Moral Stories in Hindi for Class 10

Best Moral Stories in Hindi for Class 10

हेलो दोस्तों मै हूँ केशव आदर्श और आपका हमारे वेबसाइट मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में स्वागत है आज जो मै आपको कहानी सुनाने जा रहा हु |

उसका नाम है Moral Stories in Hindi for Class 10 यह एक Moral Stories For Kids और Motivational Story In Hindi और Moral Stories in Hindi for Class 10 की कहानी है और

Moral Stories in Hindi for Class 10 – इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है और आपको बहुत बढ़िया सिख भी मिलेगी | मै आशा करता हु की आपको ये कहानी बहुत अच्छी तथा सिख देगी | इसलिए आप इस कहानी को पूरा पढ़िए और तभी आपको सिख मिलेगी | तो चलिए कहानी शुरू करते है |

Moral Stories in Hindi for Class 10

Moral Stories in Hindi for Class 10

ये कहानियां निम्न है :-

  1. बदरीनाथ धाम
  2. गुरुदेव का आशीष
  3. भोलू ने खेली फुटबॉल
  4. म्याऊ म्याऊ
  5. कौन अधिक बलवान
  6. दोस्त की मदद
  7. मेरी किताब
  8. बुलबुल
  9. मीठी सारंगी
  10. बस के नीचे बाघ

1. बदरीनाथ धाम

Moral Stories in Hindi – बदरीनाथ धाम में सनत्कुमार आदि ऋषि साधनालीन थे । एक दिन देवर्षि नारद वहाँ पहुँचे। ऋषियों ने उन्हें चिंतित देखकर कारण पूछा। नारद जी बोले- “पृथ्वी लोक में भक्ति की उपेक्षा हो रही है। लोग भगवान को भूलकर सांसारिकता में घोर लिप्त हो गए हैं और कुमार्गगामी हो गए हैं।” ऋषि बोले- “यह तो सचमुच चिंता का विषय है।

Moral Stories in Hindi for Class 10
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आप धरती पर भगवन्नाम का प्रचार कीजिए, तभी इस समस्या का समाधान होगा।” नारद जी मुनियों से यह समाधान जानकर धरती पर भगवन्नाम के प्रचार में लग गए। आज भी सांसारिकता में लिप्त मनुष्य जाति को स्वयं में भक्ति जगाने की आवश्यकता है।

2. गुरुदेव का आशीष

Moral Stories in Hindi – सुदीर्घकाल से योग-साधन का प्रयत्न कर रहे शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया ‘गुरुदेव! ईश्वरप्राप्ति के लिए कैसी पात्रता आवश्यक होती है ?” गुरु ने सहज ही कह दिया – ” वत्स! यदि तुम ईश्वरप्राप्ति की इच्छा रखते हो, तो वह तुम्हें अवश्य प्राप्त होगी।” शिष्य गुरु का मंतव्य नहीं समझ सका। शिष्य की अज्ञानता को भाँप गुरु ने जीवंत उदाहरण के आधार पर अपनी बात को स्पष्ट करने की योजना बनाई। प्रातः स्नान के उपक्रम हेतु वे दोनों नदी की ओर गए ।

गुरु ने शिष्य को आदेश दिया—”वत्स! डुबकी लगाओ।” गुरु की आज्ञा को शिरोधार्य करते शिष्य ने डुबकी लगाई। जल के भीतर अभी वह गया ही था कि गुरु ने एकाएक उसके सिर को भीतर पकड़ लिया और जल में यथावत् डुबोए रखा। श्वास लेने को व्यग्र शिष्य ऊपर आने की चेष्टा करने लगा, किंतु गुरु उसके इस प्रयास में अवरोध बने कुछ क्षण वहीं खड़े रहे।

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Moral Stories in Hindi – बड़ी देर तक वह अपने प्राणों की रक्षा के लिए जल से ऊपर आने का प्रयास करता थक गया, तब कहीं जाकर गुरु ने उसे छोड़ा । हाँफते हुए वह जल से बाहर निकला और हतप्रभ अवस्था में गुरु को देखने लगा। इससे पहले की वह कुछ बोलता, गुरु ने प्रसन्नचित्त मुद्रा उससे पूछा – “वत्स! बताओ तो सही, तुम्हें जल के अंदर कैसा लग रहा था ? ” हड़बड़ाई स्थिति से सँभला शिष्य कहने लगा-“ओफ! एक श्वास लेने के लिए मेरा जी निकल रहा था।

” गुरु ने अपनी बात आगे बढ़ाते पुनः प्रश्न किया- “क्या ईश्वर के लिए भी तुम्हारी इच्छा उतनी ही प्रबल है ?” अपनी अवस्था को कुछ देर विचार कर शिष्य ने उत्तर दिया- “नहीं गुरुदेव ।” शिष्य के नैराश्य भाव को तिरोहित करते गुरुदेव ने कहा-‘ ‘वत्स! ईश्वरप्राप्ति के लिए भी तुम्हारे भीतर वैसी ही उत्कट इच्छा होनी चाहिए, जैसी कि अभी प्राणों के लिए थी और तब ही तुम्हें ईश्वर के दर्शन होंगे।

” शिष्य को अपनी असफलता का कारण और ईश्वरप्राप्ति का उपाय प्राप्त हो गया। गुरुदेव का आशीष प्राप्त कर वह पुनः सच्ची लगन के साथ साधना में तल्लीन हो गया।

3. भोलू ने खेली फुटबॉल

Moral Stories in Hindi – सर्दियों का मौसम था। सुबह का वक़्त । चारों ओर कोहरा-ही-कोहरा । एक शेर का बच्चा सिमटकर गोल-मटोल बना जामुन के पेड़ के नीचे सोया हुआ था।

इधर भालू साहब सैर पर निकल तो आए थे लेकिन पछता रहे थे। तभी उनकी नज़र जामुन के पेड़ के नीचे पड़ी। आँखें फैलाई, अक्ल दौड़ाई – अहा फुटबॉल! –

सोचा, चलो इससे खेलकर कुछ गर्मी हासिल की जाए।

आव देखा न ताव। भालू जी ने पैर से उछाल दिया शेर के बच्चे को ।
हड़बड़ी में शेर का बच्चा दहाड़ा और फिर पेड़ की एक डाल पकड़ ली।

मगर डाल छूट गई। भालू साहब जल्दी ही मामला समझ गए। पछताए, लेकिन अगले ही पल दौड़कर फुर्ती से दोनों हाथ बढ़ाए और शेर के बच्चे को लपक लिया।

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अरे यह क्या! शेर का बच्चा फिर से उछालने के लिए कह रहा था। एक बार फिर भालू दादा ने उछाला। दो बार…. तीन बार… फिर बार-बार यही होने लगा।

शेर के बच्चे को उछलने में मज़ा आ रहा था। परंतु भालू थककर परेशान हो गया था। ओह, किस आफत में आ फँसा। बारहवीं बार उछालते ही भालू ने घर की ओर दौड़ -लगाई और गायब हो गया। इस बार शेर का बच्चा धड़ाम से ज़मीन नर आ गिरा। डाल भी टूट गई। “टूट तभी माली वहाँ आया और शेर के बच्चे पर बरस पड़ा “डाल तोड़ दी पेड़ की। लाओ हर्ज़ाना।” शेर के बच्चे ने कहा—“जरा ठीक तो हो लूँ।” माली ने कहा – “ठीक है।

मैं अभी आता हूँ।” माली के वहाँ से जाते ही शेर का बच्चा भी नौ दो ग्यारह हो लिया।

4. म्याऊ म्याऊ

Moral Stories in Hindi – बिल्ली अपने मौसेरे भाई शेर के साथ जंगल में एक बड़े महल में रहती थी। लेकिन वहाँ वह खुश नहीं थी।

ओह! बहन

आई भैया आई! आ गई।
मेरे खाने का वक़्त हो गया और तुमने अभी पत्तल भी नहीं बिछाई।

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बस, अभी बिछाती हूँ, भैया!

Moral Stories in Hindi – बिल्ली तुरंत केले का पत्ता ले आई और शेर के सामने बिछा दिया। अहा! हूँ! आज सुबह मैंने भेड़िया पकड़ा था ना, वह परोसो मज़ा आ गया।

पेट भर गया बहन। साफ़ कर लो सब।

हाँ भैया। लो, कुछ भी नहीं छोड़ा मेरे लिए। रोज़ यही होता है।

एक दिन शेर बीमार पड़ा और | उसका हाल पूछने बहुत-से जानवर आए। बिल्ली ने जानवरों का स्वागत करने के लिए हर एक से बात की।

लेकिन ठीक तभी “बहन, नाश्ता बनाकर सबको दो। जाओ, जल्दी करो। भैया, घर में आग तो है ही नहीं । तो जाओ आदमियों की बस्ती से सुलगती लकड़ी ले आओ। भागो! सो बिल्ली भागी, झाड़ियों और पत्थरों को फलाँगती हुई गाँव में पहुँची। वहाँ देखो।
कितनी मुलायम और रेशमी ! डरो नहीं। हम तुम्हें कुछ करेंगे नहीं।

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जिस काम से बिल्ली आई थी, उसे भूलकर बहुत देर तक बच्चों से लाड़ करवाती रही। मुझे कभी किसी से इतना प्यार नहीं मिला था। बिल्ली सोचने लगी। अचानक, ज़ोर की गरज से जंगल काँप उठा गर्जन है एट हाय रे ! मुझे सुलगती लकड़ी ले जानी थी। मैं भूल कैसे गई ? यह शेर की दहाड़ थी।

Moral Stories in Hindi – बिल्ली एक घर में घुसी और एक सुलगती लकड़ी उठाकर झाड़ियों और पत्थरों को फलाँगती हुई भागी । अचानक फिर वही डरावनी गर्जन हुई। गर्जन और काँपती बिल्ली ने शेर को देखा, जिसकी वह इतनी डर गई थी कि उसने जलती लकड़ी उसके पैरों के पास गिरा दी… आँखें गुस्से से लाल हो उठी थीं। और कूदती हुई वापस गाँव भागी।

देखो, बिल्ली वापस आ गई। ज़रूर शेर ने उसे बुरी तरह से डरा दिया है। हाँ, हमारे पास रहो, नन्ही- मुन्नी । वापस मत जाओ। नहीं जाओगी ना? नहीं, कभी नहीं। और इस तरह से बिल्ली मनुष्य संग रहने लगी। के सोई-सोई एक रात मैं एक रात मैं सोई-सोई रोई एकाएक बिलखकर एकाएक बिलखकर रोई रोती क्यों ना |

मुझे नाक पर मुझे नाक की एक नोक पर काट गई थी चुहिया चूँटी चुहिया काट गई चूँटी भर सचमुच बहुत डरी चुहिया से चुहिया से सच बहुत डरी मैं खड़ी देखकर चुहिया को मैं लगी काँपने घड़ी-घड़ी मैं कैसे भला डराऊँ उसको कैसे उसको भला डराऊँ धीरे-से मैं बोली म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ। सूझा तभी बहाना मुझको मुझको सूझा एक बहाना जरा डराना चुहिया को भी चुहिया को भी जरा डराना |

5. कौन अधिक बलवान

Moral Stories in Hindi – एक बार हवा और सूरज बैठे बातें कर रहे थे। तभी उनमें बहस छिड़ गई। हवा ने सूरज से कहा- “मैं तुमसे अधिक बलवान हूँ।” सूरज ने हवा से कहा- “मुझमें तुमसे ज़्यादा ताकत है।” पर यह कैसे पता चले कि कौन बलवान है। इतने में हवा की नज़र एक आदमी पर पड़ी। हवा ने कहा – “इस तरह बहस करने से कोई फ़ायदा नहीं है। जो इस आदमी का कोट उतरवा दे, वही ज़्यादा बलवान “

सूरज को हवा की बात ठीक लगी। वह मान गया। उसने कहा- “ठीक है। दिखाओ अपनी ताकत।” हवा ने अपनी ताकत दिखानी शुरू की। वह तेज़ बहना शुरू हो गई। आदमी की टोपी उड़ गई। पर कोट उसने अपने दोनों हाथों से शरीर से लपेटे रखा और जल्दी जल्दी कोट के बटन बंद कर लिए। हवा और ज़ोर से चलने लगी।

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Moral Stories in Hindi – हवा की ताकत से आदमी नीचे ही गिर पड़ा। पर कोट उसके शरीर पर ही रहा। अब हवा थक गई थी। हवा ने सूरज से कहा –“मैं अब थक गई हूँ। मैं इस आदमी का कोट नहीं उतरवा सकती। अब तुम्हारी बारी है।” सूरज ने कहां — “हवा, अब तुम – मेरी ताकत देखो।” सूरज तपने लगा। आदमी ने कोट के बटन खोल दिए।

सूरज की गर्मी और बढ़ी। आदमी को अब गर्मी सहन नहीं हो रही थी। उसने कोट उतार दिया और उसे हाथ में लेकर चलने लगा। सूरज अपनी जीत पर मुस्कराया और कहा – “देखं मेरी ताकत? उतरवा दिया न कोट?” हवा ने सूरज को नमस्कार किया और कहा – “मान गई तुम्हारी ताकत को। तुम ही ज़्यादा बलवान हो । अब मैं अपन ताकत पर कभी घमंड नहीं करूंगी।’

6. दोस्त की मदद

Moral Stories in Hindi – एक जंगल था। उसमें एक बड़ा-सा तालाब था। तालाब में एक कछुआ रहता था। तालाब के पास माँद में एक लोमड़ी रहती थी। कछुए की लोमड़ी से दोस्ती हो गई।

वे रोज़ाना मिलते और बातें करते। एक दिन कछुआ और लोमड़ी तालाब के किनारे गपशप कर रहे थे तभी एक तेंदुआ वहाँ आया। दोनों अपने-अपने घर की ओर जान बचाकर भागे। लोमड़ी तो सरपट दौड़कर अपनी माँद में पहुँच गई। किंतु कछुए की चाल धीमी होती है, इसलिए, अपनी धीमी चाल के कारण वह तालाब तक नहीं पहुँच सका। तेंदुए ने एक छलांग लगाकर उसे पकड़ लिया।

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Moral Stories in Hindi – कछुआ बहुत भयभीत हो गया। उसे कहीं छुपने का भी मौका न मिला। तेंदुए ने कछुए को मुँह में पकड़ा और उसे खाने के लिए एक पेड़ के नीचे चला गया। कछुए का खोल बहुत सख़्त होता है। तेंदुए के दाँतों और नाखूनों का पूरा ज़ोर लगाने पर भी कछुए के सख़्त खोल पर खरोंच तक नहीं आई।

लोमड़ी अपनी माँद से यह सब देख रही थी। उसने कछुए को बचाने की एक तरकीब सोची। उसने माँद से झाँककर बाहर देखा और भोलेपन के साथ बोली – “तेंदुए जी, कछुए के खोल को तोड़ने का मैं आपको एक आसान तरीका – बताती हूँ। इसे पानी में फेंक दो। थोड़ी देर में पानी से इसका खोल नरम हो जाएगा। फिर आप इसे आराम से खा लेना। चाहो, तो आज़माकर देख लो !”

तेंदुए ने कहा – “ठीक है, अभी देख लेता हूँ।” यह कहकर उसने कछुए को पानी में फेंक दिया। बस फिर क्या था, गया कछुआ पानी में!

लोमड़ी की चतुराई से कछुए की जान बच गई।

7. मेरी किताब

Moral Stories in Hindi – माँ ने वीरू को बुलाया और एक संदेश देकर अपनी बहन के पास भेजा। मौसी ने प्यार से वीरू को अंदर बुलाया। थोड़ी देर बाद वे उसे बैठक में ले गईं। बैठक में पहुँचते ही वीरू अचरज से ठिठक गई। उसने सोचा – बाप रे! इतनी सारी किताबें । वहाँ बहुत-सी किताबें थीं | नीचे से ऊपर तक किताबों से भरे खानों वाली दो लंबी दीवारें थीं ।

वह आँखें फाड़े देखती रही। अंत में वीरू ने साहस करके पूछा—“क्या आपके पास बच्चों के लिए भी किताबें हैं?”

मौसी ने बताया — “हाँ, यह देखो, यह वाला खाना और यह वाला।’

वीरू हैरानी से बोली – “इतनी ढेर सारी किताबें ! मेरे पास तो इतनी किताबें नहीं हैं।”

मौसी ने कहा – “यदि तुम्हारा मन करे, तो मैं पढ़ने के लिए तुम्हें कुछ किताबें दे सकती हूँ। तुम्हें किस तरह की किताबें सबसे अधिक पसंद हैं? बताओ।”

वीरू ने धीरे से कहा – “मुझे नहीं – मालूम।”

मौसी ने एक किताब निकालकर वीरू को पकड़ाई और कहा – “इस किताब को पढ़कर देखो।” “पढ़कर

वीरू घबराकर पीछे हटी और बोली – “बाप रे बाप! यह तो बहुत मोटी है। मुझे मोटी किताबें बिलकुल पसंद नहीं हैं ।”

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मौसी ने सुझाव दिया—“अच्छा, तो फिर शायद यह वाली ठीक रहेगी।”
वीरू बोली – “यह बहुत बड़ी है। यह मेरे बस्ते में नहीं आएगी।”

मौसी ने एक तीसरी किताब दिखाई— “और इसके बारे में क्या ख़्याल है?”

वीरू ने किताब के पन्ने पलटे और यह फ़ैसला किया – इसमें पढ़ने के लिए – बहुत कम है, इतनी छोटी-छोटी तसवीरें! और यह किताब बहुत पतली है। मौसी ने कहा – “वीरू, मुझे तो लगता है कि मैं तुम्हारे लिए किताब नहीं चुन सकती। ऐसा करना, अगली बार जब तुम आओ, तो अपने साथ एक फ़ुट्टा लेती आना।”

वीरू ने पूछा—“फ़ुट्टा, क्यों?” मौसी ने हँसकर कहा – “तुम्हें जितनी मोटी

किताब चाहिए तुम नापकर ले लेना।”

वीरू माँ के भेजे हुए कागज़ को मेज़ पर रखकर भाग खड़ी हुई।

8. बुलबुल

Moral Stories in Hindi – पक्षी भगवान की बनाई एक विचित्र रचना है। जिस जीव के दो पंख, दो पैर और पर पाए जाते हैं, वह पक्षी कहलाता है। पक्षी को चिड़िया, खग, पखेरू आदि नामों से भी बुलाया जाता है। अंग्रेज़ी में पक्षी को ‘बर्ड’ कहते हैं।

क्या आपने कभी बुलबुल देखी है? बुलबुल को पहचानने का एक सरल तरीका है। आओ बताएँ –

यदि आपको कोई चिड़िया तेज़ आवाज़ में बोलती हुई मिले, तो उसकी पूँछ को ध्यान से देखिए । यदि पूँछ के नीचे वाली जगह लाल हो, तो समझ लेना चाहिए कि वह चिड़िया बुलबुल ही है।

जब वह उड़े, तो पूँछ का सिरा भी ध्यान से देखना। बुलबुल की पूँछ के सिरे का रंग सफ़ेद होता है। उसका बाकी शरीर भूरा होता है। उसके सिर का रंग काला होता है।

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बुलबुल थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोलती है। बुलबुल को हम लोगों • बिलकुल भी डर नहीं लगता। आपको शायद एक बुलबुल ऐसी भी मिट जिसके सिर पर काले रंग की कलगी हो। उसे हम ‘सिपाही बुलबुल’ कहते हैं।

बुलबुल अधिकतर पीपल या बरगद के पेड़ पर रहती है। वह उनसे कीड़े ढूंढ़कर खाती है। वह हमारी तरह सब्ज़ी और फल भी खा लेती है। अमरूद का बगीचा हो या मटर के खेत; इन पर बुलबुल काफ़ी ज़ोर से हमला करती है।

बुलबुल अपना घोंसला अनोखा बनाती है। वह सूखी हुई घास और छोटे पौधों की पतली जड़ों से अपना घोंसला बुनती है। घोंसला अंदर से एक सुंदर कटोरे जैसा दिखता है।

बुलबुल एक बार में दो या तीन अंडे देती है। उसके अंडे हलके गुलाबी रंग के होते हैं। यदि आप उन्हें ध्यान से देखेंगे, तो आपको उन पर कुछ लाल, भूरी और बैंगनी बिंदियाँ दिखाई देंगी।

9. मीठी सारंगी

Moral Stories in Hindi – एक बार एक गाँव में एक सारंगी वाला आया। वह सारंगी बहुत अच्छी बजाता था। वह रात में सारंगी बजाने वाला था। उसकी सारंगी को सुनने के लिए बहुत-से गाँव वाले इकट्ठा हो गए। सारंगी की मीठी आवाज़ और सारंगी वाले के बजाने की कला से गाँव वाले दंग रह गए। सभी लोग कहने लगे – “कैसी मीठी सारंगी है! अहा ! बहुत आनंद आ रहा है।”

वहीं पास बैठे भोला ने भी लोगों की ये बातें सुनीं। वह मन-ही-मन कहने लगा – ये लोग सारंगी को बहुत मीठी बता रहे हैं, लेकिन मेरा तो मुँह ज़रा-, भी मीठा नहीं हुआ। ये सब झूठे हैं।

थोड़ी देर बाद उसने सोचा कि हो न हो सारंगी वाले के पास बैठने से मुँह मीठा हो जाए, इसलिए वह सारंगी वाले के पास जाकर बैठ गया।

रात के तीन-चार बजे सारंगी वाले ने गाना-बजाना बंद कर दिया। लोगों ने सारंगी वाले से कहा – “महाराज! आपकी सारंगी बहुत ही मीठी है। हमें बड़ा ही आनंद आया। दो-चार दिन यहीं ठहरिए । “

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Moral Stories in Hindi – ये बातें सुनकर भोला मन-ही-मन बहुत झुंझलाया और सोचने लगा- ये लोग झूठ तो नहीं बोल सकते। सारंगी मीठी ज़रूर है, पर मुझे न जाने क्यों स्वाद नहीं आया। तब तक रात ज़्यादा हो गई थी । इस कारण लोग घर नहीं गए। वे वहीं चौपाल में सो गए। सारंगी वाले ने भी सारंगी पर खोली चढ़ाई और उसे अपने सिरहाने रख कर सो गया। पर भोला को चैन न था।

जब लोग नींद में खर्राटे लेने लगे तब उसने चुपके से उठकर वह सारंगी उठा ली और ऊपर – का खोल उतारकर उसे जीभ से चाटा। उसे कुछ स्वाद नहीं आया। अब उसने सारंगी को खूब हिलाया। उसके छेद को मुँह के पास लगाकर मुँह में उँडेला पर सारंगी से एक भी मीठी बूँद नहीं निकली। वह लोगों की बेवकूफ़ी पर बहुत ही झुंझलाया। उसने सारंगी को गाँव से बाहर दूर ले जाकर फेंक दिया। वह लोगों की । बेवकूफ़ी पर हँसा । वह अपनी जगह पर आकर चुपचाप सो गया।

सवेरा हुआ। सारंगी अपनी जगह पर नहीं मिली, तो सब लोग और सारंगी वाला बड़े दुखी हुए। लोग कहने लगे – “बड़ी मीठी सारंगी थी। पता नहीं कौन ले गया?” मोला इस झूठ बात को सुन नहीं पाया। वह गुस्से-से बोला- “क्या खाक मीठी
मैंने तो उसे अच्छी तरह चाटा था। उसमें जरा भी मिठास नहीं थी। तुम सन् लोग झूठे हो और बाबा जी की खुशामद करते हो ।” लोगों ने पूछा- “पर सारंगी है कहाँ?” भोला ने कहा- “गाँव के बाहर पड़ी है।’ लोगों ने भोला की बेवकूफ़ी पर सिर पीट लिया।

10. बस के नीचे बाघ

Moral Stories in Hindi – एक बार किसी जंगल में एक छोटा बाघ खेल रहा था। खेलते-खेलते वह जंगल के पास वाली सड़क पर चला गया। सड़क के किनारे एक बस खड़ी थी। छोटे बाघ ने देखा कि बस का दरवाज़ा तो खुला है। वह जानना चाहता था कि यह क्या है और इसके भीतर कौन हैं। बाघ ने अपने अगले पंजे बस की सीढ़ी पर रखे और बस के भीतर देखने लगा।

बाघ ने देखा कि बस के भीतर आगे की तरफ़ से घर-घर की आवाज़ आ रही है। और उसके पास एक आदमी बैठा है। छोटे बाघ ने यह भी देखा कि उस आदमी के सामने एक दीवार-सी है। लेकिन यह दीवार भी अजीब थी। इस दीवार में से बाहर की हर चीज़ को साफ़-साफ़ देखा जा सकता था।

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Moral Stories in Hindi – बाघ ने अपने दाहिनी ओर देखा। उसने देखा कि बस में कई लोग बैठे हैं। आगे वाली सीट पर दो छोटी लड़कियाँ बैठी थीं। अरे यह क्या! छोटे बाघ को लगा कि लोग उससे डर रहे हैं और उसे भगाना चाहते हैं। तभी सामने की सीट पर बैठा आदमी उठा और अपने दाहिनी ओर वाला दरवाज़ा खोलकर बाहर कूद गया।

बस के बाकी लोग भी तेज़ी से पीछे वाले दरवाज़े की तरफ़ भागे। लोगों को भागते देखकर छोटा बाघ कुछ घबरा गया। वह सीढ़ी से उतरा और बस के नीचे चला गया। नीचे पहुँचकर वह बस के आगे वाले पहिये के पास जाकर दुबक गया।

लेकिन वहाँ उसे अच्छा नहीं लगा। वह फिर से बस के भीतर जाना चाहता था। थोड़ी देर बाद वह बाहर निकला और बस की सीढ़ी पर पंजे रखकर भीतर चला गया। वह सामने वाली सीट पर बैठकर बाहर की ओर देखने लगा।

सामने से एक बस आ रही थी। उसमें भी बहुत सारे लोग बैठे थे। उन्हें देखकर छोटे बाघ ने सोचा कि उसकी बस के लोग क्यों भाग गए |

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