगवान् और नारद जी दोनों गरीबदास की कुटी के द्वार पर जा पहुँचे।

वहाँ का हाल देखकर नारद जी के होश उड़ गये। देखा कि लकड़ी न होने के कारण गरीबदास ने सारा घी अपने शरीर में लपेट लिया और आग लगा दी। नारद जी ने देखा कि गरीबदास का शरीर जल रहा है और भगवान् खड़े-खड़े ताप रहे हैं।

नारदजी – Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi

Best Small Short Stories With Moral Values In Hindi – नारदजी ने सजल नयन होकर कहा- ‘अब अपनी लीला बंद कीजिये। प्रभो! मुझे मालूम हो गया कि गरीबदास की भक्ति का कितना मूल्य है!’

भगवान्ने भक्त के ऊपर हाथ फेरा। आग बुझ गयी। वर्षा भी बंद हो गयी। गरीबदास के झुलसे हुए अंग भगवान्‌ के अमृतमय हाथों के स्पर्श पुनः स्वस्थ हो गये, मानो कुछ भी न हुआ था। नारदजी और भगवान् वहाँ से अन्तर्धान हो गये। गरीबदास अपनी परीक्षा में पास हो गये। सच है-भक्त-भक्त का दरजा अलग है।

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