राम-नाम की महिमा
Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral – कलियुग का जमाना था। भगत कबीरदास का जन्म एक कोरी के घर में हुआ था। जब आपने भक्ति की परीक्षा पास कर ली, तब कमाल नामक एक भगत को अपना ‘चेला’ बनाकर आप काशीजी में निवास करने लगे । एक दिन की बात है। कमाल खड़े थे गंगा महामाई के तटपर और सोच रहे थे कि ‘रामाइन’ यह क्यों कहती है – “ ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि । “
उस समय कमाल की उम्र बारह साल की थी। तब तक बीकानेर का एक श्वेत कुष्ठी सेठ, एक सौ एक ब्राह्मणों के साथ राम-नाम की दुहाई देता हुआ वहाँ आ पहुँचा। कमाल ने उससे इसका कारण पूछा तो मालूम हुआ कि सेठ जी अपने घर पर स्त्री सहित एक पुत्र छोड़कर – उनको 33 लाख रुपया नकद देकर – आप ‘गंगा जी में जीवित-समाधि’ लेने आये हैं।
कारण यह था कि सेठजी ने अपना कितना ही इलाज कराया, लेकिन ‘सफेद कोढ़’ से छुटकारा न हुआ । मन में अपने तन पर घृणा छा गयी थी। इसलिये आप घर का इन्तजाम करके एक रुपया रोजाना पर एक सौ एक ब्राह्मण साथ ले ‘राम-राम’ कहते कहते पैदल काशी जी आये और श्री गंगाजी में समाधि लेना चाहते थे। कमाल ने कहा—अगर मैं तुम्हारा कोढ़ दूर कर दूँ?

सेठ – तो फिर क्या कहना ! अन्धे को क्या चाहिये-दो आँखें ! अगर आप मुझे अच्छा कर दें तो मैं एक लाख रुपये आप के आज्ञानुसार खर्च कर सकता हूँ।
कमाल – Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral
कमाल ने मुस्कराकर कहा— रुपये का खप्त अपने पास रखो, मैं राम नाम की महिमा प्रकट करूँगा। जिस राम के नाम को लेकर तुम इतने आदमी एक महीने से यात्रा कर रहे हो, उसी राम- नाम में कुछ जान है या वह बिलकुल मुरदा चीज है – यही मैं तुम को दिखाना चाहता हूँ ! राम के नामकी कीमत – हर एक साधक के लिये अलग-अलग है। समझे?
सेठ-आप जो आज्ञा करें, मैं वही करूँ।
कमाल-इन सब लोगों को चुप कराकर किनारे पर बैठा दो। तुम कपड़े उतार गंगाजी में कमर तक घुसो। इसके बाद नाक पकड़कर गौता लगाओ। जब तली में पहुँचो, तब तबियत के साथ, करुणा और प्रेमके साथ एक ही बार ‘राम’ कहना। बस, अच्छे हो जाओगे। नहीं तो, मैं भी नास्तिक पार्टी में मिल जाऊँगा !
सेठ ने वैसा ही किया, लेकिन रोग अच्छा न हुआ । कमाल बोले- तुमने मन लगाकर नाम नहीं लिया। करुणा और प्रेम को हृदय में नहीं ला सके। अब की बार मजबूरी के स्वर से ‘राम’ कहना । समझे या नहीं?
सेठ – Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral
सेठ ने वैसा किया, लेकिन कुछ फल न हुआ। कमाल ने तीसरी बार फिर वही आर्डर दिया। ज्यों ही सेठ ने गोता लगाया, त्यों ही कमाल ने उसके सिर पर अपना लोहे का डंडा जमा दिया। खून से गंगाजल लाल होने लगा। चोट खाकर भी उसने गोता लगाया और तली में जाकर अपने हृदय में करुणा और प्रेम को उपस्थित पाया। सेठ ने दिल की गाँठ खोलकर कहा-‘राम’। रोग दूर हो गया । सबने देखा-सेठजी अच्छे गये ।
कमाल के हुक्म से सेठ जी अपने दल समेत उसी दिन बीकानेर के लिये रवाना हो गये।
Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral – कमाल ने आकर कबीर साहब को सेठकी सारी कहानी सुनायी और अन्त में जरा गर्मी के साथ यह कहा कि मैंने आप की दया से केवल तीन बार के राम-नाम से एक कोढ़ी को अच्छा कर दिया।
कबीर साहब थे पूरे भगत कमालके रंग-ढंगपर ख़फ़ा हो उठे। बोले- मेरी चिट्ठी लेकर अभी तुलसीदासके पास जाओ। उन दिनों भगत तुलसीदासजी भी राजघाटपर ठहरे थे। कमालने जाकर उनके हाथमें एक कागज दिया। तुलसीदासजीने उसे खोला तो केवल एक दोहा लिखा पाया |
डूबा वंश कबीर का, उपजे पूत कमाल । तीन राम के नाम से, कोढ़ी किया बहाल ॥
तुलसीदासजी के पूछने पर कमाल ने सेठ का सारा वृत्तान्त कह सुनाया। तुलसीदासजी ने समझ लिया कि कबीर जी चाहते हैं कि मेरे द्वारा कमाल का घमंड चूर हो और राम के नाम की ज्यादा कीमत प्रकट हो ।
तुलसीदासजी – Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral
तुलसीदासजी ने एक चेले को हुक्म दिया कि शहर में मुनादी करा दो कि काशी में जितने कोढ़ी हों वे सब तुलसीदास की कुटी पर आ जायँ सबके कोढ़ दूर किये जायँगे।
शाम के चार बजे तक पाँच सौ कोढ़ी आकर बैठ गये। तब तुलसीदासजी ने एक तुलसी पत्र मँगाया। उस पर एक ‘राम’ नाम लिखा और उसे पिसवाकर एक घड़ा गंगाजल में घोल दिया। Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral – इसके बाद चेले को हुक्म दिया कि इसको सब कोढ़ियों पर जरा-जरा छिड़क दो।
वैसा ही हुआ। जिस आदमी के वदन पर बूँद पड़ती, बस, छूमन्तर की तरह उसका कोढ़ दूर हो जाता! सब कोढ़ी अच्छे होकर जय-जयकार करने लगे । कमाल को बड़ा आश्चर्य हुआ। चुपचाप कबीर साहब के पास आकर उसने सब हाल कह सुनाया।
तुलसीदास जी की करतूत पर भी कबीर साहब संतुष्ट न हुए। बोले मेरी चिट्ठी लेकर सूरदास के पास जाओ।
Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral – उन दिनों भगत सूरदास जी गंगाजी के उस पार रेती में पड़े रहते थे। गरमी के दिन थे— जल कम था। कमाल ने जाकर उनके हाथ में कागज रख दिया। सूरदास ने कहा- ‘आओ कमाल! तुम्हारे गुरु कबीर जी अच्छे हैं? क्या लिखा है-पढ़कर सुनाओ इसे’ कमाल ने पढ़ा |

तुलसीजी ने पाँच सौ, कोढ़ी किये बहाल ।
कितनी कम कीमत हुई, एक नाम का लाल ? ॥
सूरदासजी – Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral
सूरदासजी के पूछने पर कमाल ने सेठ की कहानी सुनायी और फिर तुलसीदासजी का किस्सा कहा । सूरदास बोले- ‘गंगाजी में एक मुरदाबहा जाता है, उसको पकड़ लाओ।’
कमाल ने खड़े होकर देखा तो उसे सचमुच मुरदा बहता दिखायी दिया। कमाल ने सोचा – ये हैं तो सूरदास और देखते हैं मुझसे भी ज्यादा! Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral – कमाल कूद पड़े गंगाजी में और तुरंत उस मुरदे को सूरदासजी के पास खींच लाये। सूरदासजी ने मुरदे का एक कान पकड़ा और अपना मुख उसके कान के पास ले जाकर ज्यों ही ‘र’ कहा, त्यों ही वह मुरदा बिजली की तरह लपक कर बैठ गया!
कमाल के होश उड़ गये। ‘राम’ शब्द के तृतीय खण्ड की यह करामात कि उसके एक अक्षर के सुनने मात्र से मुरदा भी जी गया। वह आदमी उठकर अपने घर गया। Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral – कमाल ने आकर कबीर साहब को सारा हाल कह सुनाया। अन्त में कबीर साहब ने कहा ‘राम का नाम मिट्टी की तरह अमूल्य है और राम का नाम पारस की तरह ‘अमूल्य’ है। जो जैसा साधक है-उसके लिये उतना ही प्रभाव ‘राम नाम’ में है। लोगों का निश्चय है कि कबीर साहब अमर हैं।