कश्मीर की सैर - Best Moral Stories For class 10

कश्मीर की सैर – Best Moral Stories For class 10

हेलो दोस्तों मै हूँ केशव आदर्श और आपका हमारे वेबसाइट मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में स्वागत है आज जो मै आपको कहानी सुनाने जा रहा हु |

उसका नाम है कश्मीर की सैर – Top Moral Stories For class 10 यह एक Moral Stories For Kids और Motivational Story In Hindi और कश्मीर की सैर – Top Moral Stories For class 10 की कहानी है और

कश्मीर की सैर – Top Moral Stories For class 10 – इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है और आपको बहुत बढ़िया सिख भी मिलेगी | मै आशा करता हु की आपको ये कहानी बहुत अच्छी तथा सिख देगी | इसलिए आप इस कहानी को पूरा पढ़िए और तभी आपको सिख मिलेगी | तो चलिए कहानी शुरू करते है

कश्मीर की सैर - Best Moral Stories For class 10
कश्मीर की सैर – Top Moral Stories For class 10 – moralstoriesinhindi.in

कश्मीर की सैर – Top Moral Stories For class 10

कश्मीर की सैर

Moral Stories For class 10 – मैं कश्मीर की सैर को गया था। सोचा- कश्मीर की सैर करके पत्र लिखना उचित रहेगा। मैं अब कश्मीर-सैर का वृतांत और वहाँ की प्रुमख बातों का इस पत्र में वर्णन करूंगा। तुम्हें याद होगा, हमारी कक्षा में एक दिन मैम ने कहा था- “लोग कश्मीर को पृथ्वी का स्वर्ग कहते हैं।” वहाँ पहुँचने पर लगा कि

उनकी बात बिल्कुल सही थी। हम लोग जम्मू तक रेलगाड़ी से गए। वहाँ से श्रीनगर तक की यात्रा बस से की। इसमें पूरा दिन लगा। रास्ते में दुर्गम पहाड़ियों के बीच बनी सड़क से हमें तरह-तरह के दृश्य देखने को मिले। चारों ओर हरियाली थी। हमें पता नहीं चला के समय कब बीता।

कश्मीर की सैर - Top Moral Stories For class 10
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सायंकाल तक हम लोग श्रीनगर पहुँचे। श्रीनगर के बीच से होकर झेलम नदी बहती है। आने-जाने के लिए नदी पर कई पुल बने हैं। यहाँ की डल झील की सुंदरता देखते ही बनती है। इसमें खिले हुए कमल के फूल बड़े सुहावने लगते हैं। छोटी-छोटी नावें। तैरती रहती हैं। इन्हें शिकारा कहते हैं। इसी झील में बहुत-से तैरते हुए लकड़ी के देखने को मिले। ये हाउसबोट कहलाते हैं।

पापा ने रहने के लिए एक हाउसबोट किराये पर ले ली थी। इसमें बैठने, सोने, नहाने और भोजन पकाने का सब प्रबंध था। हम जब चाहते हाउसबोट के मालिक का बेटा गुलमौहम्मद शिकारे पर बिठाकर हमें तट पर उतार देता। वहाँ से हम लोग बाजार या अन्य दर्शनीय स्थानों को चले जाते थे। Top Moral Stories For class 10

डल झील के निकट ही निशात बाग है। उससे कुछ दूरी पर शालीमार बाग है। इन बागों में झर-झर बहते झरनों और फव्वारों का सुंदर दृश्य देखकर आँखें ठहर-सी जाती हैं। चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, मखमली घास और रंग-बिरंगे फूल यहाँ की शोभा को और भी बढ़ा देते हैं। सच! सारांश, मेरा तो इन बागों से निकलने का मन ही नहीं करता था। एक दिन हम सब उस पहाड़ी की चोटी पर भी चढ़े, जहाँ शंकराचार्य का मंदिर है। वहाँ से श्रीनगर का दृश्य बड़ा ही सुहावना लगता है। Top Moral Stories For class 10

तुम तो जानते ही हो कि मेरे पिताजी को घूमने-फिरने का कितना शौक है। वे हमें पहलगाम, गुलमर्ग और खिलनमर्ग भी ले गए। इन सभी स्थानों को देखने के लिए हमारे देश के ही नहीं, वरन् विदेशों के लोग भी आए हुए थे। इन यात्राओं में हमें बर्फ से ढकी खूब चोटियाँ देखने को मिलीं।

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पहलगाम में ही हमें मालूम हुआ कि यहाँ से अमरनाथ की प्रसिद्ध गुफा के लिए जाने का मार्ग है। अमरनाथ के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष देश के कोने-कोने से यात्री आते हैं। वहाँ पहुँचने के लिए बर्फ से ढके हुए पहाड़ी रास्ते से होकर जाना पड़ता है।

कश्मीर की घाटी बड़ी ही मनोरम है। कहीं पहाड़ों से निकलते झरने हैं, तो कहीं कल-कल करती नदियाँ। कहीं पीली-पीली केसर के खेत दिखाई देते हैं, तो कहीं सेब, खूबानी, बादाम और अखरोट के बाग। कहीं चिनार के घने विशाल वृक्ष हैं, तो कहीं ऊँचे-ऊँचे देवदार। यह पूरी घाटी फलों और फूलों के बगीचों से भरी हुई है। Top Moral Stories For class 10

हम लोगों ने बाज़ार की भी खूब सैर की। कश्मीर के कारीगर ऊन और लकड़ी की बहुत सुंदर वस्तुएँ बनाते हैं। वहाँ हम लोग एक सप्ताह रहकर मुंबई लौट आए। मिलने पर मैं तुम्हें वहाँ की सारी तस्वीरें दिखाऊँगा जो पापा ने जगह-जगह खींची हैं। इससे तुम्हें कश्मीर की सुंदरता का परिचय और अच्छी तरह मिलेगा। अंकल-आंटी को मेरा प्रणाम करना। शेष मिलने पर ।

तुम्हारा प्रिय मित्र ।

पृथ्वी की कहानी

पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में जानने की जिज्ञासा सभी मनुष्यों में होती है। इसी के बारे में इस पाठ में बताया गया है।

हम सब पृथ्वी पर पैदा हुए हैं। पृथ्वी कैसे बनी? आज तो केवल इसका अनुमान ही लगाया जा सकता है, क्योंकि जब यह बनी थी, तो कोई भी प्राणी नहीं था। किसी ने भी इसको बनते हुए नहीं देखा। वैज्ञानिकों का विचार है कि करोड़ों वर्ष पूर्व एक टुकड़ा किसी कारणवश सूर्य से टूटकर अलग हो गया था। Top Moral Stories For class 10

अलग होने के पश्चात् वह सूर्य के चारों ओर चक्कर काटने लगा और तब से आज तक यह टुकड़ा इसके चारों ओर घूम रहा है। सूर्य के चारों ओर चक्कर काटने वाले को ग्रह कहते हैं। ग्रह आठ हैं। पृथ्वी भी उनमें से एक है। सौर मंडल के ग्रहों के नाम हैं- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु, शनि, अरुण और वरुण । ये सब सूर्य से टूटकर बने थे।

कश्मीर की सैर - Top Moral Stories For class 10
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पृथ्वी सूर्य से करीब नौ करोड़ तीस लाख मील की दूरी पर है। यदि पृथ्वी से सूर्य तक रेल की पटरी बिछा दी जाए और वहाँ जाने के लिए एक रेलगाड़ी रात-दिन पृथ्वी की कहमील प्रतिघंटा के हिसाब से चलती रहे, तो उसे सूर्य तक पहुँचने में ढाई सौ वर्ष जाएँगे।

सूर्य जलती हुई गैसों का एक गोला है। पृथ्वी भी इसी प्रकार प्रारंभ में आग की लपटों से घिरी जलती हुई गैसों का गोला थी। आरंभ में पृथ्वी कई प्रकार की धातुओं से उत्पन्न होने वाली भाप से घिरी रही होगी। वह भाप आकाश में फैली। ऊपर की भाष धीरे-धीरे ठंडी हो गई और वर्षा की बूँदों के रूप में बरसने लगी। इस प्रकार वर्षा होने लगी। Top Moral Stories For class 10

रात-दिन बरसते रहने के कारण पृथ्वी का ऊपरी भाग ठंडा हो गया। अंदर का भाग अब भी गर्म है।

पहले पृथ्वी बहुत गर्म थी। इस पर पानी पड़ते ही वह गर्म तवे पर पड़ी बूंदों के समान एकदम उड़ जाता था। यह क्रम सैकड़ों-हजारों वर्षों लगातार चलता तक रहा। पानी पड़ता और भाप बनकर उड़ जाता। धीरे-धीरे पृथ्वी के ऊपर की पपड़ी ठंडी होने लगी और ठंडी होकर मोटी मलाई की तरह जमने लगी। Top Moral Stories For class 10

लेकिन, पृथ्वी के अंदर का लावा ऊपर की परत फोड़कर ज्वालामुखी के रूप में फूटता रहता था। नीचे से ज् का फूटना, उनमें से पत्थरों-चट्टानों का निकलना और ऊपर से लगातार वर्षा का होना, हर समय बिजली का भयंकर रूप से कड़कते रहना, बादलों की गर्जना ऐसी अवस्था पृथ्वी की। ऐसे में भला धरती पर कौन रह सकता था?

वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी पर इस प्रकार का भयंकर दृश्य लगभग एक करोड़ वर्ष तक छाया रहा होगा। पृथ्वी की परत ठंडी हुई। उसमें दूध की मलाई के समान सिकुड़न आई। कुछ स्थान थी उभर गए। कुछ धँस गए। धँसे हुए भागों में ऊपर से बरसने वाला पानी भर गया। कहीं सरोवर बने, कहीं झीलें बनीं, कहीं समुद्र बन गए।

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पहले-पहल इस पर गर्म पानी बहता होगा। धीरे-धीरे वह ठंडा हो गया। पृथ्वी की उन सिकुड़नों से ही टीले, पर्वत, समुद्र, झीलें आदि बनीं। यह सुंदर हिमालय धरती की सिकुड़न ही है। अनुमान है कि पृथ्वी की उम्र डेढ़ अरब वर्ष है। आज पृथ्वी के तीन-चौथाई भाग पर पानी है और इसका एक चौथाई भाग थल है।

पहले भले ही यह कैसी भी रही हो, किंतु अब हमारी पृथ्वी कितनी सुंदर है! इस पर कहीं पहाड़ हैं, तो कहीं रेगिस्तान हैं। अद्भुत रूप है हमारी इस धरा का। कहीं नदियाँ व झरने कलकल कर रहे हैं, तो कहीं पक्षी चहचहा रहे हैं।

रात को चमकने वाला यह चंद्रमा भी तो इसी पृथ्वी का टुकड़ा है। लेकिन इस पर न जंगल हैं, न नदियाँ हैं, न झीलें और न तालाब हैं। पानी की एक बूँद तक नहीं। हरी घास का तिनका तक नहीं। इस पर कोई प्राणी तक नहीं रहता। बस सूखी चट्टानें हैं।

हमारी इस धरती पर प्राणी जन्म लेते हैं, इसकी गोद में पलते हैं, इसका अन्न खाते इसका पानी पीते हैं, इसलिए इसे मातृभूति कहा गया है। यह हमारी माँ है और हम इसके पुत्र हैं।

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