जादुई कुकर | Best Magic Story | Bedtime Stories | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Kahaniyan 2022

Top and Best Moral Stories for class 10

Top and Best Moral Stories for class 10 – ठाकुर रनजीत सिंह थे तो इंट्रेंस पास, मगर मिली थी कान्सटेबिली। एक दिन वे रात में गश्त करते हुए एक महात्मा जी की कुटी पर जा पहुँचे।

महात्मा- तुम कौन हो?

रनजीत — मैं एक सिपाही हूँ।

महात्मा – यहाँ क्यों आये? रनजीत – आपका दर्शन करने। महात्मा – नहीं, किसी इच्छा से आये हो। रनजीत – कुछ इच्छा भी है, महाराज। महात्मा – क्या इच्छा है?

रनजीत – मैं इंट्रेंस पास हूँ। मगर सिपाही बना रात को गश्त करता फिरता हूँ। हमारा थानेदार मजे से पलंग पर सो रहा होगा। इसलिये महाराज ! मैं भी थानेदार बनना चाहता हूँ। महात्मा—थानेदार बन जाने पर फिर तुम मुझ को पहचानोगे?

रनजीत :- Top and Best Moral Stories for class 10

क्यों नहीं, महाराज? खूब पहचानूँगा और खूब मानूँगा ।

महात्मा – थाने पर कब तक पहुँचोगे?

रनजीत – तीन दिन बाद ।

Top and Best Moral Stories for class 10
Police – Top and Best Moral Stories for class 10

महात्मा – तब तुम को थाने में थानेदारी का हुक्म आया मिलेगा। रनजीत – धन्य महाराज! आप महात्मा लोग लकीर पर चाहे जो लिख सकते हैं। लेख पर मेख मार सकते हैं, तकदीर के विधान को बदल सकते हैं। महात्मा लोगों का कंट्रोल मौत और तकदीर दोनों पर है।

तीसरे दिन रनजीत सिंह थाने में पहुँचे। थानेदार को सलाम किया। थानेदार – आइये ठाकुर साहब ! अब आप मुझे क्यों सलाम करते हैं। अब तो आप मेरे बराबर हो गये।

रनजीत – सो कैसे सरकार ? कहाँ सिपाही, कहाँ थानेदार! कहाँ जमीन और कहाँ आसमान ?

थानेदार – नहीं। आप भी थानेदार हो गये हैं।

रनजीत – दारोगाजी ! आपको मुझ गरीब से दिल्लगी नहीं करनी चाहिये। थानेदार – यह लीजिये सरकारी हुक्मनामा आज ही मुझसे चार्ज ले लीजिये। मेरा तबादला बकेवर के थाने को हो गया है। आप इसी थाने में सिपाही रहे और इसी में थानेदार हुए। मैं मुबारकबादी देता हूँ।

साल भर बाद वे ही महात्मा जी थाने में आये, पहरे के सिपाही से थानेदार का हाल पूछा। वह बोला- ‘बड़ा जालिम थानेदार है महाराज ! छोटे से बड़ा हुआ है न! रहीम ने कहा है- ‘

जो रहीम ओछो बढ़े, तौ अति ही इतराय । प्यादे से फरजी भयो टेढ़ौ टेढ़ौ जाय ॥

महात्मा-क्या करता है? सिपाही – धनवान् लोगों को बेकसूर हिरासत में ले लेता है। उनसे हजारों लेता है, तब छोड़ता है। बिना ही हुए किसी के घर से अफीम, किसी के घर से कच्ची शराब और किसी के मकान से गाँजा बरामद करा देता है। इलाका भर थर्रा रहा है। खूबसूरत बहू-बेटी बचने नहीं पाती, गरीबों को बेगार से पीसे डालता है, बिना गाली के बात नहीं करता। सिपाही और चौकीदार लोगों पर हंटरबाजी करता है।

महात्मा :- Top and Best Moral Stories for class 10

इतना जालिम? सिपाही -पब्लिक ने उसका नाम ही ‘हंटरबाज थानेदार’ रख दिया है।

महात्मा – मैं उससे मिलना चाहता हूँ।

सिपाही – ऐसा न हो कि वह आप पर नाराज हो और मेरी भी खुलकर खबर ले।

महात्मा – नहीं। जाकर कहो कि आपके ‘गुरुजी’ आये हैं। सिपाही ने जाकर इत्तला की। थानेदार रनजीत सिंह सिगरेट पीते हुए बाहर निकले। महात्माजी को देखा, पहचाना, प्रणाम किया सादर भीतर ले गये, आराम कुर्सी पर बिठलाया। आप हाथ जोड़कर सामने खड़े हो गये। महात्मा – कहो, तुम्हारी इच्छा पूरी हो गयी?

थानेदार – हाँ, महाराज!

महात्मा :-Top and Best Moral Stories for class 10

अब क्या इच्छा है? थानेदार – अब तो यही इच्छा है कि आपको कुछ गुरु-दक्षिणा नजर करूँ।

महात्मा-क्या दोगे?

महात्मा- तुम दे नहीं सकोगे।

थानेदार – जो आप आज्ञा दें। थानेदार – मेरे योग्य हुक्म फरमाइये। महात्मा – पाँच सेर बिच्छू मँगा दो ।

थानेदार – बहुत अच्छा ।

थानेदार ने सिपाहियों को बुलाया, हुक्म दिया कि अपने-अपने हलके में जाकर बिच्छू इकट्ठे करो। कल शाम तक पाँच सेर बिच्छू आ जाने चाहिये।

थानेदार – महात्माजी ! बिच्छू तो सिर्फ पाँच-छः ही मिले। अब क्या करना चाहिये?

महात्मा – देख ली तुम्हारी थानेदारी। तुम एक मुर्दा थानेदार हो । थानेदार – महाराज ! आप ही बतायें कि कहाँ इतने बिच्छू मिलेंगे।

महात्मा – मैं ही बताऊँ भी?

थानेदार – हाँ ।

महात्मा – अच्छा तो मेरे साथ इकबाल हुसैन थानेदार की कब्र पर चलो। साथ में कुछ चौकीदार और पाँच घड़े ले लो । थानेदार – इकबाल हुसैन थानेदार? आई सी ! बड़ा रोबीला थानेदार हो गया है! उसकी कब्र पास ही

सब लोग वहाँ जा पहुँचे। कब्र खोदी गयी। देखा गया कि लाशके ऊपर-नीचे, कब्रभर में लाखों बिच्छू घूम रहे हैं। महात्मा – लो, चाहे जितने बिच्छू ले लो।

थानेदार – इतने बिच्छू कहाँसे आये यहाँ !

महात्मा – जितने रोबीले थानेदार मरते हैं, उनका मांस बिच्छू ही खाते हैं।

थानेदार – ऐं?

महात्मा – ऐं क्या, जब तुम मरोगे, तब तुम्हारी लाश जमुना में बहा दी जायगी। वह एक खंदक में जा गिरेगी। वहाँ बिच्छू लोग आकर तुम्हें इसी तरह खायेंगे।

थानेदार :- Top and Best Moral Stories for class 10

थानेदारी का यह अंजाम ? हुकूमत का यह नतीजा ?

महात्मा — और नहीं तो क्या स्वर्ग में जाओगे? थानेदार – आज ही इस्तीफा भेजकर, मैं फकीरी करूँगा। लानत है – ऐसी थानेदारीप र! वही हुआ भी। बारह साल हरद्वा रमें तप करके बाबा ‘रनजीतदास’ ने शरीर त्याग किया।

भक्त तहसीलदारजी : -Top and Best Moral Stories for class 10

इटावा जिले की औरैया नामक तहसील में लाला जयनारायण जी तहसीलदार थे। इसी तहसील से पेंशन लेकर आपने श्रीवृन्दावन का निवास ग्रहण किया था। खेद है कि विगत ११ मई सन् १९३३ ई० के दिन आपने असली वृन्दावन यानी गोलोक की यात्रा की और इस पीड़ामय संसार को त्याग दिया।

Top and Best Moral Stories for class 10
Sipahi – Top and Best Moral Stories for class 10

संवत् १९५६ वि० में एक भयानक अकाल पड़ा था। पत्ते और छाल को खाकर पब्लिक अपनी रक्षा कर रही थी। एक दिन की बात है। जमुना- पारके पाँच सौ आदमियों का एक दल तहसीलदार के पास औरैया के मुकाम पर जा पहुँचा। तहसीलदार ने देखा कि लगातार कई दिनों की क्षुधा के कारण स्त्री-पुरुष और बालक-बालिकाएँ सभी अर्ध मूर्छित अवस्था में हैं।

दयालु भगवान्‌ की याद करनेसे भक्त के हृदय में दया निवास करने लगती है। ‘याद’ को पलटने से ‘दया’ होती है। जिसमें दया देखो, उसीका नाम भक्तसमाज या रामदल में लिख दो; और जिसमें दया नहीं, उसको अभक्तसमाज या रावणदलमें लिख दो।

Top and Best Moral Stories for class 10

अकालपीड़ितों की अवस्था देखकर भक्त तहसीलदार ने खजांची को आर्डर दे दिया कि ५०० व्यक्तियों को ५००) रुपये सरकारी खजाने से निकालकर दे दो। एक-एक रुपया पाकर वह दुःखी दल जी खोलकर तहसीलदार की सराहना करता हुआ चला गया। जब से अकाल पड़ा है, तहसीलदार अपने लिये अपनी तनख्वाह में से केवल दस रुपये मासिक रख लेते थे और बाकी का सब रुपया दीन-दु:खियों की सेवा में लगा देते थे।

Top and Best Moral Stories for class 10 – पेशकार था चंट ! उसने देखा कि अब वह समय आ गया जब कि तहसीलदार को बरखास्त कराकर, तहसीलदारी के पद पर मैं बैठ सकता हूँ । रात की गाड़ी से इटावा जा पहुँचा। कलक्टर से चुपके से कहा कि

‘तहसीलदार औरैया सरकारी खजाने को अपने खजाने की तरह लुटा रहा है। जाँच की जानी चाहिये।’

सोमवार के नौ बजे थे। तहसीलदार स्नान करके पूजा के कमरे में गये। वह अपने ‘गुपाल जी’ को स्नान करा रहे थे, तबतक ‘कारखास’ के चपरासी ने आकर कहा –

चपरासी :- Top and Best Moral Stories for class 10

हुजूर! गज़ब हो गया ! तहसीलदार-क्या हुआ?

चपरासी – कल इतवार की शाम को आपने जो ५००) रुपये गरीबों में बँटवा दिये थे, उसकी शिकायत किसी ने जाकर साहब से कर दी ! तहसीलदार – साहब आये हैं क्या?

चपरासी – कलक्टर साहब खजाने के पास कुर्सी डलवाकर बैठे हैं और आपको अभी बुला रहे हैं।

तहसीलदार – अभी नौ बजे हैं। कचहरी का टाइम दस बजे है। बैठा रहने दो-एक घंटा। तब तक मैं पूजन कर लूँ ! चपरासी – आप कानूनके अनुसार साहबको एक घंटा बैठाल सकते हैं जरूर ! लेकिन इससे वह और भी ज्यादा नाराज हो जायगा !

तहसीलदार – नाराजी ‘गुपाल जी’ की बुरी है! साहब की नाराजगी कोई चीज नहीं!

चपरासी – लेकिन वह अफसर है!

तहसीलदार :- Top and Best Moral Stories for class 10

गुपालजी से बढ़कर ?

चपरासी- अच्छा, अभी एक घंटेका समय है। आप किसी सेठ के यहाँ से पाँच सौ रुपये मँगवा लीजिये और खजाने में जमा करा दीजिये । चपरासी – सड़क पर सेठ छंगामल से मेरा सामना हो गया था – अभी !

Top and Best Moral Stories for class 10
Constable – Top and Best Moral Stories for class 10

तहसीलदार – गुपालजी से बढ़कर कौन सेठ है? नरसी की हुंडी द्वारिका में साँवरा सिकरा गया।

मैंने कहा था कि अगर जरूरत पड़े तो आप मदद कर देना। सेठजी ने कहा कि ‘तहसीलदार साहब का हुक्म होना चाहिये; पाँच सौ क्या चीज़, पाँच हज़ार खज़ाने में जमा कर दूँगा ! ‘

तहसीलदार – सेठ छंगामल की दया से बढ़कर हमारे सेठ ‘गुपाल जी’ में दया है। उसकी दया का क्या ठिकाना, जो भक्त सुदामा के लिये तीनों लोक के खज़ाने को लुटा देने के लिये व्याकुल हो गया था! मैं किसी से कुछ नहीं माँगूँगा

तब तक खज़ां ची भी आ पहुंचा। उसने कहा- साहब कहता है। कि खज़ाना खोलो, मैं जाँच करूँगा !’ तहसीलदार ने खज़ांची के सामने चाबी फेंककर कहा- ‘जाओ और जाँच करा दो! ‘

खज़ांची – मगर खज़ाना कम है। पूरे पाँच सौ कम हैं! तहसीलदार—एक पैसा कम नहीं है। खज़ाना पूरा है। तुम जाँच कराओ – तब तक मैं भी आता हूँ। चाबी लेकर खज़ांची चला गया। चपरासी भी चला गया। भक्त ने

भगवान्‌ की पूजा शुरू की। पूजन करते समय यह भी न कहा कि खज़ाने को पूरा कर दीजिये । व्यापक भगवान् से कुछ कहो या न कहो, वह खुद ही सब जानते हैं।

पूजा करके भोग लगाया और भोजन किया। पाँच मिनट आराम किया, फिर Top 10 lines short stories with moral पहिन कर तहसीलदार तहसील में जा पहुँचे। खज़ाने के पास कलक्टर साहब बैठे थे और कागज़ पर गिने हुए रुपयों को लिख रहे थे। खज़ांची गिन रहा था। तहसीलदार जिस समय पहुँचे, जाँच खतम हो चुकी थी।

साहब-वेलू तहसीलदार, अम टुमारे सामने शर्मिन्दा हैं। खज़ाना पूरा (तहसीलदार – ‘राम राजा, राम परजा, राम साहूकार है।’ साहब-वेलू पेशकार! टुमने अमसे तहसीलदार साहेब का शुग शिकायत क्यूँ किया ! क्यूँ अमको परेशान किया। यू आर डिसमिस्ड ! तहसीलदार नहीं हुजूर! पेशकार साहब की शिकायत बिलकुल सच थी। कल मैंने ५००) रुपये तकसीम कर दिये थे! साहब-कुछ हो । अमको तो खज़ाना पूरा मिला।

तहसीलदार – अब मैं अपनी पेंशन चाहता हूँ ।

कलक्टर – नहीं, तहसीलदार साहेब! आपको अम डिपटी साहब बनाना माँगटा है। पेशकार को बरखास करना माँगटा है। तहसीलदार – नहीं हुजूर! पेशकार को क्षमा कीजिये, नहीं तो मुझे बड़ा भारी सदमा होगा।

कलक्टर :- Top and Best Moral Stories for class 10

अच्छा, अच्छा! पेशकार को माफ़ किया। साहब चला गया। पाँच महीने तक तहसीलदार ने और भी नौकरी की। इसके बाद पेंशन लेकर वे श्रीवृन्दावन को चले गये थे। चलते समय आपने तहसीलदारी का चार्ज सी पेशकार को दिया था और कहा था— ‘जिस कुरसी के लिये आपने मेरी शिकायत की थी वही कुरसी मैं अपने हाथों आपको देता हूँ।’ सुनते हैं कि उसी रोज से पेशकार साहब की सारी कुटिलता दूर हो गयी और ईश्वर में उनका विश्वास दृढ़ हो गया। चलते-चलते वे पेशकार को भी भक्त बना गये |

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