School Homework | Best Moral Stories For Kids in Hindi in 2022

चींटी और टिड्डा – Best Moral Stories In Hindi | Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi | Dadimaa Ki Kahaniya 2022

हेलो दोस्तों मै हूँ केशव आदर्श और आपका हमारे वेबसाइट मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में स्वागत है आज जो मै आपको कहानी सुनाने जा रहा हु | उसका नाम है The Ant And Grasshopper – चीटी और टिड्डा | यह एक Moral Stories For Kids और Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi की कहानी है और इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है और आपको बहुत बढ़िया सिख भी मिलेगी | मै आशा करता हु की आपको ये कहानी बहुत अच्छी तथा सिख देगी | इसलिए आप इस कहानी को पूरा पढ़िए और तभी आपको सिख मिलेगी | तो चलिए कहानी शुरू करते है आज की कहानी – The Ant And Grasshopper – चीटी और टिड्डा।

चींटी और टिड्डा -The Ant And grasshopper | Moral Stories In Hindi | Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi | Dadimaa Ki Kahaniya

बहुत समय पहले एक घास के मैदान में एक चीटी और एक टिड्डा रहा था | moral stories in hindi – चीटियाँ दिन भर बहुत काम करती थी | दूर खेतो से गेहू के दाने लाने जैसा कठीन कार्य वो करती थी | उनका यह कार्य बड़े अनुशासन से चलता था | हर सुबह जल्दी में रहती थी |वह आपने सर पर बड़े ही भारी गेहूं के दाने लेकर संतुलन संभालते घर जाती थी |

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गेहूं का हर एक ताला बड़े ध्यान से कप में रखती | पर दाने लाने के लिए फिर से वापस जाती | पूरा दिन बिना थके तथा बिना रुके आती और गेहूं के दाने ध्यान से कप में रखती | Panchtantra Ki Kahaniya – उधर एक आलसी टिड्डा दिन भर छांव में आराम करता और गाने गाता था| भविष्य में क्या होगा इसकी फिक्र किए बिना वह आरा आराम से जीता था |

उसे दिन भर काम करने वाली बेचारी चीटियों पर दया आती थी| दिन बीत रहे थे| Panchtantra Ki Kahaniya – तब भी टिड्डा आलस भरा घास पर कूदता आराम से स्वादिष्ट खाना खाता और गाना गाते गाते आराम से जी रहा था जब चीटियां दाना लेकर घर में अच्छे से संभाल कर रख रही थी और मेहनत कर रही थी |

एक दिन हर रोज की तरह चिड़िया दाना ले आ रही थी तभी उनमें से एक चींटी भारी दानो की वजह से नीचे गिरी इसलिए वह बुरा मन कर रोने लगी | उसे मदद करने की बजाय पीड़ा उसे देख कर हंसने लगा | Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi – टिड्डे महाशय ये दाना मेरे घर तक उठा कर ले जाने में आप मेरी मदद करेंगे क्या मैं आपकी बहूत अभारी रहूंगी |

चीटी के बातो को अनसुना कर के टिड्डा अपने ही संगीत में धुन रहा गया चीटी ने अकेले ही अपनी मेहनत से दाना उठाया और वो चली गई| तुम इतनी मेंहनत क्यों करती हो प्यारी चीटी टिड्डे ने पुछा थोड़ा आओ थोड़ा आराम कर लो| थोड़ा मेरा गाना भी सुनो | गर्मी है दिन भी बड़ा है किस लिए भोज उठाने में वक्त गवा रही हो |

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चीटी ने अनसुना करके अपना घर गरदन घुमा ली | थोड़ा सा जल्दी में ही वह खेत की तरफ वह रवाना हो गई| तभी टिड्डा ज़ोर से हस्सा तुम बड़ी बेवकूफ चीटी हो टिड्डे ने फिर से उसे पुकारा आओ आओ और मेरे साथ नाचो गाओ काम को भूल कर घर का थोड़ा सा मजा लेते हैं|

बारिश का मौसम है इसलिए खाना इकट्ठा करने में लगी हूँ चीटी ने कहा और तुम्हें भी ऐसा ही करना चाहिए बारिश की चिंता इतनी क्यों करनी है टिड्डे ने जवाब दिया अभी तो हमारे पास बहुत सारा खाना है और Dadimaa ki kahaniya – बहुत सारा वक्त है बरसात की तैयारी के लिए | चींटी को समझ आ गया था की वो क्या कर रहा हैइसलिए वह अपने रास्ते निकल गई इधर टिड्डा पूरी ऋतू में अपने ही नाच – गाने में व्यस्‍त रह गया |

सारे दिन काम कर के बारिश की तयारी करने के बजाय उसे खेलना नाचना गाना इन्हे महत्व दिया | ये सुन्दर गर्मी के दिन हमेशा रहने वाले नहीं है और जल्द ही बारिश और उसके बाद सर्दी आने वाली है ये तो वो भूल ही गया था | जल्दी ही गर्मी का मौसम बारिश में बदल गया और बारिश के बाद सरदी का मौसम आया |

सूरज अब बहुत ही कम दिखता था दिन छोटा था धुँधला और रात बहुत बड़ी और अंधेरी थी | हर तरह से आने पर सर्दी और बर्फ गिरनी शूरू हो गई थी | टिड्डा सरदी से कांपने लगा | और खुद को सुखे पत्तो से बचने की कोशिश में थकने लगा | Dadimaa ki kahaniya – परंतु हवा जोर से आने पर उसे थंड लगती थी उसे बहुत भूख लगी थी और खाने के लिए कुछ मिला नहीं था |

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उससे पता चला की अगर खाने को कुछ भी नहीं मिला तो वो जल्द ही मार जाएगा | वो कामजोर हो गया था जल्द उसे समझ आ गया की चीटियाँ सही थी | उसे भी तैयारी करनी चाहिए थी | टिड्डे को अब नाचना गाना पसंद ही नहीं आ रहा था | सर्दी से वह भुखा था उससे बर्फ से बचने के लिए न घर था न खाने के लिए खाना था |

सारी हरियाली और खेत बर्फ से लिपटी थी और खाने के लिए कुछ भी नहीं था | अब में कहा जाऊ? मैं क्या करू? टिड्डे को पछतावा हुआ इस बार की सर्दी हर बार से बहुत ज्यादा है | Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi – तभी उसने देखा की चीटियाँ गर्मी में इकट्ठा किया हुआ खाना खाने का आनंद ले रही है | मैं चीटी के पास जाता हूं | वहाँ मुझे खाना मिलेगा | और रहने के लिए जगह भी |टिड्डे को अपने आप पर शर्म आयी | वह थककर चिति के घर तक गया और उसने दरवाज़े पर आवाज़ लगायी |

नमस्ते चीटियों वह मुस्कुराते हुए बोला | मै आ गया तुम लोगो के लिए गण गाने | लेकिन उसके लिए मुघे थोड़ी सी गर्मी चाहिए | और कुछ खाना भी ताकि मै गा सकूँ | नहीं – नहीं टिड्डे महाशय हमें आपका गाना सुनने की कोई इच्छा नहीं है | Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi – टिड्डे ने उनसे घर में रहने के लिए गिदागिड़ा कर बिनती की और जिंदा रहने के लिए खाने की बीक मांगी |

चीटी ने टिड्डे से कहा क्या आपने सर्दी के लिए आपने कोई इंतजाम नहीं किया | तो गर्मियों में आखिर आप कर क्या रहे थे ? वो…. वो…. मुझे खाना जमा करने के लिए समय ही नहीं मिला टिड्डे ने अपना कारण बताया | मै संगीत में इतना व्यस्त था की में वो में समझ ही नहीं पाया की गर्मी का समय कब निकला गया |

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चींटियों ने उसकी तरफ गौर से देखा | और दरवाज़ा बंद कर अपने – अपने काम पर चली गई | Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi – एक चीटी जिस पर टिड्डा हँस पड़ा था | उसके तरफ मुड़कर बोली पूरी गर्मी के मौसम में मै काम करती रही और तुम गाना बजते और मेरा मजाक उड़ाते रहे अब तुम्हारे लिए मेरे पास ना खाना है और ना रहने के लिए आसरा है | सर्दी के मौसम के लिए तुम्हे अपने बारे में सोचना चाहिए था चीटियों ने टिड्डे के मुँह पर दरवाजा बंद किया और टिड्डा रोने लगा |

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