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Top And Best Short Moral Stories In Hindi For Class 1

भक्त रहीम – Short Moral Stories In Hindi For Class 1

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – परमात्मा श्री कृष्ण के अनन्य उपासक रहीमजी की गणना भक्तों में की जाती है। शाहजादा दारा, वजीर रहीम और रसखान —ये तीन मुसलमान भगवान् श्री कृष्ण चन्द्र के पक्के पुजारी हुए हैं । यहाँ पर केवल रहीमजी की विचित्र और शिक्षाप्रद जीवनी लिखी जाती है। रहीम के पिता बैरम खाँ ईरान से बादशाह बाबर के साथ भारतवर्ष में आये थे।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – बाबर और हुमायूँ बादशाह की सेवा बैरमखाँ ने बड़ी नेक नीयती के साथ की थी। शेरशाह हारकर जब हुमायूँ बादशाह ईरान की ओर भागे थे, तब काबुल और कंधार के हाकिमों ने बादशाह को पकड़ने की कोशिश की थी। उस समय स्वामि भक्त बैरमखाने ही उनके प्राण बचाये थे। एक सिपाही के दरजे से उन्नति करके बैरमखान ने सेनापति का दरजा प्राप्त किया था।

ईरान से लौटकर जब बादशाह हुमायूँ ने शेरशाह को हराया और दिल्ली का तख्त दुबारा अपने अधिकार में कर लिया, तब रहीम जी का जन्म हुआ था। आपका जन्मसमय सं० १६१३ वि० मार्गशीर्ष शु० १४ माना जाता है। बादशाह हुमायूँ ने आपका नाम ‘अब्दुर्रहीम’ रखा था।

जब रहीमजी कुछ बड़े हुए, तब बादशाह हुमायूँ ने उनका विवाह अपनी धायमाता अंगा की लड़की माहबानू के साथ कर दिया। गुजरात की लड़ाई में जब रहीमजी के पिता सेनापति बैरमखाँ मारे गये तब इनकी आयु केवल पाँच साल की थी। बादशाह हुमायूँ ने इनको होनहार समझ, सर्वदा अपने पास रखा और इनकी शिक्षा का समुचित प्रबन्ध किया ।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – इनकी कुशाग्र बुद्धि देखकर बादशाह ने इनको अपना मन्त्री बना लिया और खानखाना की पदवी से भूषित किया। रहीमजी ने ७२ साल की आयु में समाधि ली थी। इसलिये इन्होंने हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ चार बादशाहों के जमाने देखे थे और बराबर मन्त्री के पद पर काम करते रहे थे। रहीम जी पर सरस्वती और लक्ष्मी की समान कृपा थी।

आप भक्त भी थे और कवि भी बहुधा भक्त लोग कवि बन जाते हैं और कवि भक्त बन जाते हैं। परंतु रहीमजी में भक्ति और कवित्व दोनों के सागर लहरा रहे थे। यों तो रहीमजी ने फारसी और संस्कृत में भी कविताएँ लिखी हैं, परंतु हिंदी की कविता लिखकर तो आप अमर हो गये हैं।

वृन्द और विहारी की तरह पब्लिक ने रहीमजी को भी ‘दोहामास्टर’ की पदवी प्रदान की है। चौपाईमास्टर तुलसीजी की तरह दोहा मास्टर रहीम जी भी पब्लिक की जीभपर नाचा करते हैं। Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – दोनों महाकवियों की अनुभवपूर्ण वाणी दृष्टान्त के काम में लायी जाती है। हिंदी-प्रेमी लोग रहीमजी के आभारी हैं; क्योंकि उन्होंने उस समय हिंदी की सेवा की थी, जब वह नवजात शिशु के रूप में थी उसको विद्वान्लोग हेय दृष्टि से देखते थे।

रहीमजी के समय में गंग के सिवा अन्य कोई हिंदी का प्रसिद्ध कवि न था। रहीम कृत फारसी में मुआसिर रहीमी’ नामक एक पुस्तक है। उनकी बनायी हुई संस्कृत कविता पुस्तक का नाम ‘रहीमकाव्य’ है। रहीम जी की बनायी हुई हिंदी पुस्तक का नाम है-‘रहीमशतक।’ इसमें १२५ दोहे हैं। रहीमजी केवल कलम बहादुर ही न थे, आप तलवार बहादुर भी थे।

बादशाहों – Short Moral Stories In Hindi For Class 1

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – कई युद्धों में बादशाहों ने आपको सेनापति बनाकर मुहिम पर भेजा था। रामकृपा से आपको प्रत्येक संग्राम में विजय प्राप्त हुई थी। गुजरात के युद्ध में जब शरीर रक्षक ने पूछा कि युद्ध समाप्त होने पर मैं आपको कहाँ खोजें, तब आपने उत्तर दिया था-‘अगर जीत हो तो सबसे आगेके थोड़े पर मुझे खोजना और अगर हार हो तो सबसे पीछे की लाशों में मुझे खोजना।

‘ रहीम जी को इमारत का भी शौक था। आपने एक हवेली दिल्ली में, एक आगरे में और एक अहमदाबाद में बनवायी थी। साबरमती के किनारे पर सरखेच नामक गाँव की सीमा में रहीमजी का बनवाया हुआ ‘फतहबाग’ उस समय के बागों में सरनाम था। उस समय गुजरात में उसके मुकाबिले का कोई बाग नहीं था।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – यह बाग १२० जरीब में बना और दो लाख रुपया खर्च किया गया था। बाग का कोट पत्थर से बना है। बाग में एक आलीशान हवेली भी थी।

रहीमजी के हृदय में भक्ति, कविता, युद्धकला, उदारता, दानशीलता और निर्माण कला ने निवास किया था। रहीमजी वाहर से मुसल्मान थे और भीतर से हिंदू थे। जब जहाँगीर बादशाह ने काबुल फतह किया, तब उन्होंने भरे दरबार में रहीमजी से कहा

‘जो जीमें आये, एक बात माँग लो!’

रहीमजी – Short Moral Stories In Hindi For Class 1

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – तब रहीमजी ने खड़े होकर हाथ जोड़े और कहा ‘जहाँपनाहकी बादशाहत में गौकुशी न हो !’ कोई दूसरा होता तो धन, दौलत, पदवी और जागीर आदि माँगताः परंतु रहीमजी ने गोरक्षा की भीख माँगी। जहाँगीर के पिता बादशाह अकबर के जमाने में भी गो-वध बंद था। उसके कारण भी रहीमजी थे। रहीम और बीरबल की कोशिश से गंग कवि की कविता सुनकर अकबर ने गो वध बंद किया था।

रहीम जी खूबसूरत भी अव्वल नम्बर के थे। बादशाह हुमायूँ के खजांची की स्त्री आप पर मोहित हो गयी थी। उसका नाम था राधा। Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – एक दिन उसने रहीमजी को अपने मकान पर बुलाया और कहा ‘मैं तुमसे तुम्हारे जैसा एक पुत्र चाहती हूँ।’ नव यौवना और परम सुन्दरी एक रमणी की ऐसी बात सुनकर बड़े-बड़े योगी और त्यागी भी विचलित हो जाते हैं।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – परंतु भक्त रहीम हिमालय की तरह अचल रहे। उन्होंने कहा- ‘मुमकिन है कि मेरा बेटा मुझ सा पैदा न हो, इसके सिवा आपका नाम वही है, जो मेरी माता का नाम है। राधा और कृष्ण ही मेरे माँ बाप हैं। मेरे इस मिट्टी के शरीर के माँ-बाप चाहे जो हों, परंतु मेरी आत्मा के माँ-बाप तो वही हैं। अगर आप मुझ सा पुत्र चाहती हैं तो आजसे मुझी को अपना पुत्र मान लीजिये।’ इतना कहकर रहीमजी ने उस स्त्री के चरण छुए और उसकी गोद में अपना सिर रखकर रोने लगे।

वह स्त्री अत्यन्त लज्जित हुई और अपने मैले विचार पर पछताने लगी। उस दिनसे उन दोनों माँ और बेटे का सम्बन्ध बराबर चला आया था। इस घटना से साफ प्रमाणित होता है कि रहीमजी की भक्ति कितनी चढ़ी बढ़ी थी। रहीम जी को श्रीराधा-कृष्ण का उपासक न मानना घोर पक्षपात माना जायगा; क्योंकि रहीम जी की भक्ति का संयोग संयम से भी था ।

एक दिन – Short Moral Stories In Hindi For Class 1

रहीमजी पालकीपर बैठकर दरबारसे अपने मकानको जा रहे थे। रास्तेमें हीरा नामक एक कुम्हारने एक लोहेकी पंसेरी फेंककर मारी। उसने अपनी गरीबीसे उकताकर ऐसा किया था। उसने सोचा था कि प्रधान मन्त्रीपर प्रहार करनेसे मुझको अवश्य फाँसी हो जायगी।

‘नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं’ के कारण उसने मर जानेमें ही आराम देखा अकबर बादशाहके शासनकालमें यह घटना घटी थी। रहीमजीके शरीररक्षक सवार लोग हीराको पकड़नेके लिये दौड़े। परंतु आपने सबको रोका और उस पंसेरीको बड़े प्रेमसे अपने पास रख लिया। मकानपर पहुँचकर रहीमजीने उसी पंसेरीको तौलकर उतना ही सोना उस कुम्हारके पास भेज दिया। एक सिपाहीने कहा-‘हीराने तो फाँसीका काम किया था-सोना कैसा?

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Bhakt Rahim

‘ रहीमजीने उत्तर दिया- ‘तुम समझे नहीं। हीराने मुझे पारस समझकर लोहेका एक टुकड़ा स्पर्श कराया था।’ इस घटनासे साबित होता है कि प्रवीण भक्तोंकी तरह रहीमजी भी ‘गलित-अभिमान’ थे। पब्लिक कहती है कि सर्वसाधारणकी मतिसे भक्तोंकी मति उलटी हुआ करती है। इस घटनामें रहीमजीने पब्लिकके उक्त विचारकी कैसी सुन्दर पुष्टि की है।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – एक बार मक्केके शरीफने बादशाह अकबरके पास एक खत भेजा। उस पत्र लेखकने अरबीके कठिन कठिन शब्द भरर दिये थे। अकबर बादशाहने वह पत्र अपनी पार्लामेंटके सामने रख दिया कि जिसमें ९ मेम्बर थे। कोई भी उस पत्रका आशय न समझ पाया। अबुलफज़लने बादशाहसे कहा कि यह पत्र चौबीस घंटेके वास्ते मुझे दिया जाय

तो कोषकी सहायता से इसका मतलब निकालने की कोशिश की जाय। परंतु रहीमजीने उस पत्रको दीपकके सामने किया और उसे पढ़ते भी गये एवं साथ-ही-साथ अनुवाद भी करते गये। मौलाना शिवलीने अपनी किताबमें रहीमजीके लिये लिखा है-‘खानखाना रहीम कई इल्मोंके आलिम थे।

उनकी अरबी, फारसी और तुर्की कविताका नमूना मैंने अपनी किताबमें दिया है। लेकिन उनकी संस्कृत, हिंदी और राजपूती कविता मैं नहीं समझा, इसलिये नमूना नहीं दे सका। Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – तुरकी और फारसी तो रहीम साहबकी मादरी जवान थी, मगर अरबीकी शायरी भी फारसीकी शायरीसे कम नहीं है।’ इससे साबित होता है कि रहीमजीको विद्यासागर भी कह सकते हैं। आप संसारकी तीस भाषाओंमें बातचीत कर सकते थे। (६)

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – एक बार बादशाह अकबरने रहीमको महाबतखाँपर चढ़ाई करनेका हुक्म दिया, जिसने दक्षिणमें बगावत फैला रखी थी। सेना लेकर रहीमजी बीजापुर जा पहुँचे। महाबतखाँने छलकी चाल चली। ऊपरी दिलसे रहीमकी खुशामद की और सुलहका संवाद भेजकर अपने किलेमें निमन्त्रण दिया। सरल हृदयके रहीमजी उसके चकमेंमे आ गये। कुछ सिपाही साथ लेकर रहीमजी किलेके फाटकपर जा पहुँचे।

उसी समय आकाशपर भगवान् श्रीकृष्णजीकी दिव्य मूर्ति प्रकट हुई। भगवान्ने रहीमजीको भीतर जानेसे मने किया । इष्टदेवके आज्ञानुसार रहीमजी तुरंत पीछे लौट गये। बादमें उनको मालूम हुआ कि अगर वह किलेमें जाते तो जानसे मार डाले जाते। Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – विश्वासघाती महाबतखाँको युद्धमें परास्त करके और गिरफ्तार करके रहीमजी उसको अकबरके सामने ले गये। यह घटना बतलाती है कि भक्त रहीमजीने अपने इष्टदेवके कई बार दर्शन किये थे!

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – एक दिन शाहजहाँका मुँहलगा सुन्दरलाल नामक एक ब्राह्मण रहीमजीके सामने कहने लगा-‘ब्राह्मणका दर्जा विष्णुभगवान् से भी बड़ा है; क्योंकि भृगुजीने विष्णुभगवान्‌की छातीमें लात मार दी थी और

विष्णुभगवान्ने उलटी खुशामद की थी।’ यह बात सुनकर रहीमजीसे चुप न रहा गया। भृगुजीकी धृष्टतापर विष्णुजीने जो नम्रता दिखलायी, उसका कारण रहीमजीने बड़ी मार्मिकताके साथ इस दोहेमें प्रकट किया छिमा बड़ेन कहँ चाहिये, छोटेन कहँ उतपात ।

का ‘रहीम’ प्रभु कर घटेउ, जो भृगु मारी लात ॥

-रहीमजी इस दोहेको सुनकर सुन्दरलाल लज्जित हुआ सो तो हुआ ही, रहीमका जानी दुश्मन भी हो गया था। इसीके कहनेसे रहीमजीको बुढ़ापेमें शाहजहाँने कैद कर दिया था। शाहज़ादा दाराने उनको छुड़ाया था।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – जब शाहजहाँ बादशाह हुए तो उन्होंने रहीमजीको दीवानपदसे हटा दिया और उनको दाराका मास्टर बनाया। दीवानपद मिला उसी सुन्दरलालको। उसकी अनीतिसे सारी बादशाहत अकुला उठी थी। वह बड़ा धूर्त और स्वार्थी था। उसके ऊपर रहीमजीने यह दोहा कसा जौ ‘रहीम’ छोटो बढ़े, तौ अति ही इतराइ ।

प्यादा सौं फ़रज़ी भयौ टेढ़ौ-टेढ़ौ जाइ ॥

-रहीमजी रहीमजीके इसी दोहेपर नाराज होकर सुन्दरलालने बादशाह शाहजहाँसे कहा था- ‘जहाँपनाह! शाहज़ादा दाराको रहीमने बिगाड़ दिया । वह दोनों रात-दिन गीता पढ़ा करते हैं। आजकल उपनिषदोंका अनुवाद फारसीमें कराया जा रहा है। कई लाख रुपये इस काममें खर्च किये जायँगे।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – रहीमने दाराको पूरा हिंदू बना दिया है। खुदावंदके बाद इसलामी बादशाहत खत्म हो जायगी; क्योंकि युवराज दारा ही बादशाह होंगे, जिनको रहीमने हिंदू बना दिया है। हुजूरने वाकई गलती की जो उस पागलको शाहजादेका उस्ताद बनाया।’ इस स्थलपर यदि पाठक कुछ विचार करेंगे तो एक विचित्र बात पायेंगे। सुन्दरलालका शरीर हिंदू था, परंतु मन मुसल्मान था। इसके विपरीत रहीमजीका शरीर मुसल्मान था

परंतु मन हिंदू था । सचमुच ही रहीमने दाराको दूसरा रहीम बना दिया था। इसी घटनापर बादशाहने रहीमजीको कैद किया था। उस समय आपने यह दोहा कहा था

‘रहिमन’ चुप है बैठिये देखि दिनन कौ फेर।

जब नीके दिन आइहैं बनत न लगिहैं बेर ॥

छः महीने जेल में रहनेके बाद एक दिन आधी रातके समय दाराने कमन्दके द्वारा रहीमजीको मुक्त किया। आँसू भरकर शाहजादेने कहा- ‘उस्ताद ! Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – कहीं रहो- भेष छिपाकर रहना। खर्चकी ज़रूरत पड़े तो मुझसे मँगा लिया करना।’ रहीमजीने बाहर निकलकर फकीरी भेष बनाया। दिल्लीमें ही एक तकियापर रहने लगे। जो लोग रहीमजीकी दानशीलतासे परिचित हो चुके थे, वे वहाँ भी पहुँचने लगे। तब रहीमजीने कहा था

धरती ऊपर सयन करि, माँगि मधुकरी खाहिं । यारो यारी छोड़ि दो, वे रहीम अब नाहिं ॥

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – जब देखा कि फकीरी भेषमें पहचान लिये जायँगे, तब भगत रहीमजीने मज़दूरी भेष बनाया और एक भुरजीका भाड़ झोंकने लगे। एक दिन एक मित्रने उन्हें पहचान लिया और कहा- हाय! आप यह क्या करते हैं?’ तब रहीमजी बोले

मालिक की मरजी भई, पलट दियौ संसार ।

भार झोंकि कै भार में, ‘रहिमन’ उतरे पार ॥

रहीमजीने जो कुछ कमाया था, सब दान दे दिया; भक्तों और कवियोंके तो आप कल्पतरु थे। हिंदीके प्रसिद्ध कवि गंगपर इतने प्रसन्न हुए कि कई बारमें लाखों रुपये दे दिये। जैसे राजा भोजने संस्कृतकी नयी कवितापर खज़ाना खोल दिया था, उसी तरह रहीमजीने हिंदीकी नयी कविताके लिये अपना खज़ाना खोल दिया था। रहीमजी हिंदीके एक जनक थे। जिस समय रहीमने बीजापुर विजय किया था, उस समय शत्रुपक्षसे तीस लाख रुपया नज़राना मिला था। रहीमजीने वह

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – सब रुपया गरीबोंमें बाँट दिया था। स्त्रीके मरनेके बाद आपने विवाह नहीं किया और जीवनको राम भजनमें लगा दिया। रहीम की दानशीलता सीमाको पार कर गयी थी। एक दिन एक नवयुवक हिंदू रहीमजीके पास गया और कहने लगा- ‘मैं एक रमणीपर मोहित हूँ। परंतु वह एक लाख रुपया लेकर विवाह करना चाहती है।

मैं उसके बिना जिंदा नहीं रहूँगा।’ रहीमजीने उसे दो लाख रुपये दिये और कहा – ‘एक लाख अपनी स्त्रीको देना और एक लाख तुम अपने पास रखना। नहीं तो धनवान् स्त्री निर्धन पतिसे अनुराग नहीं रखेगी।’ रहीमजीकी दानशीलतापर कवि गंगजीने यह दोहा बनाया था—

बिक्रम गंगा तुल्य जग, भोज जमुन अनुराग । प्रकट खानखाना भयौ, कामद बदन प्रयाग ॥

-गंगजी यानी दानशीलतामें महाराजा विक्रमादित्यजी गंगाजीके समान शोभा दे रहे हैं और महाराजा भोजका दीन प्रेम यमुनाजीके समान लहर मार रहा है। इन दोनों गंगा और यमुनाके मध्यमें रहीमजी प्रयागकी तरह शोभा दे रहे हैं।

Short Moral Stories In Hindi For Class 1 – रहीमजीकी प्रगाढ़ और हार्दिक भक्तिका दर्शन इन दोहोंमें कीजिये अमरबेलि बिनु मूल के प्रतिपालत जो ताहि । ‘रहिमन’ ऐसे प्रभुहि तजि खोजत फिरिये काहि ॥ रन बन व्याधि बिपत्तिमें ‘रहिमन’ मरौ न रोय। जो रच्छक जननी जठर, सो हरि गये न सोय ॥ तैं ‘रहीम’ मन आपुनौ कीन्हौ चारु चकोर । निसि बासर निरखत रहै, कृष्णचंद्र की ओर ॥ ‘रहिमन’ कोऊ का करै ज्वारी चोर लबार ।

जो पत-राखनहार है माखन चाखनहार ॥ इस प्रकार ७२ सालकी आयुमें आपने समाधि ली। दिल्लीमें आपका मकबरा है।

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