हेलो दोस्तों मै हूँ केशव आदर्श और आपका हमारे वेबसाइट मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में स्वागत है आज जो मै आपको कहानी सुनाने जा रहा हु | उसका नाम है Magic Cooker – जादुई कुकर। यह एक Moral Stories For Kids और Bedtime Stories In Hindi और Best Magic Story की कहानी है और इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है और आपको बहुत बढ़िया सिख भी मिलेगी | मै आशा करता हु की आपको ये कहानी बहुत अच्छी तथा सिख देगी | इसलिए आप इस कहानी को पूरा पढ़िए और तभी आपको सिख मिलेगी | तो चलिए कहानी शुरू करते है आज की कहानी – Magic Cooker – जादुई कुकर।

जादुई कुकर – Magic Cooker | Best Magic Story | Bedtime Stories
बहुत समय पहले हरियापुर गांव में एक पति पत्नी का जोड़ा रहता था | वो दोनों एक बहुत दिनों से एक ढाबा खोलना चाहते थे |
मीनाक्षी – सुनो जी, आज भगवान की कृपा से हमारा ढाबा खुली गया अब देखना हमारे हाथ का स्वादिष्ट और बढ़िया खाना खाकर ग्राहक उंगलियां चाटते रह जाएंगे |

महेंद्र – तुम ठीक कह रहे हो मीनाक्षी वो बस ग्राहक बढ़ जाए |
दो आदमी – खाने में क्या क्या मिलेगा |
महेंद्र – जी सब कुछ है, दाल तड़का, दाल मखनी, भिंडी, बैगन का भरता कड़ी चावल, राजमा, चावल, रंदोरी रोटी, नान और भी बहुत कुछ | Best Magic Story – सुरेश, चल फिर आज इसी ढाबे पर खाना खा लेते हैं | सामने कल्लू के ढाबे पर तो खाने का वो स्वाद नहीं रहा जो पहले होता था |
कल्लू – मेरे ढाबे के सामने ये नया ढाबा खुल गया है मेरे तो ढाबे पर ग्राहक आने ही बंद हो गए हैं | ( मीनाक्षी और महेंद्र का चलता हुआ ढाबा देखकर कल्लू जलन से भर जाता है | ) ये एक और सामने ढाबा खुल गया कोई ना कोई मुसीबत आ ही जाती है |

मीनाक्षी – हमारा ढाबा अच्छा चल पड़ा है, सचमुच ये देखकर मैं बहुत खुश हूँ |
महेंद्र – हमारा ढाबा इसी तरह चलता गया तो वो दिन दूर नहीं जब हम अपना एक बड़ा होटल खोल लेंगे |
उस गांव में ठाकुर गज्जनसिंह का राज़ चलता था | Best Magic Story – ठाकुर गज्जनसिंह के आदमी आए दिन बाजार में बनी दुकानों पर आकर अपना रौब झाड़ते थे और दुकानदार को परेशान करते थे |
एक दिन ठाकुर गज्जनसिंह के आदमी बाजार में घूम रहे थे | तभी उनकी नजर मीनाक्षी और महेंद्र के ढाबे पर पड़ी
गज्जनसिंह सिंह के आदमी – अरे देखो, गांव में नया ढाबा खुल गया और गज्जनसिंह के आदमी को नहीं पता | चलो सब आज इसी ढाबे पर दावत उड़ाते है | Best Magic Story – ये ढाबे वाली तो खुद ही मखनी दाल लग रही है, फिर तो इसके हाथ में जादू होगा |
महेंद्र – जी, आपको क्या चाहिए ऑर्डर बता दीजिए

गज्जनसिंह सिंह के आदमी – अरे तू, सामने से हट कड़वे-करेले, उस मीठी खीर को हमारे पास भेज |
महेंद्र – देखो, तमीज़ से बात करो | वो मेरी पत्नी है |
गज्जनसिंह सिंह के आदमी – तो मुझे तभी सिखाएगा तमीज़ | तेरी तो….. ( गज्जनसिंह सिंह के आदमी -आदमियों ने महेंद्र को एक तमाचा घीच कर दिया | )
मीनाक्षी – देखो, यहाँ पर गुंडागर्दी नहीं चलेगी, Best Magic Story – सीधी तरह से यहाँ से चले जाओ वरना मैं पुलिस को बुला लुंगी | चल तू कहती है तो यहाँ से चले जाते हैं, लेकिन याद रखना हम दोबारा फिर आएँगे |
वो बदमाश गुंडे उस वक्त वहाँ से चले जाते है, कल्लू ये सब देख रहा था |
मीनाक्षी – ये ठाकुर गज्जनसिंह अपने आप को समझता क्या है? सारा दिन इसके गुंडे बाजार में घूमकर सभी दुकानदारों को तंग करते हैं और इनके मन में हम औरतों के लिए ज़रा सी भी इज्जत नहीं है |
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महेंद्र – अरे तुम जानते नहीं हो, Best Magic Story – ठाकुर गजसिंह बहुत ही गिरा हुआ इंसान है | उसके मन में दया नाम का तो कोई शब्द है ही नहीं | सब गांव वाले इस से बहुत डरते हैं |
कल्लू – इन दोनों को यहाँ से हटाने का रास्ता मुझे मिल गया है | अब देखता हूँ, ये दोनों अपना ढाबा कैसे चलाते?
ठाकुर गज्जनसिंह – ( कल्लू ने जाकर गज्जनसिंह को सारी बातें बताई ) मतलब तू चाहता है कि हम तेरे सामने वाला ढाबा हटवा दें, इसमें हमारा क्या फायदा होगा?
कल्लू – मैं….मैं…… आपको अपनी कमाई में से हिस्सा दूंगा आपका फायदा ही फायदा है |
ठाकुर गज्जनसिंह – अच्छा, तो ये बात है मैं अभी अपने आदमियों को महेंद्र के ढाबे पर भेजता हूँ |

ठाकुर गज्जनसिंह अपने आदमियों को महेंद्र के ढाबे पर भेजता है |
गज्जनसिंह सिंह के आदमी – ठाकुर साहब का हुक्म है, अब ये ढाबा इस गांव में नहीं चलेगा, तो अभी के अभी अपना ये ढाबा बंद करके यहाँ से चलता बन
महेंद्र – अरे कोई ज़ोर जबरदस्ती है क्या हम ये ढाबा बंद नहीं करेंगे तुम्हारे ठाकुर को जाकर बोल दो जो करना है कर लें | तुम लोगों ने बदमाशी दिखाई तो हम पुलिस को जाकर बता देंगे |
गज्जनसिंह के आदमी – अच्छा तेरी जुबान बहुत चल रही है, कहीं ऐसा ना हो ढाबे के साथ साथ हम तेरे पति को भी जिंदा जला दें |
तभी ठाकुर गजसिंह की जीप आकर रुकती है, ठाकुर गज्जनसिंह जीप से उतरता है और गुस्से में ढाबे पर जाता है |

गज्जनसिंह – तुम दोनों की इतनी मजाल की मेरे गांव में ही रहकर मेरे से नहीं डरते | पकड़ लो, उसके पति को और इस ढाबे के साथ जिंदा जला दो |
मीनाक्षी – नहीं, ठाकुर, नहीं, मेरे पति को छोड़ दो, मैं तुमसे विनती करती हूँ, मत लगाओ आग | मेरे पति को छोड़ दो |
गज्जनसिंह – गज्जनसिंह से पंगा लिया था ना तुम दोनों न, अब सजा भुगतनी पड़ेगी | चलो तुम सब क्या देख रहे हो? ढाबे में आग लगा दो और इसके पति में भी, दोनों जलके मर जाने चाहिए |
मीनाक्षी – नहीं नहीं, मेरे पति को छोड़ दो, कोई बचाओ, मेरे पति मर जाएंगे | नहीं……… बचाओ कोई बचाओ बचाओ, मुझे बचाओ |
महेंद्र – मीनाक्षी मुझे बचा लो |
मीनाक्षी – गज्जनसिंह याद रखना, आज इस तरह से तुने मेरे पति को जलाया है | एक दिन तू भी ऐसे ही जल कर मरेगा, तू भी ऐसे ही जल कर मरेगा |

मीनाक्षी रोती रह जाती है और महेंद्र, अपने ढाबे के साथ जलकर मर जाता है | महेंद्र को गुजरे दो दिन हो गए थे, मीनाक्षी ने कुछ नहीं खाया था | वो हिम्मत करती है और ढाबे पर जाती है |
मीनाक्षी – सब कुछ खत्म हो गया, सब कुछ जलकर खाक हो गया | तभी मीनाक्षी ने एक कुकर देखा, अरे ये तो वही कुकर है जो महेंद्र पिछले हफ्ते ही नया खरीद कर लाए थे | इतने मन से ढाबे के लिए उन्होंने ये नया कुकर खरीदा था, ये उनकी आखिरी निशानी है | आज खिचड़ी इसी पर बनाती हूँ |
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खिचड़ी मछली बनाई रही थी कि तभी एक व्यक्ति वहाँ पर आता है |
वह व्यक्ति – जी नमस्ते, मैं इस गांव में नया आया हूँ |आपका ये ढाबा देखा तो रुक गया, कुछ खाने को मिलेगा क्या?
मीनाक्षी – आप रुकिए, मैं आपके लिए खाने को लेकर आती हूँ |

मैंने तो थोड़ी सी खिचड़ी ही बनाई थी |पर कोई बात नहीं, ये उन शहरी बाबू को ही दे देती हूँ | मैं अपने लिए कुछ और बना लुंगी |
अरे ये क्या? ये कुकर तो खिचड़ी से भरा हुआ है पर थोड़ी देर पहले तो मैं सारी खिचड़ी शहरी बाबू के लिए ले गई थी | ये कैसा जादू है महेंद्र? मुझे तो ऐसा लगता है आप यहीं कहीं मेरे साथ हो, मेरे पास हो, आप मेरी सहायता कर रहे हो |
मीनाक्षी – अब मैं इस जादुई कुकर की सहायता से अपने ढाबे को फिर से शुरू करुँगी |
मीनाक्षी अब रोजाना ही और जादुई कुकर में खाना बनाती और ग्राहकों को खिलाती जादुई कुकर में बना खाना सुबह से शाम तक चलता था |
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धीरे धीरे मीनाक्षी का ढाबा फिर से चल पड़ता है, कुछ दिन बीत जाते हैं | ढाबे को फिर से चलता देख, कल्लू गुस्से में आ जाता है और ठाकुर गज्जनसिंह के पास जाता है | गज्जनसिंह अपने आदमियों के साथ दोबारा मीनाक्षी के ढाबे पर पहुंचता है |

गज्जनसिंह – लगता है, तुझे भी तेरे पति के पास भेजना ही पड़ेगा | गांव वालो कान खोलकर सुन लो, जिसकी किसी ने भी मेरे हुक्म का विरोध किया या मेरे खिलाफ़ जाकर कोई काम किया, उसका यही अंजाम होगा |
गांव वाले – बेचारी मीनाक्षी पहले पति चला गया और आज ठाकुर भी इसे जिंदा जलाने जा रहा है और कौन भला गज्जनसिंह के आगे बोल सकता है? अब तो भगवान ही मीनाक्षी को बचा सकते हैं, वही कोई चमत्कार कर सकते हैं |
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गज्जनसिंह – इस पूरे गांव में कोई भी माई का लाल नहीं है, जो गज्जनसिंह के आगे सिर उठाकर बोल सके | जला दो इसे…..
गज्जनसिंह के आदमी मीनाक्षी को जलाने ही जा रहे थे कि अचानक गोलियों की बौछार से वो घबरा जाते हैं |
शहरी बाबू ही पुलिस इंसपेक्टर – खबरदार किसी ने भी भागने की हिम्मत की……………. |

मीनाक्षी – शहरी बाबू आप पुलिस इंसपेक्टर, आप इसे मत छोड़ना इस गज्जन सिंह ने मेरे पति को जिंदा जला दिया था |
गज्जनसिंह पुलिस से बचने के लिए मीनाक्षी के ढाबे में घुस जाता है, तभी चूल्हे पर रखा कुकर फट जाता है और गंजनसिंह आग में झुलस जाता है |
गज्जन सिंह को उसके गुनाहों की सजा मिल गई थी, शायद महेंद्र ने खुद गज्जनसिंह के पापों की सजा उसे दी थी | मीनाक्षी को इंस्पेक्टर रजत के रूप में एक हमदर्द मिल गया था, जिसने मीनाक्षी के दर्द को समझा मीनाक्षी इंस्पेक्टर रजत की मदद से महेंद्र की याद में एक नया ढाबा खोलती है |
गांव वाले भी गज्जन सिंह के आतंक से आज़ाद होकर खुश थे |
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