Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 | Best Short Stories In Hindi | Short Moral Stories In Hindi

बरगद का वृक्ष (कहानी)

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – प्रस्तुत पाठ में एक लड़का बरगद के पेड़ के नीचे आराम करने के लिए बैठता है और उसी पेड़ पर तिरस्कार की हंसी हँसता है। किंतु बरगद उसे समझाता है कि स्वयं पर घमंड करना अच्छी बात नहीं होती; हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। और एक-दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं। प्रकृति में सभी का अपना-अपना योगदान होता है।

बहुत समय पहले की बात है। धरती पर चारों और पेड़-पौधों के झुरमुट वन, पशु-पक्षी थे। मानव नाम का प्राणी भी था।

हाँ, एक विचित्र बात थी। उस समय सभी प्राणी, यहाँ तक कि पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सब एक-दूसरे की भाषा समझते थे। परस्पर बातचीत भी करते थे। एक छोटे से गाँव के बाहर हरे-भरे मैदान थे। बरगद का एक बहुत विशाल वृक्ष था उसका लंबा, मोटा लना था। उसके पत्ते घने थे। शाखाएँ चारों ओर फैली थीं।

लगता था कि वह वृक्ष वहाँ बहुत वर्षों से खड़ा था। मैदान में कुछ गड़रिये अपनी भेड़-बकरियां चराने आते थे। उनमें से एक लड़का अपनी बकरियों के साथ वहाँ आया करता था। गरमी के दिन थे। बकरियों के साथ इधर-उधर घूमते हुए वह गड़रिया लड़का थककर पस्त हो गया था। कुछ देर आराम करने के लिए वह बरगद के उसी वृक्ष के नीचे आ बैठा।

बरगद के नीचे छाया थी। हवा भी शोतल थी। हवा के हलके-हलके झोके लड़के को थपथपाने लगे पेड़

के तने से लगा लड़का वहाँ लेट गया। तभी उसको दृष्टि पेड़ पर लगे छोटे-छोटे फूलों और फलों पर गई।

लड़के के पास पहले एक ही बकरी थी पर धीरे-धीरे उसने अपनी होशियारी से बकरियों के झुंड को काफी बड़ा कर लिया था। यह अपने आपको बड़ा समझने लगा था। बरगद के फूल और फलों को देखकर वह तिरस्कार की हंसी हंसा। वह बोला- “वाह रे विशाल पेड़ ! बस

खुद ही बड़े हुए, अपने फूलों और फलों को तो देखो! हा-हा-हा! हा-हा-हा!” बरगद ने सब सुना परंतु बोला कुछ नहीं। तभी हवा चलने लगी। पत्तों से सर सर की हलकी ध्वनि निकली जैसे वे कोई लोरी गा रहे हों। लड़के की शीघ्र ही आँख लग गई। तभी एक-दो फल उसके मुँह पर आ गिरे वह हड़बड़ाकर उठ बैठा। उसने ऊपर देखा। उसे किसी के हँसने की आवाज़ सुनाई दी। उसे थोड़ा क्रोध आया, वह बोला- “एक तो मेरी नींद खराब कर दी, ऊपर से हँस रहा है।”

वृक्ष ने भारी आवाज़ में पूछा- “क्यों, चोट लगी क्या? छोटा-सा तो फल था। इतने में ही घबरा गए। अब सोचो, यदि मेरे पेड़ पर तरबूज जितना फल होता तो!”

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2
Bargad Ka Ped – Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – वृक्ष फिर बोला- “मित्र! किसी को छोटा या कम समझना बुद्धिमानी की बात नहीं है। यह तो घमंडी होना है। और घमंड करना तो किसी के लिए भी उचित नहीं अब देखो, मैंने अपनी छाया देकर तुम्हें धूप-ताप से बचाया। मेरे तने ने तुम्हें सहारा दिया। मेरी पत्तियों से छनकर हवा शीतल हुई। तुम्हें सुख मिला और तुम सो गए। चिड़ियाँ मुझ पर बसेरा करती हैं और मेरे छोटे-छोटे मीठे फल खाती हैं। देखो तो

प्रकृति कितने सुंदर ढंग से अपना काम करती है।”

लड़के ने कहा- “मुझसे गलती हो गई, बरगद दादा! मैंने इस तरह तो सोचा ही न था। मुझे अपने बारे में कुछ और बताइए।”

बरगद बोला- “पहली बात तो यह कि प्रकृति से दोस्ती करो। हम सब एक दूसरे से कुछ-न-कुछ लेते हैं। मेरे फल चिड़ियों का भोजन हैं। मेरी शाखाओं पर उनके घोंसले हैं। चिड़ियाँ सारा दिन घूम घूमकर अपने बच्चों के लिए छोटे-छोटे कीड़े और इल्लियाँ ढूँढती हैं। इल्लियाँ मेरे पत्ते खाती हैं, चिड़ियाँ उन्हें खाकर मेरी मदद करती हैं। वे घास पत्ते खानेवाले कीड़ों से पास पत्तों की रक्षा करती हैं। तुम्हारी भेड़ें वह घास खाती हैं।”

“बरगद दादा, चुप क्यों हो गए! कुछ और भी कहो।” लड़के ने कहा । “ठीक है! मेरे आस-पास कई पत्तियाँ सड़ रही हैं। केंचुए इन सड़ी पत्तियों को खाने के लिए ज़मीन के नीचे से निकलते हैं। इससे मिट्टी को हवा मिलती है और पेड़ों की जड़ों को शक्ति मिलती है। तुम मेरी बात समझ गए होगे। इस तरह हम सब एक-दूसरे पर निर्भर हैं। हम एक-दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकते।”

“मुझे क्षमा कीजिए बरगद दादा, मुझे इन सबका ज्ञान न था। मैं आपसे कुछ और जानना चाहता हूँ।” “अरे! अभी तो अपनी भेड़-बकरियों को देखो, भागी जा रही हैं उधर!” बरगद हँसते-हँसते बोला।

लड़का अपनी बकरियों को पकड़ने के लिए भाग रहा था। यह सोच रहा था कि आज मैंने कितना कुछ सीखा! हाँ, प्रकृति में सब कुछ उपयोगी है जब हम सब एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते, तो बड़े होने का घमंड क्यों?

चतुर टॉम (कहानी)

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – प्रस्तुत कहानी में पॉली मौसी टॉम की शरारती हरकतों से परेशान होकर उसे चहारदीवारी पर सफेदी करने का काम सौंप देती है। किंतु चतुर टॉम अपने मित्रों को अपनी बालों से सुमाकर उनसे पूरी दीवार पर सफ़ेदी करवा लेता है।

एक था— टॉम। छोटा-सा, लेकिन बड़ा ही नटखट और बहादुर बच्चा। वह अपनी बूढ़ी पॉली मौसी के पास रहता था। पॉली मौसी उसकी शरारतों से कभी-कभी तंग आ जाती थीं।

लेकिन टॉम को चतुराई देखकर उनके होठों पर भी मुसकान आ जाती थी। पर एक दिन पॉली मौसी का धैर्य जवाब दे गया। टॉम की शैतानी देखकर उन्होंने उसे सजा सुना दी। उसे घर की बड़ी-सी चहारदीवारी पर सफेदी करने का जिम्मा सौंपा गया।

शनिवार का दिन था। हर तरफ़ गुनगुनी धूप की मुसकान बिखरी थी। टॉम हाथ में सफ़ेदी की बालटी और

ब्रश लिए हुए चहारदीवारी की पुताई के लिए निकला हुआ था। उसने सोचा- ‘आज का दिन इतना अच्छा है। क्या मैं, बस, सारे दिन पुताई करते हुए ही इसे ऊंगा? आखिर कुछ-न-कुछ तो करना ही पड़ेगा।’ तभी घर का नौकर जिम हाथ में बालटी लिए हुए पानी भरने के लिए वहाँ से निकला।

टॉम ने उसे प्यार से बुलाकर कहा, “सुनो जिम, अगर तुम मेरी जगह पुताई करने को तैयार हो जाओ, तो लाओ, मैं पानी ला देता हूँ।” वह टॉम के बहुत कहने पर पुताई के काम में लगा, पर तभी सामने से पॉली मौसी आती दिखाई दे गई। इसलिए वह हाथ में खाली बालटी लेकर भागा और टॉम फिर उदास भाव से पुताई में लग गया। पर अभी भी उसकी उम्मीद खत्म नहीं हुई थी।

कुछ देर बाद बेन रोगर्स सेब खाता और स्टीमर चलाने की नकल करता, उछलता कूदता वहाँ आया। उस समय टॉम चहारदीवारी के एक हिस्से की पुताई करके एकदम कलाकार की नजर से उसे देख रहा था। बेन ने बड़ी सहानुभूति से उससे कहा, “अरे टॉम आज तो तुम्हें काम करना पड़ रहा है।”

महंसकर बोला, “काम तुम इसे काम कहते हो? अरे, रोज-रोज चहारदीवारी की पुताई करने का मौका किसे मिलता है? मैं तो इतना खुश हूँ, इतना कि तुम्हें क्या कहूँ?”

अब तो सारा नक्शा ही बदल गया था। बेन को लगा, काश! मुझे भी थोड़ी देर पुताई का यह मौका मिल जाए। उसने बड़ी मनुहार करते हुए कहा, “टॉम, ज़रा मुझे भी पुताई करने दो ना अब टॉम के नखरे करने की बारी थी। वह बोला, “बेन, क्या कहूँ? पॉली मौसी नहीं मानती है। यहाँ जिम भी पुताई करना चाहता था और सिड भी।

पर मैंने साफ़ मना कर दिया। अगर कुछ गड़बड़ हो जाए, तो जानते हो पॉली मौसी मुझे कितना डाँटेंगी?” अब बेन ने और भी विनम्रता से अनुरोध किया, “देखो टॉम, मेरी बात पर विश्वास करो। मैं

बड़ी सावधानी से पुताई करूंगा। कहीं कुछ गड़बड़ नहीं होगी। और हाँ, बदले में मैं तुम्हें अपना सेब भी दे दूंगा।” टॉम ने बड़ा अहसान दिखाते हुए अपना ब्रश छोड़ दिया और बेन उसकी जगह बड़ा खुशी से

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – पुताई करने में जुट गया। खेड़ी देर बाद कुछ और लड़के भी आए। में आते ही टॉम को चिढ़ाने की कोशिश करते, मगर किसी-न-किसी तरह चतुर टॉम की बातों में फँस जाते। एक थकता, लेकर जोश से पुताई करने में जुट जाता।

टॉम आराम से एक तरफ़ बैठा उन लड़कों के काम तो दूसरा ब्रश को हाथ में को देख रहा था और उन्हें बताता भी जा रहा था, “भाई, ऐसे नहीं, ऐसे पुताई करो तो चहारदीवारी खिलेगी।” लड़के सोचते, कहीं उनके हाथ से ब्रश न छीन लिया जाए। इसलिए वे टॉम के एक-एक आदेश का पूरी बारीकी से पालन करते । प्रिय

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2
A Dog is loving by a hand – Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – यही नहीं, जो-जो बच्चे पुताई करने की अनुमति हासिल करते. ये टॉम को अपनी चीजें देकर प्रसन्न करने की कोशिश करते।

अब टॉम के पास चाक के टुकड़े, काँच की चूड़ियाँ, चाकू का हैडल, कुत्ते का पट्टा, नीली शीशी का टुकड़ा जैसी बहुमूल्य वस्तुओं का ढेर लग गया था। वह अपने आपको दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति समझ रहा था। कुछ ही देर में चहारदीवारी पर तीन-तीन बार पुताई हो गई और चहारदीवारी एकदम जगमगाने लगी थी। अब टॉम की खुशी का भला क्या ठिकाना

था। वह दौड़ा-दौड़ा पॉली मौसी के पास पहुँचा और उल्लास भरे स्वर में बोला, ” अब तो मैं खेलने जाऊँ न मौसी ?” “अरे! अभी से? पहले पुताई तो पूरी करो,” मौसी ने कहा। उन्होंने टॉम से पूछा, “अच्छा बताओ तो अब तक तुमने कितनी पुताई की है?”

टॉम विजय- गर्व से भरकर बोला, “पूरी चहारदीवारी की पुताई हो गई मौसी । ” क्यों झूठ बोलता है रे, टॉम मौसी ने गुस्से से आँखें तरेरकर उसकी ओर देखा।

“झूठ नहीं बोल रहा हूँ मौसी, सच कह रहा हूँ। सचमुच पूरी चहारदीवारी पुत गई है।” और जब पॉली मौसी चहारदीवारी देखने गई, तो उनकी आँखें आश्चर्य के मारे खुली की

खुली रह गई। सचमुच पूरी चहारदीवारी बहुत ही सुंदर ढंग से पुत गई थी। अब पॉली मौसी की आँखों में एकाएक टॉम के लिए ममता का समुद्र उमड़ा। वे लाड़ से भरकर बोली, “अरे, वाह टॉम! मैंने तो सोचा भी नहीं था। तुमने तो सारा काम इतनी जल्दी कर दिया और वह भी इतनी सफ़ाई से, सचमुच मुझे आश्चर्य है।” कुछ देर बाद पॉली मौसी बोली, अच्छा टॉम, अब तुम जाओ, दोस्तों के बीच खेल-कूद आओ।”

पॉली मौसी ने टॉम को एक बढ़िया-सा से भी दिया और प्यार से उसकी पीठ थपथपाई। मज़े से सेब को कुतरता हुआ टॉम अब घर से निकल पड़ा था। वह सोच रहा था- ‘अरे वाह! आज का दिन कितना अच्छा है। अगर कोई चाहे तो अपनी चतुराई से बहुत कुछ कर सकता |

नीद की करामात (लोक-कथा)

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – प्रस्तुत पाठ में एक लड़का अपनी मौसी से कहानी सुनाने के लिए कहता है, तब वह उसे सूरज और चाँद की कहानी

नाती है। इस कहानी के अनुसार ही सूरज और चाँद आसमान में रहते हैं। राहुल दशहरे की छुट्टी में अपनी मौसी के घर गया। “नमस्ते मौसी जी!” कहते हुए राहुल ने मौसी के चरण स्पर्श किए।

“जीते रहो”, मौसी ने राहुल को प्यार करते हुए आशीर्वाद दिया। “मौसी जी! किस चीज़ की सुगंध आ रही है?”बेटा, मैं तुम्हारे लिए गाजर का हलवा बना रही हूँ।”

” अरे वाह! गाजर का हलवा ! मैं तो खूब सारा खाऊँगा!” राहुल चहकते हुए बोला। राहुल ने हाथ-मुँह धोए और बड़े मज़े से गाजर का हलवा खाया। धीरे-धीरे रात हो गई, परंतु राहुल की आँखों में नींद न थी।

वह बोला, “मौसी जी, कोई कहानी सुनाइए न!” “कौन-सी कहानी? कछुए और खरगोश की या राजा-रानी की?” “ऐसी कहानी सुनाइए जो कभी किसी ने न सुनी हो, न सुनाई हो!” “ऐसी कहानी?” मौसी ने सोचते हुए खिड़की की ओर देखा । पूर्णमासी का गोलाकार चाँद आकाश में अपनी दूधिया रोशनी फैला रहा था।

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – “ठीक है, तो सुनो।” मौसी ने कहानी शुरू की एक थी आकाश नगरी। वहाँ एक आदमी रहता था। उसका नाम था दिन। उसकी पत्नी का नाम रात्रि था। उनके दो बच्चे थे- सूर्य और चंद्रमा वे उन्हें प्यार से सूरज और चंदा बुलाते थे। पूरा परिवार खुशी-खुशी रहता था।

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2
Ajgar – Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – एक दिन की बात है। सूरज और चंदा खेलने निकले, तभी अचानक सरसराहट हुई। सूरज चौक गया। बोला, “चंदा, तुमने कोई आवाज़ सुनी?” “हाँ, किसी के रेंगने की आवाज़ लगती है।” चंदा ने जवाब दिया।

दोनों के चेहरे सफ़ेद पड़ गए। उनके समीप ही एक बड़ा-सा अजगर मुँह खोले था। दोनों संभल पाते कि अजगर ने दोनों को निगल लिया।

घर में दिन और रात्रि बहुत चिंतित थे, क्योंकि उनके बच्चे अभी तक घर नहीं पहुंचे थे। वे दोनों बच्चों की तलाश में निकले। वे बच्चों को ढूँढते ढूँढते थक गए। थककर चिंतित एक पेड़ के नीचे बैठ गए। पेड़ पर एक मोर बैठा था। उसने बताया कि एक अजगर दोनों बच्चों को निगल गया है।

रात्रि और दिन ने अपने बच्चों को वापस लाने की ठान ली। रात्रि अपनी सहेली निद्रा के पास गई। उसने निद्रा को सारी बात बताई। निद्रा ने कहा, “तुम चिंता मत करो। मैं अजगर के छक्के छुड़ा दूंगी। मैं अजगर की आँखों में घुस जाऊँगी। जब वह जम्हाई लेने के लिए मुँह खोले तब तुम अपने बच्चे निकाल लेना।” निद्रा धीरे-धीरे अजगर पर अपना प्रभाव जमाने लगी।

अजगर ने ज़ोर से जम्हाई ली। बस रात्रि और दिन ने अपने दोनों बच्चे निकाल लिए।

Moral Stories in Hindi | Moral Stories In Hindi For Class 2 – अजगर ने बच्चों को बाहर देखा तो वह उन्हें पकड़ने के लिए लपका। बच्चे भागकर उस ऊँचे पेड़ पर चढ़ गए मोर बैठा था। अजगर मोर से डरता था। उधर सूरज और चंदा ने ऊँची उड़ान भरी और आकाश में पहुँच गए।

अपने बच्चों को सही सलामत देख रात्रि और दिन की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। तभी से सूर्य और चंद्रमा आसमान में रहते हैं। इस घटना के बाद दिन सूर्य की रक्षा करता है और रात्रि चंद्रमा की । अब वे प्रसन्नतापूर्वक अपने घर में रहते हैं। निद्रा भी हमेशा अपनी सखी रात्रि के साथ ही रहती है।

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