Short stories with moral – अरब के बादशाह का एकमात्र शाहजादा मर गया था। उम्र थी चौदह साल, पूरा कुरान कण्ठस्थ और सुरत में फरहाद की तरह खूबसूरत था। बादशाहत में कुहराम मच गया। बेगम साहेबा पागल हो गयीं और बादशाह सात दिनतक चुप रहा। शाहजादे की लाश एक नाव में सरसों का तेल भराकर रखवा दी गयी।
इतवार के दिन बादशाह ने दरबार किया। अरब के सब आलिम खास तौर से बुलाये गये थे। बादशाह ने भाषण दिया ‘लिखा है कुरान शरीफ में-कि फकीर कहते हैं उसको-जो कर दे जिन्दा को मुरदा और कर दे मुरदे को जिन्दा ! अगर यह सच है तो लाओ एक साल के अन्दर- किसी ऐसे फकीर को-जो करे शाहजादे को जिन्दा! वरना—अरब की तमाम कुतबे कुरान की होली खेली जायगी-और तमाम मौलवी चढ़ेंगे – सूली पर ।’
मौलवियों – Short stories with moral
मौलवियों की बधिया बैठ गयी। चेहरों पर दो बज रहे थे। जिस कुरान से वे अपनी जीविका चला रहे थे उसके प्रति एकदम अश्रद्धा पैदा हो गयी। नशे की हालत में ही मुहम्मद साहब ने ऐसा लिख मारा होगा ! उसी नशे की बदौलत आज सूली का हुक्म सुनना पड़ा। गजब की भी टाँग तोड़ दी ! बेकसूर – सूली ।
आलिमों ने अपना एक इजलास किया। भूगोल के समस्त देशों में एक एक आलिम भेजा गया। बादशाह ने उन लोगों को सफर खर्च के लिये एक-एक लाख रुपये दिये और कहा कि ‘अगर तुम लोग फरार हो गये तो तुम्हारे बाल-बच्चों का कत्ले-आम किया जायगा।’ भारत के लिये जो मेम्बर चुना गया था उसका नाम फैजी था ।
उस समय भारत पर बादशाह अकबर का शासन था। फैजी ने अकबर को सारी घटना सुनायी। अकबर ने अपने प्रधान मन्त्री राजा बीरबल को बुलाया। सारा माजरा सुनाकर राय पूछी।
बीरबल – Short stories with moral
बीरबल – ‘ऐसे तीन फकीरों को तो मैं जानता हूँ कि जो मुरदे को जिन्दा कर सकते हैं। जिन्दे को भी वे मुरदा कर सकते हैं। तीन के अलावा और भी होंगे, परंतु उनको मैं जानता नहीं।’
अकबर – ‘वाह रे बीरबल ! इसीलिये आज तुम मुसल्मानी बादशाह के प्रधानमन्त्री हो । भला, उन तीनों फकीरों के नाम और धाम तो बताओ।’ बीरबल – ‘ (1) वृन्दावनके महात्मा सूरदास, (2) अयोध्याके महात्मा तुलसीदास और (3) काशी के फकीर कबीर साहब!’ अकबर- ‘तीनों फकीरों को मेरे नाम से खत लिख दो और बेचारे फैजी को आज ही रवाना करो। अरब के आलिमों के बाल-बच्चों का क्या हाल होगा?”
दिल्ली से चलकर फैजी ने वृन्दावन में महात्मा सूरदास जी से भेंट की। महात्माजी ने उत्तर दिया ‘व्रजमण्डल को – जो ८४ कोस के घेरेमें है— छोड़कर मैं कहीं नहीं जा सकता। अगर तुम शाहजादे को यहाँ ला सको तो श्याम सुन्दर की लीला से उसे जीवित पा सकते हो।’

short stories with moral – वहाँ से चलकर फैजी अवध में आये। बादशाह का पत्र पढ़कर महात्माजी ने उत्तर दिया ‘मेरा जीवन ठेठ हिंदू-जीवन है। मेरे आचार-विचार की रक्षा अरब जैसे मुसल्मानी राज्य में नहीं हो सकती। अगर तुम उस लड़के को यहाँ ले आओ तो रामजी समर्थ हैं। कोई बात नहीं— काम हो जायगा।’ वहाँ से चलकर फैजी ने काशी में कबीर साहब से भेंट की और बादशाह अकबर का खत दिया।
कबीर – Short stories with moral
कबीर साहब ने कहा ‘मुहम्मद साहब की इज्जत बचाने के लिये मैं अरब चलने को इसी समय तैयार हूँ। अगर चे पण्डितों और मौलवियों से मेरा मत नहीं मिलता, मगर महात्माओं की पैठ को डूबने नहीं दूँगा।’
अरब के सुल्तान ने ज्यों ही फैजी के साथ एक फकीर को आता हुआ देखा त्यों ही वह सिंहासन से उतरकर खड़ा हो गया और बोला लिखा है कुरान शरीफ में- कि मालिक ने तीन लड़के पैदा किये। मुनासिब है गरीब को कि जब कोई अमीर उसके पास आये तो चारपाई छोड़ खड़ा हो जाय। लाजिम है अमीर को – जब कोई फकीर सामने आये तो तख्त छोड़ जमीन पर खड़ा हो जाय।
वरना मालिक होगा खफा और ताजोतख्त चला जायगा जहन्नुम में!’ कबीर साहब ने हुक्म दिया कि शाहजादे की लाश लायी जाय। जब शाहजादे की लाश सामने रख दी गयी, तब दोनों हाथ आसमान की तरफ उठाकर कबीर साहब ने कहा- ‘उठ, खुदा के हुक्म से!’ परंतु शाहजादा जीवित न हुआ तब कबीर साहब ने कहा- ‘उद कुदरत के हुक्म से!’ परंतु शाहजादा जिन्दा न हुआ।
Short stories with moral – अन्त में कबीर साहब ने कहा “उठ मेरे हुक्म से।’ तुरंत शाहजादा जीवित हो गया। बादशाह ने उसे छाती से लगा लिया। दरबार में खुशी नाचने लगी। शाहजादे को बेगम के पास भेजकर बादशाह ने कबीर साहब से कहा ‘लिखा है कुरान शरीफ में कि जो अपने को साबित करे खुदा से बड़ा—उसको काफिर समझो और उसका सिर धड़से जुदा कर दो। इसलिये आप मरने के लिये तैयार हो जाइये।’
कबीर – Short stories with moral
कबीर साहब – बन्दा (जीव) खुदा (परमात्मा) से बड़ा नहीं हो सकता। जो ऐसा कहता है, वह जरूर पागल है; किंतु मैं पागल नहीं । बादशाह – कुदरत और खुदा के हुक्म से शाहजादा जिन्दा न हुआ। आपके हुक्म से जिन्दा हुआ। अब बतलाइये कि आपका रुतबा खुदा के रुतबा से बड़ा साबित होता है या नहीं? कबीर नहीं। Short stories with moral – आपकी अक्ल का फेर है खुदा ने यह दिखाया – कि-‘भगत के बस में हैं भगवान्!’ तब बादशाह का मलाल मिट गया। कबीर और फैजी भारत में वापस आये वही फैजी अकबर के नवरत्न का एक मेम्बर बना था और भारत में रहने लगा था ।
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