Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022

Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022

हेलो दोस्तों मै हूँ केशव आदर्श और आपका हमारे वेबसाइट मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में स्वागत है आज जो मै आपको कहानी सुनाने जा रहा हु |

उसका नाम है Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022 यह एक Moral Stories For Kids और Motivational Story In Hindi और Best Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022 की कहानी है और

Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022 – इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है और आपको बहुत बढ़िया सिख भी मिलेगी | मै आशा करता हु की आपको ये कहानी बहुत अच्छी तथा सिख देगी | इसलिए आप इस कहानी को पूरा पढ़िए और तभी आपको सिख मिलेगी | तो चलिए कहानी शुरू करते है

आज की कहानी –Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022

Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022
Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022 –moralstoriesinhindi.in

Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022

1. मूर्खों की नामावली

एक दिन बादशाह अकबर के दरबार में अरब देश से घोड़ों का एक सौदागर घोड़ों को बेचने आया। बादशाह को उसके घोड़े बेहद पसंद आए। उसके पास जितने भी घोड़े थे-सभी को बादशाह ने खरीद लिया तथा और घोड़े लाने का हुक्म दिया। सौदागर दूर देश का है, यह सोचकर बादशाह ने उसे हज़ार मुद्राएँ पेशगी में दे दीं, जिससे वह घोड़े जल्दी ला सके। लेकिन बादशाह उसका नाम-पता पूछना भूल गए। पेशगी लेकर वह सौदागर अपने देश चला गया।

कुछ समय पश्चात् एक दिन बादशाह अकबर बीरबल से बोले, “वैसे तो मूर्खो की संख्या बेहद कम है, फिर भी जो मूर्ख हैं, उनकी सूची हम देखना चाहते हैं। इसलिए इस राज्य में जितने भी मूर्ख हैं, उनकी सूची बनाकर पेश करो।”

बीरबल ‘बहुत अच्छा’ कहकर मूर्खों की सूची तैयार करने चले गए।

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अगले दिन बादशाह को बीरबल ने मूर्खों की सूची पेश की। उस सूची में बहुत से नाम थे। सबसे पहले बादशाह का नाम था, जिसे देखकर बादशाह को बहुत आश्चर्य हुआ और उन्होंने बीरबल से इसकी वजह पूछी।

बीरबल ने शांत स्वर में जवाब दिया, “आलमपनाह! अरब देश से घोड़ों का जो सौदागर ह आया था उसका नाम-पता बिना पूछे ही आपने हज़ार मुद्राएँ उसे पेशगी में दे दीं। अगर वह घोड़े नहीं लाया तो आप उसका क्या कर सकते हैं, आपको तो उसका नाम-पता भी नहीं मालूम, क्या यह मूर्खता नहीं? इससे बड़ी और कौन-सी मूर्खता हो सकती है!”

Some Moral Stories In Hindi – बादशाह अकबर मन-ही-मन अपनी गलती को सोचकर पछताने लगे, लेकिन बीरबल की बातों से उन्होंने हार न मानी और वे बोले, “मान लो, अगर सौदागर घोड़े ले आया, तब?” बीरबल ने जवाब दिया, “बादशाह सलामत! तब मैं आपका नाम काटकर उसकी जगह सौदागर का नाम लिख दूँगा।” बीरबल की इस बात से बादशाह को बेहद आश्चर्य हुआ कि बीरबल ने कितनी निर्भीकता से उन्हें मूर्ख कह दिया था |

2. जल का महत्व

अध्याय परिचय जल सभी जीव-जंतुओं की मूलभूत आवश्यकता है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। हमें जल को व्यर्थ व्यय नहीं करना चाहिए। जल को प्रदूषित करना भी हमारे लिए हानिकारक है।

महक वॉशबेसिन पर खड़ी दाँत साफ कर रही थी । उसने वॉशबेसिन का थोड़ा-सा नल खोल रखा था, जिससे जल की मोटी-मोटी बूँदें लगातार गिर रही थीं। तभी महक के कानों में किसी के सुबकने की आवाज आई। महक ने इधर-उधर देखा, पर वहाँ उसे कोई दिखाई नहीं दिया। वह सोचने लगी कि आखिर यह सुबकने की आवाज कहाँ से आ रही है।

जल की बूँदों ने कहा- “इधर-उधर क्या देख रही हो, महक! यह मैं हूँ जल मेरा नाम पानी है। मुझे और भी कई नामों से पुकारा जाता है।” “पर तुम सुबक क्यों रहे हो ?” -महक ने पूछा। “तुमने नल को ठीक से बंद नहीं किया। लगातार बूँद के रूप में तुम मेरा व्यर्थ व्यय कर रही हो?” -जल ने उत्तर दिया।

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“क्या तुम्हें नहीं पता मैं कितना अनमोल हूँ? मेरे न होने पर तुम्हें कितनी परेशानी हो सकती है। मैं तुम्हारे जीवन का आधार हूँ। मुझमें अनेक जीव-जंतुओं का निवास भी है। तुमने मेरी उपेक्षा की है।”-जल ने आगे कहा।

महक बोली – “मुझे माफ कर दो, जल भैया । मैंने भूलवश नल खुला छोड़ दिया। पर जल भैया, बताओ तो आप कहाँ रहते हो? आपका स्वरूप क्या है? आप क्या-क्या करते हो? आपकी… ?”

“बस-बस…..रुको! एक साथ इतने सारे सवाल करोगी, तो मैं जवाब कैसे दे पाऊँगा और सवाल समझ में भी नहीं आएँगे।”

“मैं नदी, झील, सागर, तालाब, महासागरों आदि स्थानों पर रहता हूँ।”

“पर तुम तो वर्षा में भी दिखते हो?”

“हाँ, वर्षा में भी मैं ही हूँ। मैं तुम्हें बताता हूँ। दिन समय सूर्य की गर्मी से मैं गर्म होकर वाष्प में बदल जाता हूँ। फिर वाष्प के रूप में हल्का होकर वायु उठ जाता हूँ। अधिक ऊँचाई पर जाकर मैं ठंडा होकर छोटी-छोटी बूँदों में बदल जाता हूँ। छोटी-छोटी बूँदें बादलों को बनाती हैं। जब बहुत सारी बूंदें बादलों में इकट्ठी हो जाती हैं,

Hindi Moral Stories Small – तो मैं वर्षा बनकर धरती पर बरस जाता हूँ।” के साथ मैं ऊपर “पर जल भैया, वर्षा का जल कहाँ जाता है?”-महक ने बीच में टोकते हुए कहा। “मैं फिर झीलों, नदियों, तालाबों, सागरों और महासागरों में चला जाता हूँ।

मैं जब ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर गिरता हूँ, तो अधिक ठंड के कारण बर्फ के रूप में जम जाता हूँ। मैं फिर गर्मी पाकर पिघल जाता हूँ। इस प्रकार प्रकृति में मैं अपना रूप बदलता रहता हूँ। अब तो तुमने जान लिया होगा कि मेरे कितने रूप हैं।”
“वह तो ठीक है, जल भैया।

पर तुम हमारे लिए कैसे महत्वपूर्ण हो?” महक ने कहा। “देखो, तुम मुझसे ही हाथ-मुँह धोती हो, नहाती हो और कपड़े धोती हो। जब तुम्हें प्यास लगती है, तब तुम मुझको ही पीती हो, जो खाना तुम खाती हो, वह भी मुझ में ही पकता है। सभी पशु-पक्षी भी मुझे ही पीते हैं। किसान मुझसे ही पेड़-पौधों की सिंचाई करते हैं।

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मछलियाँ मुझमें ही रहती हैं। मैं बाँधों में जमा होता हूँ। तुम्हें उजाला देने के लिए बिजली भी मुझसे ही बनती है।”

महक ने जल से सवाल किया- “जल भैया, एक बात बताओ, जब प्रकृति में आपका चक्र निरंतर चलता रहता है, तब व्यर्थ कहाँ हुए?”

“बिलकुल सही पूछा तुमने। दरअसल पृथ्वी पर मैं अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध तो हूँ। परंतु आप सबने मुझे कई प्रकार से बहुत गंदा कर दिया है, जिससे मैं स्वच्छ रूप से कम होता जा रहा हूँ। मेरे गंदा होने पर आप बीमार पड़ सकते हो। अतः मुझे साफ रखो । अगर मैं साफ रहूँगा, तो तुम अस्वस्थ नहीं रहोगे ।”

“मेरा प्रयोग सावधानीपूर्वक करो। मुझे प्रयोग करने के बाद नल बंद कर दो। यदि नल खराब हो, तो उसकी तुरंत मरम्मत करवा दो। स्कूल की बोतल का बचा पानी पौधों में डाल दो।

Small Moral Stories In Hindi – फल और सब्जियाँ जिस जल में धोई हैं, उसे भी पौधों में डाल दो। इससे मेरा उचित प्रयोग होगा। मैं अनमोल हूँ। मेरी जरूरत सबको है। मुझे कभी बरबाद न करना, तभी तुम सब स्वस्थ और प्रसन्न रहोगे।”

जल के महत्व को जानकर महक बहुत खुश हुई। उसने जल को इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए धन्यवाद किया तथा यह वादा किया कि न तो वह स्वयं कभी जल व्यर्थ करेगी और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकेगी।

3. काम की महिमा

अध्याय परिचय व्यक्ति का नाम व्यवहार मात्र के लिए होता है। इसके द्वारा उसके गुणों चरित्र का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अतः किसी भी व्यक्ति का सम्मान अथवा निरादर उसके नाम के आधार पर नहीं, बल्कि काम के आधार पर होता है। जीवन में नाम को नहीं, काम को महत्व देना चाहिए।

Small Short Stories With Moral Values In Hindi – आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले तक्षशिला एक विशाल विश्वविद्यालय था। देश-विदेश से विद्यार्थी इस विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने आते थे। उसी समय की बात है-एक विद्यार्थी था, उसका नाम ‘पापक’ था।

बच्चों को चाहिए क्या? वे उसे ‘पापक’ – ‘पापक’ कहकर चिढ़ाते थे। बेचारे पापक का मन पढ़ने में नहीं लगता था । अकेला बैठ वह अपने माता-पिता को कोसता, जिन्होंने उसका ऐसा नाम रखा था।

एक दिन उससे न रहा गया और वह अपने आचार्य के पास जाकर बोला- “आचार्य, मेरा मन पढ़ने में नहीं लगता है। मैं हमेशा यही सोचता रहता हूँ कि इस नाम से किस प्रकार छुटकारा मिले और अपने सहपाठियों के उपहास से बचूँ।

इसलिए आपसे प्रार्थना करता हूँ कि मेरे नाम को बदलकर कोई और दूसरा नाम रख दें।” आचार्य ने कहा- “बेटा! तुम सर्वत्र घूम आओ। लोगों से मिलो और तुम्हें जो भी अच्छा नाम सूझे, मुझे आकर बता देना। मैं तुम्हारा वही नाम रख दूँगा।”

पापक अत्यन्त प्रसन्न होकर वहाँ से निकल पड़ा। घूमते-घूमते उसने देखा कि सड़क पर चार आदमी एक शव को कंधे पर ले जा रहे हैं। इसके पीछे बीसियों आदमी रोते जा रहे हैं। पापक ने उनसे पूछा- “भाई, बात क्या है?” उन्होंने कहा-“जीवक नाम इस व्यक्ति की मृत्यु हो गई और हम उसी को शमशान घाट पर ले जा रहे हैं।”

पापक ने कहा- “क्या जीवक भी मर सकता है?” लोगों ने कहा-“नाम से क्या होता है, मरता तो जीवक भी है और अजीवक भी।”

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पापक को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह आगे बढ़ा। चलते-चलते वह एक नगर में पहुँचा उसने देखा, एक धनी सेठ अपनी ड्योढ़ी पर एक दासी को पीट रहा है। पापक ने सेठ से पूछा- “भाई, इस स्त्री को क्यों पीट रहे हो?” सेठ ने कहा-“इसने मुझे अपनी कमाई लाकर नहीं दी।” दासी का नाम पूछने पर मालूम हुआ कि उसका नाम धनवती है।

पापक ने आश्चर्य से कहा- “धनवती होकर भी यह दरिद्र है!” सेठ ने कहा- “वत्स! नाम तो पहचान के लिए होता है। धनवती हो या अधनवती, कोई भी दरिद्र हो सकता है।”

पापक को यह सुनकर आश्चर्य हुआ। वह आगे बढ़ा। जाते-जाते उसे एक पथिक मिला। उसे दिशा-भ्रम हो गया था। वह इधर-उधर भटक रहा था। उसे इस प्रकार भटकते देख पापक ने पूछा-“भाई, इस प्रकार क्यों भटक रहे हो?” पथिक ने कहा-‘ -“मैं पन्थक हूँ। सही राह भूल गया हूँ, सो भटक रहा हूँ।”

पापक ने आश्चर्य के साथ कहा- “पन्थक नाम होने पर भी तुम राह भूल गए ।” पथिक ने कहा-“भाई, नाम से क्या होता है? सभी राह भूल सकते हैं, चाहे नाम पन्थक हो या अपन्थक।”

अब पापक की आँख का परदा हटा। उसने सोचा- अगर ‘जीवक’ नाम वाला मर सकता है, ‘धनवती’ नाम होने पर दासी बनना पड़ सकता है और ‘पन्थक’ नाम वाला भी रास्ता भूल सकता है, तो नाम के पीछे भटकना मूर्खता है।

यह निश्चय कर वह फिर आचार्य जी के पास लौट आया। आचार्य जी ने पूछा – “बेटा, क्या कोई अच्छा-सा नाम तुम ढूंढ़ पाए ?” पापक ने कहा- “नहीं, आचार्य जी! मैंने एक नया ज्ञान प्राप्त किया है।

मैं जान गया हूँ कि नाम से महिमा नहीं बढ़ती, काम से बढ़ती है। नाम तो केवल व्यवहार के लिए है।” उस दिन से पापक मन लगाकर पढ़ने लगा।

4. टीवी

आजकल टीवी मनोरंजन का ही नहीं वरन ज्ञानवर्धन का साधन भी है। टीवी हम तक मनोरंजक गाने, फिल्में, सदाबहार गीत, ज्ञानवर्धक जानकारी एवं नए-नए समाचार पहुँचाता है।

आठ साल का देवांश लगभग चार घंटे से लगातार टीवी पर अपना मनपसंद कार्टून देख रहा था। तभी मम्मी ने उससे कहा-“देवांश, टीवी बंद करो। दिनभर टीवी के सामने बैठे रहते हो, तुरंत टीवी बंद करो और फिर खाना खाओ।”

Short Stories – देवांश ने अनमने मन से टीवी बंद किया और खाना खाने लगा। तभी उसे कुछ आवाज़ सुनाई दी। उसने देखा कि आवाज टीवी से आ रही थी। “देवांश ! मेरी ओर देखो। मैं टीवी बोल रहा हूँ।” देवांश ने अचंभित होते हुए पूछा, “अरे! तुम बोल भी सकते हो।”

“हाँ, मैं बोल भी सकता हूँ। अगर तुम जानना चाहो, तो मैं तुम्हें अपने बारे में कुछ और बता सकता हूँ।” “हाँ, क्यों नहीं।” देवांश ने उत्सुकता से कहा । “तो सुनो, मैं आधुनिक विज्ञान का एक अनोखा चमत्कार हूँ। मुझे जे एल बेयर्ड ने बनाया था। पहले मैं आज जितना सुंदर नहीं था, क्योंकि मेरा आकार बहुत बड़ा था।

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मुझे चलाने के लिए लोगों को बार बार अपनी छत पर जाकर एंटीना घुमाना पड़ता था। तब मेरे पास अधिक चैनल भी नहीं थे, पर अब तो तुम्हारा मनोरंजन करने के लिए मेरे पास सैकड़ों चैनल हैं।”

Short Stories – मुझे तुम्हें तुम्हारा मनपसंद कार्टून दिखाना बेहद अच्छा लगता है। जब तुम मुझ पर मैच देखते हो, गोल होने पर, चौके-छक्के लगने पर तालियाँ बजाते हो, तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता।

सदाबहार गीत, मनोरंजक फ़िल्में, रोचक कार्यक्रम, ज्ञानवर्धक जानकारी, नित नवीन समाचार सबकुछ तो है मेरे पास । जब कभी भी उदास हो, बस बटन दबाओ और मनोरंजन के अद्भुत संसार में खो जाओ।

मेरे द्वारा जब तुम्हारे कठिन पाठों को दृश्यों के माध्यम से तुम्हें पढ़ाया जाता है, तब उन्हें बहुत अच्छी तरह याद रख पाते हो। मैं तुम्हारे लिए विभिन्न विषयों की कक्षाएँ तुम भी उपलब्ध कराता हूँ।

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Short Stories – आज मैं लगभग हर घर में मिलूँगा। मैं मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय एवं सुलभ साधन हूँ। विज्ञापनों के माध्यम से मैं तुम्हें उत्पादों की जानकारी भी देता हूँ। मैं तुम्हारा मनोरंजन तो करता हूँ, पर जब तुम मुझे बहुत अधिक देखते हो, तो मैं तुम्हारे माता-पिता के लिए एक मुसीबत बन जाता हूँ। मुझे अधिक देखने पर वे तुम्हें

वे अपनी जगह बिलकुल सही हैं । तुम्हें उनकी बात माननी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से तुम्हें डाँट

Short Stories – मैं टीवी डाँटते हैं। पड़े। तुम्हें पता है, जब तुम मुझे बहुत अधिक देखते हो, तो मैं भी * बहुत थक जाता हूँ। मुझे भी आराम की जरूरत है। चलो मेरी छोड़ो, अपनी आँखों का ध्यान तो रखो। अगर तुम मुझे बहुत अधिक और बहुत नज़दीक से देखोगे, तो तुम्हारी आँखों की ज्योति कमजोर हो जाएगी।

“सुनो देवांश! मुझे तुम सभी बच्चों से एक शिकायत और भी है। तुम लोग मुझ पर केवल कार्टून ही क्यों देखते हो, मैं तुम्हें हिस्ट्री, डिस्कवरी, नेशनल ज्योग्राफी आदि अन्य चैनल भी दिखा सकता हूँ-जो न केवल तुम्हारा मनोरंजन करेंगे, बल्कि तुम्हें ज्ञान व जानकारी भी देंगे।”

5. जीवन का सार

Short Stories – वही व्यक्ति एक आदर्श और सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है जो शरीर को स्वस्थ रखने • के लिए व्यायाम करता है, अपने माता-पिता तथा गुरुओं की सेवा करता है, सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करता है एवं आलस्य त्यागकर समय का सदुपयोग करता है। अतः आदर्श और प्रसन्नचित जीवन जीने के लिए बताए गए सभी नैतिक नियमों का पालन करना चाहिए। यही जीवन का सार है।

सूर्योदय से पहले जागो तुम, सदा घूमने जाओ। कुछ हल्का व्यायाम करो फिर, स्वस्थ शरीर बनाओ। स्वस्थ प्रफुल्लित बाल को, सब जन करते प्यार | सदा रहो आनन्द से, यह जीवन का सार ।।

Short Stories – माता-पिता गुरू को सदा, नित्यप्रति करो प्रणाम उनके शुभ आशीष से, बन जाते सब काम ।। सबसे बोलो प्रेम से, जो तुम चाहो मान । ऐसे जन को जगत् में, देते सब सम्मान ।।

कहो न चुभती बात किसी को, प्रेम-सुधा बरसाओ। दुर्बल, बूढ़े या अपंग का, नहीं मजाक उड़ाओ।। सेवा-धर्म सबसे बड़ा, इससे बड़ा न कोई । सेवा से मेवा मिले, चित्त प्रफुल्लित होई ।। जो कुछ करना झट करो, कभी न लगाओ देर। देरी करना है बुरा, लेगा आलस घेर।। आलस को वैरी समझ, रहना उससे दूर।

खाली बैठो मत कभी, करो काम भरपूर ।। मूल्यवान है समय बहुत, क्षण एक न व्यर्थ गँवाओ। घर के कार्य स्वयं करने में, कभी नहीं शरमाओ ।। गुण गाता जो सदा तुम्हारे, उसे न मित्र बनाओ। नि अधिक प्रशंसा अपनी सुनकर, कभी नहीं इतराओ ।।

6. घंटीधारी ऊँट

प्रस्तुत अध्याय एक ऊँट के घमंड के कारण उसकी मृत्यु होना दिखाता है। अतः बच्चो, हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।

Short Stories – एक समय की बात है कि एक गाँव में एक जुलाहा रहता था। वह बहुत गरीब था। उसकी शादी कम उम्र में ही हो गई थी। बीवी आने के बाद घर का खर्चा बढ़ना स्वाभाविक था। यही चिंता उसे खाए जाती। फिर गाँव में अकाल भी पड़ा। लोग कंगाल हो गए।

जुलाहे की आय एकदम खत्म हो गई । उसके पास शहर जाने के सिवा और कोई चारा न रहा। शहर में उसने कुछ महीने छोटे-मोटे काम किए । थोड़ा-सा पैसा अंटी में आ गया और गाँव से खबर आने पर कि अकाल समाप्त हो गया है, वह गाँव की ओर चल पड़ा।

रास्ते में उसे एक जगह सड़क के किनारे एक ऊँटनी नजर आई। ऊँटनी बीमार दिखाई दे रही थी और वह गर्भवती थी। उसे ऊँटनी पर दया आ गई । वह उसे अपने साथ अपने घर ले आया। घर में ऊँटनी को ठीक प्रकार से चारा व घास मिलने लगा तो वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई और समय आने पर उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। बच्चा जुलाहे के लिए बहुत भाग्यशाली साबित हुआ।

Short Stories – कुछ दिनों बाद ही एक कलाकार गाँव के जीवन पर चित्र बनाने उसी गाँव में आया। पेंटिंग के ब्रुश बनाने के लिए वह जुलाहे के घर आकर ऊँट के बच्चे की दुम के बाल ले जाता। लगभग दो सप्ताह गाँव में रहने के बाद चित्र बनाकर कलाकार चला गया।
वह जुलाहे को काफ़ी सारे पैसे दे गया, क्योंकि कलाकार ने उन चित्रों से बहुत पुरस्कार जीते थे और उसके चित्र अच्छी कीमतों में बिके थे।

Short Stories – जुलाहा उस ऊँट के बच्चे को अपने भाग्य का सितारा मानने लगा। कलाकार से मिली राशि के कुछ पैसों से उसने ऊँट के गले के लिए सुंदर सी घंटी खरीदी और पहना दी। इस प्रकार जुलाहे के दिन फिर गए। वह अपनी दुल्हन को भी एक दिन गौना कराके ले आया।

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Short Stories – ऊँटों के जीवन में आने से जुलाहे के जीवन में जो सुख आया, उससे जुलाहे के दिल में इच्छा हुई कि जुलाहे का धंधा छोड़ क्यों न वह ऊँटों का व्यापारी ही बन जाए। उसकी पत्नी भी उससे पूरी तरह सहमत हुई ।

जुलाहे ने कुछ ऊँट खरीद लिए। उसका ऊँटों का व्यापार चल निकला। अब उस जुलाहे के पास ऊँटों की एक बड़ी टोली हर समय रहती थी। उन्हें चरने के लिए दिन में छोड़ दिया जाता। ऊँट का बच्चा जो अब जवान हो चुका था उनके साथ घंटी बजाता जाता।

एक दिन घंटीधारी की तरह ही एक युवा ऊँट ने उससे दूर क्यों रहते हो ? कहा, “भैया! तुम हमसे

Short Stories – घंटीधारी गर्व से बोला, “वाह! तुम एक साधारण ऊँट हो। मैं, घंटीधारी, मालिक का दुलारा हूँ। मैं अपने से ओछे ऊँटों में शामिल होकर अपना मान नहीं खोना चाहता।” उसी क्षेत्र के वन में एक शेर रहता था। शेर एक ऊँचे पत्थर पर चढ़कर ऊँटों को देखता -रहता था। उसे एक ऊँट अन्य ऊँटों से अलग-अलग रहता नजर आया |

जब शेर किसी जानवर के झुंड पर आक्रमण करता है तो किसी अलग-पड़े को ही चुनता है। घंटीधारी की घंटी की आवाज के कारण यह काम भी सरल हो गया था। बिना आँखों देखे वह घंटी की आवाज़ पर घात लगा सकता था।

Short Stories – दूसरे दिन जब ऊँटों का दल चरकर लौट रहा था तब घंटीधारी बाकी ऊँटों से बीस कदम पीछे चल रहा था । शेर तो घात लगाए बैठा ही था। घंटी की आवाज को निशाना बनाकर वह दौड़ा और उसे मारकर जंगल में खींच ले गया। ऐसे घंटीधारी के अंहकार ने उसके जीवन की घंटी बजा दी ।

7. रट्टू तोता (लोककथा)

हर देश की अपनी लोककथाएँ होती हैं, जिन्हें प्रायः नानी-दादी या माँ बच्चों को सुनाती हैं। यहाँ थाइलैंड की एक लोककथा दी जा रही है। आओ पढ़ें

Short Stories – हर एक पक्षी की अपनी एक बोली होती है और वह सदा उसे ही बोलता है। मगर दो-चार पक्षी ऐसे भी हैं, जो अपनी बोली को अदल-बदल कर बोलते हैं। तोता और मैना दो ऐसे पक्षी हैं, जो दूसरे की बोली की नकल भी कर लेते हैं। तोते को जैसा पढ़ाओ, वह वैसा बोलने लगता है। तोते में यह गुण कैसे आ गया, वह मनुष्य की बोली की नकल कैसे कर लेता है- यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है।

Short Stories – प्रश्न का उत्तर थाइलैंड की एक लोककथा में मिलता है। वह कथा इस प्रकार है-प्राचीन काल में थाइलैंड में एक पक्षी होता था, जो थोड़ा-बहुत सिखाने पर न केवल मनुष्य की बोली बोल लेता था, बल्कि अपने विचार भी मनुष्य की बोली में प्रकट कर सकता था। इस पक्षी का नाम था ‘लोरीकीट’ ।

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एक किसान था। उसने एक लोरीकीट को पाल रखा था। जब वह खेत जाता, तो लोरीकीट के पिंजड़े को साथ ले जाता और एक पेड़ की शाखा पर टाँग देता। एक दिन जब किसान अपने खेत पर पहुँचा, तो क्या देखता है कि पड़ोसी की भैंस ने उसके आधे खेत चर लिए हैं। किसान को क्रोध आ गया। उसने भैंस को अपने घर में छुपा लिया।

Short Stories – दूसरे दिन पड़ोसी अपनी भैंस को खोजते-खोजते उधर आया। उसने अपनी भैंस के बारे में किसान से पूछा। किसान ने कहा- “मैंने तुम्हारी भैंस नहीं देखी।” Short Stories
इतने में लोरीकीट बोल पड़ा – “मेरे मालिक ने तुम्हारी भैंस को छिपा दिया है। उसने आज उसका दूध निकालकर पिया भी है। “

यह सुनकर पड़ोसी ने किसान के घर में खोजा और वहाँ उसे भैंस मिल गई। किंतु किसान ने इस बात को अस्वीकार करते हुए कहा- “यह भैंस मेरी है। तुम्हारे पास इस बात का क्या सबूत है कि यह भैंस तुम्हारी है?” Short Stories

पड़ोसी की समझ में न आया कि वह क्या करे । उसने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। पड़ोसी ने सोचा कि लोरीकीट पक्षी को ही गवाह के रूप में पेश कर दूँगा। इधर किसान ने सोचा- अगर लोरीकीट ने गवाही दी, तो मैं फँस जाऊँगा। क्यों न किसी तरह ‘लोरीकीट’ को ही झूठा सिद्ध कर दूँ। उसने एक युक्ति सोची। किसान ने लोरीकीट को पिंजड़े से निकालकर एक घड़े में बंद कर दिया।

Short Stories – घड़े के मुँह पर कपड़ा बाँध दिया। घड़े में अँधेरा हो गया। बाहर चाँदनी रात थी, मगर घड़े में ‘लोरीकीट’ को लगा कि रात अँधेरी है। फिर उस किसान ने घड़े पर धीरे धीरे थाप मारना आरंभ किया। लोरीकीट को लगा कि बादल गरज रहे हैं। फिर किसान ने घड़े पर बँधे कपड़े पर पानी गिराया। हल्की-हल्की फुहार लोरीकीट के शरीर पर पड़ी।

उसने समझा रिमझिम वर्षा हो रही है। दूसरे दिन मुकदमे की सुनवाई थी। पड़ोसी ने गवाह के रूप में लोरीकीट को बुलाया। जज ने लोरीकीट से पूछा- “किसान का यह पड़ोसी कहता है कि किसान ने उसकी भैंस चुरा ली है। इस बारे में तुम्हारा क्या कहना है? क्या यह बात सही है ?” Short Stories
लोरीकीट ने आँखों देखी हुई सारी घटना ज्यों की त्यों उन्हें सुना दी। इस पर पड़ोसी बहुत प्रसन्न हुआ। किंतु किसान ने जज साहब से कहा-यह पक्षी प्रायः झूठ बोलता है। पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

Short Stories – आप इससे कोई दूसरा प्रश्न करें, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। • मैं ही पूछ लता हूँ-लोरीकीट! बता, कल रात का मौसम कैसा था ? लो,

लोरीकीट ने जवाब दिया- “रात अँधेरी थी। बादल गरज रहे थे, पानी भी बरसा था।” लोरीकीट का जवाब सुनकर सब एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। जज और अन्य लोगों ने समझ लिया कि लोरीकीट झूठ बोलता है, क्योंकि पिछली रात तो चाँदनी रात थी। न बादल गरजे थे, न पानी बरसा था।

जज ने किसान को निर्दोष समझकर छोड़ दिया। उस दिन से लोगों ने समझ लिया कि लोरीकीट झूठा पक्षी है, इसे पालना नहीं चाहिए। सबने पिंजड़ों के दरवाजे खोल दिए। अपमानित होकर लोरीकीट जंगल में उड़ गया। अपमान का दुःख कम नहीं होता। इस दुःख से दुःखी होकर वह मारा-मारा फिरता रहा। Short Stories

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एक दिन उसकी भेंट हरे रंग के एक पक्षी से हुई। उस नए पक्षी ने अपना परिचय देते हुए कहा- “मेरा नाम तोता है। मैं मनुष्यों की बोली दोहरा सकता हूँ। उनकी बोली में बात भी कर सकता हूँ। मैं मनुष्यों के एक अच्छे देश की तलाश में हूँ, जहाँ सम्मान से रह सकूँ।” Short Stories

Short Stories- लोरीकीट ने कहा- “जो गुण तुम में है, वही गुण तो मुझमें भी है। इसलिए तो एक किसान ने मुझे प्रेम से पाला था, पर अब उसने मुझे अपमानित करके निकाल दिया। मैं तो अब मनुष्यों के बीच रहने के लिए कभी नहीं जाऊँगा। अगर तुम जाना चाहते हो, तो जाओ। मैं रोकता नहीं किंतु अगर वहाँ कुशलतापूर्वक रहना चाहते हो, तो मेरी एक सीख मान लेना ।” बड़ी उत्सुकता से तोते ने पूछा-“वह सीख क्या है ?”

लोरीकीट ने अपना सारा किस्सा सुनाकर कहा- “मनुष्यों के बीच रहते समय तुम उनकी बोली को ही दोहराते रहना। कभी भूलकर भी अपनी ओर से कुछ न कहना, वरना मेरी जो हालत हुई है, वही तुम्हारी भी होगी ।”

Short Stories – लोरीकीट की सीख को तोते ने ध्यान से सुना । उसे धन्यवाद दिया और मनुष्यों की बस्ती की ओर उड़ चला। जब मनुष्यों को यह मालूम हुआ कि लोरीकीट से अधिक सुंदर एक पक्षी आया है, जो उनकी बोली बोल सकता है, तो उन्होंनें बड़े स्नेह से उसे घर में पाल लिया। तोते और उसके वंशजों ने आज तक लोरीकीट पक्षी की सीख को नहीं भुलाया। वे मनुष्यों की बोली को केवल दोहराते हैं, अपनी ओर से कुछ भी नहीं कहते।

8. अब उठ जाओ

इस कविता में प्रातःकाल होने पर माँ बच्चों से जाग जाने के लिए कहती हैं। माँ कहती हैं कि सवेरा हो गया है और सब जागकर अपने-अपने काम में लग गए हैं, अब तुम भी जाग जाओ। Short Stories

आँख खोलकर सूरज दादा पूरब से लाली ले आए, देखो! मीठी नींद छोड़कर मुरगा उठकर बाँग लगाए।

Short Stories – छिपा चाँद और गए सितारे किरण नवेली भोर की आई, देखो! डाल-डाल पे चिड़िया चहकी सुर में और मुसकाई। कली-कली उपवन में महकी सुखद मनोहर आई बेला, देखो! हवा बही सुखदाई

सजने लगा प्रातः का मेला । दूध और अखबार आ गया साइकिल टन – टन घंटी बजाए, देखो! चहल-पहल की रौनक, भोंपू देती मोटर जाए। छोड़ दिया है सबने बिस्तर तज दो आलस अब जग जाओ, देखो! भोर का रंग निराला तुम इसका आनंद उठाओ।
अच्छा तो क्या बातचीत हुई ?

Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022
Top 10 Small Short Stories With Moral Values In Hindi in 2022 –moralstoriesinhindi.in

लड़के वाला कहता है कि अगर तुम पचास उजड़े हुए गाँव दहेज में दो, तो मैं तुम्हारे यहाँ शादी कर सकता हूँ। अच्छा, तो इनके यहाँ भी लेन-देन चलता है। फिर लड़की वाले ने क्या कहा ?

Short Stories – यह न पूछिए! कहने से पहले मेरी जुबान कट जाए। कहो, कहो, डरो मत। हुज़ूर, जान बख्शी जाए। बोलो, बोलो, डरो मत। हुज़ूर, लड़की वाले ने कहा (रुक जाता है और काँपने लगता है)! बुरी से बुरी बात भी हो, तो फौरन कह डालो, घबराओ मत।

वज़ीर हुज़ूर लड़की वाले ने कहा, मैं पचास क्या पाँच सौ उजड़े गाँव दे सकता हूँ। खुदा हमारे बादशाह गजनवी को सलामत रखे। उसके जीते जी उजड़े हुए। गाँवों की क्या कमी! हुज़ूर जान बख्शी जाए।

बादशाह डरो मत, चलो घर चलें। दोनों ने घोड़े आगे बढ़ाए।

Short Stories – वज़ीर द्वारा उल्लुओं के बीच हुई वार्ता सुनकर, गजनवी पर ऐसा असर हुआ कि उसने किसी को सताना या उजाड़ना छोड़ दिया। उसने यह प्रण लिया कि किसी भी गाँव को नहीं उजाड़ेगा, अपने द्वारा उजाड़े गए गाँवों को उसने फिर से बसाना शुरू कर दिया।

9. नोटबंद

Short Stories – जब 8 नवंबर, सन् 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने रात्रि 8:15 बजे नोटबंदी की घोषणा की, तो सारे भारत में भूकंप सा आ गया। कुछ लोगों के लिए यह घोषणा युद्ध की घोषणा से भी घातक सिद्ध हुई। उनकी रातों की नींद उड़ गई । कुछ लोग होशोहवास खोते हुए ज्वैलर्स के पास दौड़े व उलटे-सीधे दामों में सोना खरीदने लगे।

अगले दिन से ही बैंक व ए टी एम लोगों के स्थायी पते बन गए। लाइनें दिनोंदिन भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या को दिखाने लगीं। सरकार भी कभी लोगों को राहत देने के लिए व कभी काला धन जमा करने वालों के लिए नए-नए कानून बनाती दिखी।

Short Stories – विपक्षी दल पूरी एकजुटता से सरकार के निर्णय को असफल व देश को पीछे ले जाने वाला सिद्ध करने में लग गए। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उनकी दुःखती रग पर हाथ रख दिया हो।

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Short Stories – दूसरी तरफ सरकार अपने इस निर्णय को सही साबित करने में लगी रही। कभी प्रधानमंत्री व उनकी टीम लोगों को इस नोटबंदी के फायदे गिनाने में लगे रहे, तो कभी पचास दिन का समय माँगते नज़र आए। लोगों के अंदर भी बहुत भाईचारा देखने को मिला। अमीर रिश्तेदारों को अपने गरीब रिश्तेदारों के महत्व का एहसास होने लगा।

मीडियावालों का भी बहुत शानदार रोल रहा। कुछ नोटबंदी पर सरकार के फैसले के खड़े दिखाई दिए व कुछ विपक्ष में। परंतु प्रश्न यह है कि ये लोग कुछ वर्ष पहले सिलेंडर पक्ष में सुबह 4 बजे से ही लगने वाली लाइनों से कैसे बचे या फिर जब फिल्म या मैच की टिकट के लिए खड़ा होना पड़ता है तब कोई पहाड़ क्यों नहीं टूटता।

Short Stories – नोटबंदी के कारण पुराने जमाने में सफल बार्टर पद्धति फिर से कारगर सिद्ध हुई। सच कहूँ .तो हमें कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ा, बस थोड़ा एडजस्ट करना पड़ा। देश के लिए। थोड़ी-बहुत तकलीफ ज़रूरी भी है।

10. जन्मदिन का उपहार

Short Stories- अध्याय परिचय हम सभी को जन्मदिन पर कुछ-न-कुछ उपहार अवश्य मिलते हैं। अगर ये उपहार हमारी पसंद के हों, तब क्या कहने? प्रस्तु अध्याय एक छोटे लड़के को उपहार में मिले एक कुत्ते के साथ उसका स्नेह दर्शाता है।

लक्ष्य की आँखों से टप-टप करके टपकते आँसू थम ही नहीं रहे हैं। आज उसका प्यारा कुत्ता ब्रूनो खो गया है। झबरीले बालों वाला छोटा-सा, प्यारा-सा सफेद ब्रूनो। लक्ष्य उसे आज भी भूलता नहीं है। वह उसे बार-बार याद आ जाता है। कभी ब्रूनो उसकी गेंद उठाकर लाता था, तो कभी उसके बिस्तर में लेट जाता था।

जब वह बाहर से आता था, तब ब्रूनो पूँछ हिलाते हुए उसकी गोद में चढ़ जाता था। लक्ष्य को याद ही नहीं कि उसने कभी ब्रूनो के बिना खाना खाया हो। दादा-दादी, चाचा चाची, मम्मी-पापा, भैया-दीदी किसी से भी लक्ष्य की उदासी देखी नहीं जा रही थी। • सबने अपने-अपने तरीके से उसे हँसाने की कोशिश की, पर सभी असफल हो गए। इस तरह परा महीना बीत गया।

Short Stories- आज लक्ष्य का सातवाँ जन्मदिन है। सबने लक्ष्य के जन्मदिन की दावत की तैयारियाँ की हैं। लक्ष्य के सभी मित्रों को भी निमंत्रण दिया गया। जब सब आ गए, माँ एक हाथ में लक्ष्य का मनपसंद चॉकलेट केक तथा दूसरे हाथ से लक्ष्य का हाथ पकड़ पहले उनका उपहार हुए कमरे में आईं। लक्ष्य उदास-सा केक काटने के लिए खड़ा हुआ।

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पर यह क्या। अचानक सब लक्ष्य से ज़िद करने लगे कि वह केक काटने खोलकर देखे। लक्ष्य ने सबसे पहले दादा जी के उपहार की टोकरी खोली। अरे! : इसम कुत्ता तो ब्रूनो जैसा ही एक कुत्ता था। लक्ष्य का चेहरा खुशी से चमक उठा। उसके बाद उसने दादी माँ का उपहार खोलकर देखा। अरे वाह! उसमें से भी वैसा ही एक और निकला।

Short Stories – इस तरह लक्ष्य ने जितने भी उपहार खोले, उसे सबमें एक-एक कुत्ता मिला। लक्ष्य प्रसन्न तो था, पर हैरान भी। उसके पास अब पंद्रह कुत्ते थे। साथ ही इतने कुत्तों को देखकर लक्ष्य की माँ की भी चिंता बढ़ गई। वे सोच रही थीं कि इतने सारे कुत्ते पूरे घर को गंदा कर देंगे। उन्हें पालना कितना कठिन हो जाएगा। उनकी देखभाल कैसे होगी ?

पर इन सबसे बेखबर लक्ष्य बारी-बारी से सब कुत्तों पर खुशी से हाथ फेर रहा था। दादा जी ने पूछा – “इतने सारे कुत्तों का क्या करोगे, लक्ष्य?”

Short Stories – “दादा जी, अब तो मुझे न केवल मेरा ब्रूनो मिल गया, बल्कि मैं अपने दोस्तों को भी एक-एक कुत्ता दे पाऊँगा । अपनी वर्षगाँठ पर अपनी ओर से अपने दोस्तों के लिए यही है वापसी का मेरा उपहार।” लक्ष्य ने चहकते हुए कहा। लक्ष्य की बात पर कोई भी हँसे बिना न रह सक

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