Short Kahani Lekhan

Top 10 Short Kahani Lekhan Moral Stories in Hindi

Hindi Moral Stories are an essential part of childhood. They are not only entertaining, but it also plays a very meaningful role in the development of the child. Here are some reasons why stories are important for children:

Develops Language and Literacy Skills: Listening to stories helps children develop language and literacy skills. They learn new words, sentence structures, and grammar, expanding their vocabulary.

Short Moral Stories in Hindi – Promotes Imagination & Creativity: Stories encourage children to use their imagination and creativity. They help children visualize and create mental pictures of characters, places, and events.

Develops Empathy and Emotional Intelligence: Stories help children understand and connect with the feelings and experiences of others. They learn to empathize with the characters and develop emotional intelligence.

ENHANCES COGNITIVE AND CRITICAL THINKING SKILLS: Stories challenge children to think critically and problem-solve. They learn to analyze situations, predict outcomes, and make decisions.

Builds character and values: Stories often contain a moral or lesson that helps children learn about character and values such as honesty, kindness, and perseverance.

Short Moral Stories in Hindi Stories are important in a child’s growth and development. They stimulate the mind, inspire the imagination and help children understand the world around them. Hence, reading and telling stories to children regularly is important to lay a strong foundation for their future.

Short Kahani Lekhan
Moral Stories in Hindi

नरक की यात्रा – Hindi Story For Kids

Short Kahani Lekhan – ‘यह तो बड़ा भयानक नरक है।’ महाराज युधिष्ठिर को धर्मराज के दूत नरक दिखला रहे थे। महाराज युधिष्ठिर ने केवल एक बार आधा झूठ कहा था कि ‘अश्वत्थामा मर गया, मनुष्य नहीं हाथी ।’ सत्य को इस प्रकार घुमा-फिराकर बोलने के कारण उन्हें नरक को केवल देख लेने का दण्ड मिला था ।

उन्होंने अनेक नरक देखे। कहीं किसी को बिच्छू-सर्प काट रहे थे; कहीं किसी को जीते-जी कुत्ते, सियार या गीध नोच रहे थे; कोई आरे से चीरा जा रहा था और कोई तेल में उबाला जा रहा था। इस प्रकार पापियों को बड़े कठोर दण्ड दिये जा रहे थे।

युधिष्ठिर ने यमदूत से कहा- ‘ये तो बड़े भयंकर दण्ड हैं। कौन मनुष्य यहाँ दण्ड पाते हैं?’

यमदूत ने नम्रता से कहा- ‘हाँ महाराज ! ये बड़े भयंकर दण्ड हैं। यहाँ केवल वे ही मनुष्य आते हैं, जो जीवों को मारते हैं, मांस खाते हैं, दूसरों का हक छीनते हैं तथा और भी बड़े पाप करते हैं।’

Short Kahani Lekhan – लोग हाय-हाय कर रहे थे। चिल्ला रहे थे । पर युधिष्ठिर के वहाँ रहने से उनके कष्ट मिट गये; वे कहने लगे- ‘आप यहीं रुके रहिये ।’ युधिष्ठिर वहीं रुक गये। तब स्वयं धर्मराज और इन्द्र ने आकर उनको समझाया और कहा कि आपने एक बार छलभरी बात कही थी, उसी से आपको इस रास्ते से लाया गया है।

आपके कोई परिचित या सम्बन्धी यहाँ नहीं हैं। जो मनुष्य-शरीर धारण करके पाप करते हैं, जीवों पर दया नहीं करते, उलटे दूसरों को पीड़ा दिया करते हैं, वे ही इन नरकों में आते हैं।’

महाराज युधिष्ठिरने कुछ सोचा। सम्भवतः वे स्मरण कर रहे थे कि-

नर सरीर धरि जे पर पीरा । करहिं ते सहहिं महा भव भीरा ॥

डॉक्टर साहब पिटे – Kids story in hindi – Short Moral Stories in Hindi

Short Kahani Lekhan – एक डॉक्टर साहब हैं। खूब बड़े नगर में रहते हैं। उनके यहाँ रोगियों की बड़ी भीड़ रहती है। घर बुलाने पर उनको फीस के बहुत रुपये देने पड़ते हैं। वे बड़े प्रसिद्ध हैं। उनकी दवा से रोगी बहुत शीघ्र अच्छे हो जाते हैं।

डॉक्टर साहब के लिये प्रसिद्ध है कि कोई गरीब उन्हें घर बुलाने आवे तो वे तुरंत अपने ताँगे पर बैठकर देखने चले जाते हैं। उसे बिना दाम लिये दवा देते हैं और आवश्यकता हुई तो रोगी को दूध देने के लिये पैसे भी दे आते हैं।

Short Kahani Lekhan – डॉक्टर साहब ने बताया कि उस समय हमारे पिता जीवित थे। मैंने डॉक्टरी की नयी-नयी दूकान खोली थी। पर, मेरी डॉक्टरी अच्छी चल गयी थी। एक दिन दूर गाँव से एक किसान आया। उसने प्रार्थना की कि ‘मेरी स्त्री बहुत बीमार है। डॉक्टर साहब! चलकर उसे देख आवें ।’

डॉक्टर ने कहा – ‘इतनी दूर मैं बिना बीस रुपये लिये नहीं जा सकता। मेरी फीस यहाँ दे दा आर चलूँगा ।’ यहाँ दे दो और ताँगा ले आओ तो मैं

Short Kahani Lekhan – किसान बहुत गरीब था। उसने डॉक्टर के पैरों पर पाँच रुपये रख दिये । वह रोने लगा और बोला- ‘मेरे पास और रुपये नहीं हैं। आप मेरे घर चलें। मैं ताँगा ले आता हूँ। आपके पंद्रह रुपये फसल होनेपर अवश्य दे जाऊँगा ।’

डॉक्टर साहब ने उसे फटकार दिया। रुपये फेंक दिये और कहा- ‘मैंने तुम जैसे भिखमंगों के लिये डॉक्टरी नहीं पढ़ी है। मुझसे इलाज कराने वाले को पहले रुपयों का प्रबन्ध करके मेरे पास आना चाहिये। तुम जैसों से बात करने के लिये हमारे पास समय नहीं है। ‘

किसान ने गिड़गिड़ाकर रोते हुए कहा- ‘सरकार! मैं गाँव में किसी से कर्ज लेकर जरूर आपको रुपये दूँगा, आप जल्दी चलिये। मेरी स्त्री मर जायगी, सारे बच्चे अनाथ हो जायँगे। मेरी गृहस्थी चौपट हो जायगी।’

Short Kahani Lekhan – किसान की बात सुनकर डॉक्टर झुंझला उठे और बोले- ‘जहन्नुम में जाय तेरी गृहस्थी और बच्चे। पहले रुपये ला और फिर चलने की बात कर । ‘

उनके पिताजी छत पर से सब सुन रहे थे। उन्होंने डॉक्टर साहब को पुकारा। जैसे ही डॉक्टर साहब पिता के सामने गये, उनके मुख पर एक थप्पड़ पड़ा। इतने जोर का थप्पड़ कि हट्टे-कट्टे बेचारे डॉक्टर चक्कर खाकर गिर पड़े।

पिताजी ने कहा- ‘मैंने तुझे इसलिये पढ़ाकर डॉक्टर नहीं बनाया कि तू गरीबों के साथ ऐसा बुरा व्यवहार करेगा, उन्हें गालियाँ बकेगा और उनका गला दबायेगा। जा, अभी मेरे घर से निकल जा और तेरे पालने तथा पढ़ाने में जितने रुपये लगे हैं, चुपचाप दे जा! नहीं तो अभी उस गरीब के घर अपने ताँगे में बैठकर जा।

उससे एक पैसा भी दवा का दाम लिया तो मैं मिट्टी का तेल डालकर तेरी दूकान में आग लगा दूँगा ।’ डॉक्टर ने हाथ जोड़ लिये। तब पिताजी कुछ नम्र होकर बोले- ‘तेरे ऐसे व्यवहार से मुझे बड़ी लज्जा आती है। देख, यदि आज बहू बीमार होती, तेरे हाथ में पैसे न होते |

Short Kahani Lekhan – तू किसी डॉक्टर के यहाँ जाता और हाथ जोड़कर उससे इलाज के लिये प्रार्थना करता और वह तुझे जवाब में वही बातें कहता, जो तूने इस किसान से कही हैं, तो तेरे हृदय में कितना दुःख होता । मनुष्य को दूसरों के साथ वही व्यवहार करना चाहिये, जो वह अपने लिये चाहता है। ऐसा करेगा तो तू गरीबों का आशीर्वाद पायेगा और फूले- फलेगा। ‘

बेचारे डॉक्टर साहब का एक ओर मुख फूल गया था । उन्होंने सिर नवाकर पिताजी की बात मान ली और चुपचाप दवाका बक्स लेकर ताँगे में उस किसान को बैठाकर चल पड़े। वे कहते हैं कि ‘किसी गरीब रोगी के आने पर मुझे पिताजी की उस मूर्ति का स्मरण हो आता है और हाथ तुरंत गाल पर पहुँच जाता है और साथ ही पिताजी का उपदेश भी याद आ जाता है। धन्य थे मेरे वे पिता ।’

मनुष्य या पशु ? –  Story For Kids In Hindi

Short Kahani Lekhan – एक सच्ची घटना है। नाम मैं नहीं बताऊँगा। बहुत-से लड़के पाठशाला से निकले। पढ़ाई के बीच में दोपहर का छुट्टी हो गयी थी। सब लड़के उछलते-कूदते, हँसते-चिल्लाते चले जा रहे थे। पाठशाला के फाटक के सामने सड़क पर एक आदमी भूमि पर लेटा था। किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। सब अपनी धुन में चले जा रहे थे।

एक छोटे लड़के ने उस आदमी को देखा, वह उसके पास गया। वह आदमी बीमार था। उसने लड़के से पानी माँगा। लड़का पास के घर से पानी ले आया। बीमार ने पानी पीया और फिर लेट गया। लड़का पानी का बर्तन जिसका था, उसे देकर खेलने चला गया।

Short Kahani Lekhan – शाम को वह लड़का घर आया। इसने सुना कि उसके पिता से एक सज्जन बता रहे हैं कि ‘पाठशाला के सामने दोपहर के बाद एक आदमी आज सड़क पर मर गया। लड़का पिता के पास गया और उसने कहा – ‘बाबूजी! वह तो सड़क पर पड़ा था। माँगने पर मैंने उसे पानी पिलाया था।’

पिता बहुत नाराज हुए। उन्होंने लड़के को कहा- ‘तुम मेरे – सामने से भाग जाओ! तुमने एक बीमार आदमी को देखकर भी छोड़ दिया। उसे अस्पताल क्यों नहीं पहुँचाया? तुम मनुष्य नहीं पशु हो ।’

डरते-डरते लड़के ने कहा- ‘मैं अकेला था। भला, उसे अस्पताल कैसे ले जाता ?’

Short Kahani Lekhan – पिता ने डाँटा – ‘बहाना मत बनाओ। तुम नहीं ले जा सकते थे तो अपने अध्यापक को तुरंत बताते या घर आकर मुझे बताते । मैं कोई प्रबन्ध करता ।’

तुम सोचो कि तुम क्या करते हो? किसी रोगी, घायल या दुखिया को देखकर यथाशक्ति सहायता करते हो या चले जाते हो? तुम्हें पता लगेगा कि तुम क्या हो– ‘मनुष्य या पशु ?’

संतोष का फल – Hindi Kahani For Kids

Short Kahani Lekhan – विलायत में अकाल पड़ गया। लोग भूखों मरने लगे। एक छोटे नगर में एक धनी दयालु पुरुष थे। उन्होंने सब छोटे लड़कों को प्रतिदिन एक रोटी देने की घोषणा कर दी। दूसरे दिन सबेरे बगीचे में सब लड़के इकट्ठे हुए। उन्हें रोटियाँ बँटने लगीं। एक

रोटियाँ छोटी-बड़ी थीं। सब बच्चे एक-दूसरे को धक्का देकर बड़ी रोटी पाने का प्रयत्न कर रहे थे। केवल एक छोटी लड़की एक ओर चुपचाप खड़ी थी। वह सबके अन्त में आगे बढ़ी। टोकरे में सबसे छोटी अन्तिम रोटी बची थी। उसने उसे प्रसन्नता से ले लिया और वह घर चली आयी।

Short Kahani Lekhan – दूसरे दिन फिर रोटियाँ बाँटी गयीं। उस बेचारी लड़की को आज भी सबसे छोटी रोटी मिली। लड़की ने जब घर लौटकर रोटी तोड़ी तो रोटी में से सोने की एक मुहर निकली। उसकी माता ने कहा कि-‘मुहर उस धनी को दे आओ।’ लड़की दौड़ी गयी मुहर देने।

धनी ने उसे देखकर पूछा—’तुम क्यों आयी हो ?’ लड़की ने कहा—’मेरी रोटी में यह मुहर निकली है। आटे में गिर गयी होगी। देने आयी हूँ। तुम अपनी मुहर ले लो।’

Short Kahani Lekhan – धनी ने कहा—’नहीं बेटी! यह तुम्हारे संतोष का पुरस्कार है।’ लड़की ने सिर हिलाकर कहा-‘पर मेरे संतोष का फल तो मुझे तभी मिल गया था। मुझे धक्के नहीं खाने पड़े।’

धनी बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे अपनी धर्मपुत्री बना लिया और उसकी माता के लिये मासिक वेतन निश्चित कर दिया। वही लड़की उस धनी की उत्तराधिकारिणी हुई।

असभ्य आचार्य – Story In Hindi For Kids

Short Kahani Lekhan – एक ग्राम में एक लड़का रहता था। उसके पिता ने उसे पढ़ने काशी भेज दिया। उसने पढ़ने में परिश्रम किया। ब्राह्मण का लड़का था, बुद्धि तेज थी। जब वह काशी से अपने ग्राम में लौटा तब व्याकरण का आचार्य हो गया था। गाँव में दूसरा कोई पढ़ा-लिखा था नहीं।

सब लोग उसका आदर करते थे। इससे उसका घमण्ड बढ़ गया। एक बार उस गाँव में बारात आयी। बारात में दो-तीन बूढ़े पण्डित थे। विवाह में शास्त्रार्थ तो होता ही है। जब सब लोग बैठे, तब शास्त्रार्थ की बारी आयी।

सबसे पहले उस घमण्डी लड़के ने ही प्रश्न किया। पण्डितों ने धीरे से उत्तर दे दिया। अब पण्डितों में से एक ने उससे पूछा- ‘असभ्य किसे कहते हैं?’

Short Kahani Lekhan – लड़के ने बड़े रोब से उत्तर दिया- ‘जो बड़ों का आदर न करे और उनके सामने उद्दण्ड व्यवहार करे।’ ‘सम्भवतः आप यह भी मान लेंगे कि असभ्य पुरुष से बोलनेवाला भी असभ्य ही होता है।’ ‘निश्चय!’ लड़के ने बड़े जोश से स्वीकार किया। तब मैं आपसे बोलना बंद करता हूँ।’ वृद्ध पण्डित मुसकरा पड़े। ‘अर्थात् ?’ लड़का क्रोध से लाल हो उठा। आपके पूज्य पिता तो वहाँ पीछे बैठे हैं और आप यहाँ डटे हैं। एक बार बुला तो लेना था उनको।’ पण्डितजी ने व्यङ्ग्य किया।

‘मैं आचार्य हूँ।’ लड़के ने चिल्लाकर कहा । पण्डित ने हँसते हुए कहा- ‘आचार्य होने से कोई सभ्य नहीं हो जाता। आपने अभी बुद्धिमानों का साथ नहीं किया है।’ लड़के का पिता ही लड़के से अधिक लज्जित हो रहा था।

सर्वस्व दानKids Stories In Hindi

Short Kahani Lekhan – एक पुराना मन्दिर था। दरारें पड़ी थीं। खूब जोर से वर्षा हुई और हवा चली। मन्दिर का बहुत-सा भाग लड़खड़ाकर गिर पड़ा। उस दिन एक साधु वर्षा में उस मन्दिर में आकर ठहरे थे। भाग्य से वे जहाँ बैठे थे, उधरका कोना बच गया। साधु को चोट नहीं लगी।

साधु ने सबेरे पास बाजार में चंदा करना प्रारम्भ किया। उन्होंने सोचा- ‘मेरे रहते भगवान्‌ का मन्दिर गिरा है तो इसे बनवाकर तब मुझे कहीं जाना चाहिये।’

बाजार वालों में श्रद्धा थी। साधु विद्वान् थे। उन्होंने घर-घर जाकर चंदा एकत्र किया। मन्दिर बन गया। भगवान्‌ की मूर्ति की बड़े भारी उत्सव के साथ पूजा हुई। भण्डारा हुआ। सब ने आनन्द से भगवान्‌ का प्रसाद लिया।

Short Kahani Lekhan – भण्डारे के दिन शाम को सभा हुई। साधु बाबा दाताओं को धन्यवाद देने के लिये खड़े हुए। उनके हाथ में एक कागज था। उसमें लम्बी सूची थी। उन्होंने कहा- ‘सबसे बड़ा दान एक बुढ़िया माता ने दिया है। वे स्वयं आकर दे गयी थीं।’

लोगों ने सोचा कि अवश्य किसी बुढ़िया ने सौ-दो सौ रुपये दिये होंगे। कई लोगों ने सौ रुपये दिये थे। लेकिन सबको बड़ा आश्चर्य हुआ। जब बाबा ने कहा- ‘उन्होंने मुझे चार आने पैसे और थोड़ा-सा आटा दिया है।’ लोगों ने समझा कि साधु हँसी कर रहे हैं। साधु ने आगे कहा- ‘वे लोगों के

Short Kahani Lekhan – घर आटा पीसकर अपना काम चलाती हैं। ये पैसे कई महीने में वे एकत्र कर पायी थीं। यही उनकी सारी पूँजी थी। मैं सर्वस्व दान करनेवाली उन श्रद्धालु माता को प्रणाम करता हूँ।’

लोगों ने मस्तक झुका लिये। सचमुच बुढ़िया का मन से दिया हुआ यह सर्वस्व दान ही सबसे बड़ा था।

जब डाकू रोया था – Funny Story In Hindi

Short Kahani Lekhan – दक्षिण अमेरिका की बात है। उन दिनों वहाँ सोने की खान निकली थी। दूर-दूर के व्यापारी और बहुत-से मजदूर वहाँ पहुँचे। यों ही उपज बहुत कम हुई थी, फिर बाहर के बहुत लोग पहुँच गये। अकाल-सा पड़ गया। खाने-पहनने की चीजों के दाम बहुत बढ़ गये। लोग सड़ी-गली वस्तुओं से पेट भरने लगे। ज्वर तो पहले से फैला था, हैजा भी फैल गया।

पीड़ितों की सेवा करनेवाली प्रसिद्ध संस्था ‘मुक्ति सेना’ ने अपना दल वहाँ भेजा। उसकी संस्थापिका स्वयं वहाँ पहुँची । लोगों ने डाकुओं का बहुत भय बताया, परंतु ‘मुक्ति सेना’ तो सेवा करने आयी थी। उसका दल निर्भय आगे बढ़ता गया । पेड़ों के नीचे तम्बू पड़े थे और उनके चिकित्सक रोगियों की सेवा में लगे थे।

एक दिन एक सशस्त्र घुड़सवार आया। उसने उस सेवा दल की संस्थापिका को एक पत्र दिया और एक बढ़िया कम्बल । उस समय वहाँ एक अच्छा कम्बल बहुत बड़ी बात थी । वह सवार पत्र का उत्तर लेकर लौट गया।

Short Kahani Lekhan – दूसरे दिन एक सुन्दर युवक घोड़े पर आया। वह उस महिमामयी नारी के आगे घुटनों के बल बैठ गया। उसने कहा – ‘ आपने मेरा कम्बल स्वीकार करके मुझ पर बड़ी कृपा की। जो सबकी सेवा में लगा है, उसने इस अधम को अपनी एक नन्हीं सेवा का अवसर तो दिया।’

महिला ने कहा- ‘क्या तुम मेरे साथ परमेश्वर की प्रार्थना में सम्मिलित होना पसंद करोगे ?’

वह तुरंत तैयार हो गया। लोग जिसे पत्थर के हृदयका पिशाच समझते थे, वह उस दिन प्रार्थना में बच्चों की भाँति फूट-फूटकर रोया। वही उन डाकुओं का प्रधान अध्यक्ष था।

मैं मनुष्य बनूँगा – Kids Story Hindi

Short Kahani Lekhan – एक बार एक देवता पर ब्रह्माजी प्रसन्न हो गये। उस देवता को महर्षि दुर्वासा ने शाप दे दिया था कि ‘तू अब देवता नहीं रहेगा।’ देवता ने कहा-‘न सही देवता। मैं बहुत दिन देवता रह चुका। स्वर्ग के भोग से ऊब गया।’ उसने बूढ़े बाबा ब्रह्मा की प्रार्थना की। ब्रह्माजी ने प्रसन्न होकर कहा- ‘तुम जो कहोगे, तुमको वही बना दिया जायगा।’

देवता ने पहले कुछ देर सोचा और फिर कहा – ‘एक बार मुझे सब लोक देख आने दीजिये।’

ब्रह्माजी ने स्वीकार कर लिया। देवता भला देवलोक में क्या देखता। नाचने-गानेवाले गन्धर्व, यक्ष, किन्नर – ये सब तो उसके सामने सेवक ही थे। देवताओं के राजा इन्द्र का नन्दन नामक बगीचा तथा पारिजात नामक पेड़ भी उसका कई बार देखा हुआ ही था। वह गया ऊपर के लोकों में। उसने जनलोक, तपोलोक देखे।

Short Kahani Lekhan – इनसे आगे महर्लोक और सत्यलोक भी देख लिया। वैकुण्ठ, साकेत, गोलोक और शिवलोक जाने की उसे आज्ञा नहीं थी। उसने सोचा- ‘इन लोकों में ऋषि बनकर रहने से तो तपस्या करनी होगी, भोग यहाँ है नहीं । हमने जीवन भर स्वर्ग के भोग भोगे हैं। अब इस बखेड़े में कौन पड़े।’

वह सीधे नीचे चला पाताल की ओर। उसने दैत्यों के बलकी बड़ी प्रशंसा सुनी थी। वह नागलोक को तो देखकर ही डर गया। बड़े भारी-भारी सर्प थे वहाँ उसने दैत्यों को देखा, वे काले, कुरूप और उजड्डु थे। इतना कुरूप होना वह नहीं चाहता था। वह पृथ्वी पर आ गया।

‘मैं पक्षी बनूं तो उड़ता फिरूँगा। चाहे जहाँ के फल खा सकूँगा।’ वह सोच रहा था। इतने में उसने देखा हवाई जहाज। ‘ओह मनुष्य – यह भी उड़ता है।’ उसे डर लगा कि पक्षी बनने पर कोई मनुष्य गोली मार देगा।

Short Kahani Lekhan – ‘मैं जल में रहूँगा।’ उसने सोचा। परंतु जल में ऊपर जहाज और भीतर पनडुब्बी चल रही थी। मनुष्य का भय यहाँ भी था। जल में भी एक जीव दूसरे पर आक्रमण ही करते रहते हैं।

‘हाथी, सिंह—सब बलवान् पशु उसने देखे। मनुष्य सब को पकड़कर बंद कर लेता है। सब को सेवक बना लेता है। मनुष्य पृथ्वी पर रेल और मोटर से दौड़ता है। पानी और हवा में भी चलता है। पानी, हवा और बिजली से भी काम लेता है। हजारों कोसों की बात उसी समय सुनता है, गाना सुनता है, वहाँ की तसवीर भी देख लेता है। मनुष्य बड़ा बुद्धिमान् है और सुन्दर भी है। वह सोचते-सोचते लौटा।

‘वैकुण्ठ, साकेत, गोलोक और शिवलोक कैसे हैं और उनमें क्या है?’ उसने ब्रह्माजी से पूछा।

Short Kahani Lekhan – ‘वे बड़े विचित्र लोक हैं, वहाँ यहाँ के सूरज-चाँद का प्रकाश नहीं है। वे अपने ही तेज से प्रकाशित हैं, वहाँ भगवान् तथा उनके भक्त रहते हैं। वहाँ सदा रहनेवाला परम सुख है तथा नित्य सौन्दर्य है, वहाँ दुःख का पतातक नहीं।’ ब्रह्माजी ने बताया। देवता शीघ्रता से बोला- ‘तब मैं….. ब्रह्माजी ने उसे बोलने ही नहीं दिया। वे बीच में ही कहने लगे- ‘वहाँ तो केवल मनुष्य अपनी साधना एवं भक्ति से ही जा सकता है।’

‘तब मैं मनुष्य बनूँगा । देवता ने झटपट बता दिया। उसने देखा था कि ब्रह्माजी प्रसन्न न होते तो वह कुछ भी नहीं बन सकता था और मनुष्य तो देवता भी बन जाता है। ब्रह्माजी ने उसे मनुष्य बनाकर बताया-

‘नर तन सम नहिं कवनिउ देही ।’

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गाली पास ही रह गयीKahani for kids

Short Kahani Lekhan – एक लड़का बड़ा दुष्ट था। वह चाहे जिसे गाली देकर भाग खड़ा होता। एक दिन एक साधु बाबा एक बरगद के नीचे बैठे थे। लड़का आया और गाली देकर भागा। उसने सोचा कि गाली देनेसे साधु चिढ़ेगा और मारने दौड़ेगा, तब बड़ा मजा आयेगा; लेकिन साधु चुपचाप बैठे रहे। उन्होंने उसकी ओर देखातक नहीं।

लड़का और निकट आ गया और खूब जोर-जोरसे गाली बकने लगा। साधु अपने भजनमें लगे थे। उन्होंने समझ लिया कि कोई कुत्ता या कौवा चिल्ला रहा है। एक दूसरे लड़केने कहा – ‘बाबाजी ! यह आपको गालियाँ देता है न ?’

Short Kahani Lekhan – बाबाजीने कहा- ‘हाँ भैया, देता तो है, पर मैं लेता कहाँ हूँ। जब मैं लेता नहीं तो सब वापस लौटकर इसीके पास रह जाती हैं।’

लड़का- ‘लेकिन यह बहुत खराब गालियाँ देता है।’ साधु-‘यह तो और खराब बात है । पर मेरे तो वे कहीं चिपकी हैं नहीं, सब की सब इसीके मुखमें भरी हैं। इसका मुख गंदा हो रहा है।’

गाली देनेवाला लड़का सुन रहा था साधुकी बात। उसने सोचा, ‘यह साधु ठीक कह रहा है। मैं दूसरोंको गाली देता हूँ तो वे ले लेते हैं। इसीसे वे तिलमिलाते हैं, मारने दौड़ते हैं और दुःखी होते हैं। यह गाली नहीं लेता तो सब मेरे पास ही तो रह गयी। लड़कका बड़ा बुरा लगा, ‘छिः ! मेरे पास कितनी ‘गंदी गालियाँ हैं।’

Short Kahani Lekhan – अन्तमें वह साधुके पास गया और बोला-‘बाबाजी ! मेरा अपराध कैसे छूटे और मुख कैसे शुद्ध हो ?’

साधु – ‘पश्चात्ताप करने तथा फिर ऐसा न करनेकी प्रतिज्ञा करनेसे अपराध दूर हो जायगा। और ‘राम-राम’ कहनेसे मुख शुद्ध हो जायगा।’

बड़ों की बात मानो – Short Moral Stories in Hindi

Short Kahani Lekhan – एक बड़ा भारी जंगल था, पहाड़ था और उसमें पानीके शीतल निर्मल झरने थे। जंगलमें बहुत-से पशु रहते थे। पर्वतकी गुफामें एक शेर, एक शेरनी और शेरनीके दो छोटे बच्चे रहते थे। शेर और शेरनी अपने बच्चोंको बहुत प्यार करते थे।

जब शेरके बच्चे अपने माँ-बापके साथ जंगलमें निकलते थे, तब उन्हें देखकर जंगलके दूसरे पशु भाग जाया करते थे। लेकिन शेर-शेरनी अपने बच्चोंको बहुत कम अपने साथ ले जाते थे। वे बच्चोंको गुफामें छोड़कर वनमें अपने भोजनकी खोजमें चले जाया करते थे।

Short Kahani Lekhan – शेर और शेरनी अपने बच्चोंको बार-बार समझाते थे कि वे अकेले गुफासे बाहर भूलकर भी न निकलें। लेकिन बड़े बच्चेको यह बात अच्छी नहीं लगती थी। एक दिन जब बच्चोंके माँ-बाप जंगलमें गये थे, बड़े बच्चेने छोटेसे कहा- ‘चलो झरनेसे पानी पी आवें और वनमें थोड़ा घूमें। हरिनोंको डरा देना मुझे बहुत अच्छा लगता है।’

छोटे बच्चेने कहा- ‘पिताजीने कहा है कि अकेले गुफासे मत निकलना। झरनेके पास जानेको तो उन्होंने बहुत मना किया है। तुम ठहरो । पिताजी या माताजीको आने दो। हम उनके साथ जाकर पानी पी लेंगे।’

बड़े बच्चेने कहा – ‘मुझे प्यास लगी है। सब पशु

Short Kahani Lekhan – हमलोगोंसे डरते ही हैं। डरनेकी क्या बात है ?’ छोटा बच्चा अकेला जानेको तैयार नहीं हुआ। उसने कहा- ‘मैं तो माँ-बापकी बात मानूँगा। मुझे अकेला जानेमें डर लगता है।’ बड़े भाईने कहा- ‘तुम डरपोक हो, मत जाओ, मैं तो जाता हूँ।’ बड़ा बच्चा गुफासे निकला और झरनेके पास गया। उसने भर पेट पानी पिया और तब हरिनोंको ढूँढ़ने इधर-उधर घूमने लगा।

Short Kahani Lekhan – उस जंगलमें उस दिन कुछ शिकारी आये थे। शिकारियोंने दूरसे शेरके अकेले बच्चेको घूमते देखा तो सोचा कि इसे पकड़कर किसी चिड़ियाखानेको बेच देनेसे रुपये मिलेंगे। छिपे-छिपे शिकारी लोगोंने शेरके बच्चेको चारों ओरसे घेर लिया और एक साथ उसपर टूट पड़े। उन लोगोंने कम्बल और कपड़े डालकर उस बच्चेको पकड़ लिया।

बेचारा शेरका बच्चा क्या करता। वह अभी कुत्ते- जितना बड़ा भी नहीं हुआ था । उसे कम्बलमें खूब लपेटकर उन लोगोंने रस्सियोंसे बाँध दिया था। वह न तो छटपटा सकता था, न गुर्रा सकता था ।

Short Kahani Lekhan – शिकारियोंने इस बच्चेको एक चिड़ियाखानेको बेच दिया। वहाँ वह एक लोहेके कटघरे में बंद कर दिया गया। वह बहुत दुःखी था। उसे अपने माँ-बापकी बड़ी याद आती थी। बार-बार वह गुर्राता और लोहेकी छड़ोंको नोचता था, लेकिन उसके नोचनेसे छड़ टूट तो सकती नहीं थी । जब भी वह शेरका बच्चा किसी छोटे बालकको देखता

था, बहुत गुर्राता और उछलता था। यदि कोई उसकी भाषा समझता तो वह उससे अवश्य कहता- तुम अपने माँ-बाप तथा बड़ोंकी बात अवश्य मानना। बड़ोंकी बात न माननेय पीछे पश्चात्ताप करना पड़ता है। मैं बड़ोंकी बात न माननेसे ही यहाँ बंदी हुआ हूँ।’

सच है- Short Kahani Lekhan

जे सठ निज अभिमान बस सुनहिं न गुरुजन बैन। ते जग महँ नित लहहिं दुख कबहुँ न पावहिं चैन ॥

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