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Moral Stories In Hindi For Class 10 | Moral Stories In Hindi For Class 9 | Moral Stories In Hindi

अच्छे कार्य (Good Work)

Moral Stories In Hindi For Class 10 – बच्चों ! हमारा जीवन अच्छे कामों से चलता है। इतना ही नहीं, भले बनने और भले कामों से भगवान प्रसन्न होते हैं। माता-पिता और शिक्षक हमारी प्रशंसा करते हैं और हम पर कृपा रखते हैं। हम अच्छे बनते हैं तो हमें सुख मिलता है।

हमारे निम्नलिखित अच्छे काम हो सकते हैं :-

  • Moral Stories In Hindi For Class 10 – कक्षा में यदि किसी संगी-साथी की पेंसिल या पेन खो जाए और उसकी हानि होती हो सो तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम अपनी दूसरी पेंसिल या पेन उसे लिखने के लिए दे दो। उसकी कमजोरी देखकर हँसी मत बनाओ।
  • यदि कोई संगी-साथी किसी कारणवश पिछले दिन अनुपस्थित रहा हो और वह तुमसे पिछली पढ़ाई तथा होमवर्क के बारे में पूछता हो तो तुम्हें उसकी सहायता करनी चाहिए।
  • तुम्हारे बड़ों में कोई अंधा, लूला, बीमार या दुःखी व्यक्ति हो और वह तुमसे काम करने योग्य काम के विषय में कहे तो तुम्हें वह कार्य अवश्य करना चाहिए।
  • यदि किसी निर्धन लड़के के पास पुस्तक न हो और वह पुस्तक तुम्हारे पास पिछली कक्षा की बेकार पड़ी हो तो उसे दे देना चाहिए।
  • कक्षा के बाहर खाने-पीने की वस्तुएँ अपने मित्रों को बाँटकर खानी चाहिए। अकेले खाने से आत्मा संतुष्ट नहीं होती और मन की खुशी नहीं मिलती है।
  • Moral Stories In Hindi For Class 10 – सड़क पर यदि कोई ख़ुदा व्यक्ति चल रहा हो तो उसे किनारे ले जाकर सड़क पार कर देनी चाहिए।
  • हमें एक-दूसरे से बार-बार काम पड़ता है। इसलिए जहाँ तक हो सके सबकी सहायता करनी चाहिए।
  • किसी भी निर्धन, अपंग, कमजोर संगी-साथी या व्यक्ति से घृणा नहीं करनी चाहिए । जब सच्चे प्रेम की कमी होती है तो घृणा उत्पन्न होती है। घृणा से मन में बुराई उत्पन्न होती है । बुराई से झगड़ा हो जाता है झगड़ा अशान्ति को बढ़ाता है। इसलिए सबसे प्रेम का व्यवहार करो।
  • किसी से कहा मत बोलो प्रतिहिंसा की भावना को त्याग दो |
  • ईर्ष्या, घमंड और दिखावा इन तीनों से दूर रहो। ईर्ष्या के कारण शांति भंग होती है। उसके कारण मनुष्य सुखी आदमी को देखकर जलता है। उसे हानि पहुँचाने के बारे में सोचता है। घमंड आदमी को नीचा और दुष्ट बनाता है। दिखावे के लिए मनुष्य झूठी शान बघारता है। बनावटी चरित्र आदमी को समय पर छोटा बनाता है। इसलिए हर समय सीधी और सच्ची बातें करो।
  • Moral Stories In Hindi For Class 10 – कभी किसी पर क्रोध मत करो क्रोध से ईर्ष्या, निर्दयता उतावलापन, उपद्रव आदि। उत्पन्न होते हैं। बुद्धि काम करना छोड़ देती है और आदमी बुरे मार्ग की ओर बढ़ जाता है। क्रोध की पहचान है जल-भुन जाना, आवेश में आना, उत्पात करना, चिढ़ जाना, दिमाग का गरम हो जाना आदि।
  • अधिक मत बोलो और न किसी की बात में सँग उड़ाओ अधिक बोलने वाले व्यक्ति की बातों को लोग सुनना छोड़ देते हैं। व्यर्थ में बोलने वाले के सामने लोग मुँह फेर लेते हैं।
  • छोटी-मोटी बीमारी की ओर विशेष ध्यान नहीं देना चाहिए। प्रकृति ऐसे रोग को स्वयं ठीक कर देती है।
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सच्चाई का परिणाम (Result of Truthness)

Moral Stories In Hindi For Class 10 – प्राचीन काल में एक महर्षि थे जिनका नाम उद्दालक था। इनके नचिकेता नाम का एक आज्ञाकारी पुत्र था ईश्वर ने नचिकेता को ज्ञानवान बनाया था। एक बार महर्षि उद्दालक ने एक | बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उस यज्ञ में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी ।

यज्ञ समाप्त होने के बाद यज्ञकर्ता को दक्षिणा देने का समय आया। यज्ञ के समय महर्षि उद्दालक को कुछ वस्तुएँ मिली थीं। उनमें कुछ कमजोर और बीमार गायें भी थीं। कुछ ऐसी भी थीं जो मुश्किल से चल पाती थीं ।

महर्षि के पास इन गायों के अतिरिक्त और कुछ भी शेष नहीं था क्योंकि सारी सम्पत्ति उन्होंने यज्ञ में दान कर दी थी। इसलिए विवश होकर वह उन्हीं गायों को दक्षिणा में देना चाहते थे । नचिकेता को जब यह पता चला कि उसके पिता अपाहिज गायों को दक्षिणा में दे रहे हैं, तब

वह अपने पिता के पास पहुँचा । उसने अपने पिता से कहा- “पिताजी ! आप महान ज्ञानी हैं । आपके लिए यह शोभा नहीं देता कि आप अपाहिज गायों को दक्षिणा में दें। मैंने सुना है कि ऐसी चीजों का दान करना महापाप है।” महर्षि उद्दालक ने कोई उत्तर नहीं दिया । तब नचिकेता पुनः बोला- “पिताजी ! मैं भी तो दिकी संपत्ति हूँ। मुझको आप किसे दान में दे रहे हैं ?”

यह सुनकर महर्षि को नचिकेता पर क्रोध आ गया । वह बोले-“मैं तुझे यमराज को देता |

नचिकेता ने हाथ जोड़कर अपने पिता से यमराज के पास जाने की आज्ञा माँगी महर्षि उद्दालक ने आवेश में आकर यमराज को देने की बात कह दी थी, परन्तु जब नचिकेता ने आज्ञा माँगी तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। वे पछताते हुए कहने लगे- “यह मैंने क्या कर दिया।”

फिर वह नचिकेता को समझाने लगे, परन्तु नचिकेता अपने पिता की आज्ञा पर अटल रहा । अन्त में नचिकेता पिता की आज्ञा लेकर यमराज के दरबार में पहुँचा । द्वारपाल ने बताया कि यमराज कहीं गए हुए हैं। यह वहीं बैठ गया ।

Moral Stories In Hindi For Class 10 – तीसरे दिन यमराज वापस आए। यमराज ने जब नचिकेता को देखा तो वह बहुत दुःखी हुए। कहने लगे ” हे ऋषिकुमार तुम यहाँ पर बिना बुलाए कैसे आए हो ?

नचिकेता ने यमराज को शुरू से अन्त तक का सारा हाल कह सुनाया। फिर कहा ‘पिताजी की आज्ञा मानना मेरा धर्म है, इसलिए मैं आपके दरबार में आया हूँ।” यमराज ने कहा- “नचिकेता ! मैं उन लोगों को अपने यहाँ कैसे रख सकता हूँ जिनकी

संसार में रहने की अवधि पूरी नहीं हुई है। इसलिए तुम अपने घर लौट जाओ ।”

नचिकेता ने कहा-“महाराज! मैं अब नहीं लौट सकता ।”

यमराज ने नचिकेता को वर देने का लालच दिया। उससे कहा-“तुम तीन वर माँग सकते हो।”

नचिकेता बोला “पहला वर तो यह देने की कृपा करें कि जब मैं अपने पिता के पास वापस जाऊँ तो वे मेरे अपराध को क्षमा कर दें और मुझे अपने पास रख लें। दूसरा वर यह कि मैं.. यह ज्ञान प्राप्त कर लूँ कि मृत्युलोक से स्वर्गलोक कैसे प्राप्त किया जाता है।”

यमराज ने पहले तो इस भेद को बताने से इन्कार किया किन्तु जब नचिकेता ने याद दिलाया कि यमराज उसे वचन दे चुके हैं, तो उन्होंने नचिकेता को यह भेद बता दिया। अंत में नचिकेता ने तीसरा वरदान मांगा-“महाराज इस सृष्टि की सच्चाई का ज्ञान देने की कृपा करें।”

Moral Stories In Hindi For Class 10 – यमराज को अपने वरदान की लाज रखते हुए सब सच्चाई बतानी पड़ी। तीनों वरदान पाकर नचिकेता अपने पिता के पास आया। उसने यमराज की बातें को बताई ।

पिता ने नचिकेता को प्रेमपूर्वक गले से लगा लिया।

बच्चो ! सच हर समय सच रहता है और झूठ आदमी को पाप करने पर विवश कर देता है । अन्त में सच की जीत होती है और पापी को पछताना पड़ता है।

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