Top 10 Most Valuable Hindi Story | Read Hindi Story | Moral Stories In Hindi

हमलोग आपके लीये एक खाश पेशकाश लेकर आये हुए हैं यह बहुत ही मजेदार कहानिया हैं इन कहानियो से आपको बहुत अच्छी शिक्षा मिलेगी | इन कहानियो से शिक्षा मिलेगी | आप अपने जीवन में उतारे | इन कहानियो से आपका भला होगा | तो आप इन कहानियों को पढ़े और अच्छी शिक्षा ले और को भी कहानिया भेजे ताकि वो भी इसका लाभ उठा सके |

Most Valuable Hindi Story | Read Hindi story | Stories In Hindi

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काश उसने रामायण पढ़ी होती – read hindi story

Read Hindi story – हुएनसांगची लाऊ, यही नाम था उसका पिता उसे सांग कहते थे जो चाहे तो आप भी इसी नाम से पुकारिये | उसका पिता शिकारी था। ये फसाता हिरन मारता और फिर उनके चमड़े बेच डालता। यही रोजगार था | बाप-दादों से उसके घर का |

एक दिन पिता ने उसे एक बड़े पेड़ की छाया यें बैठा दिया और स्वयं बंदूक लेकर एक और जंगल में चला गया। घर न माँ है और न कोई भाई-बहन इसलिये सूने पर उसका मन लगता नहीं था। मास्टरजी की बेंत के डर से वह पाठशाला नहीं जाता। दूसरे लड़के पड़ने चले जाते हैं। भला, गाँव में किसके साथ खेले?

पिता के साथ रोज जंगल में जाता है। कभी चिड़ियों को उड़ाता है, कभी खरगोश के पीछे दौड़ता है और आम भी कभी-कभी खाने को मिल जाते हैं। वह शिकारी का लड़का है। read hindi story उसे अकेले जंगल में दौड़ने और खेलने डर नहीं लगता।

Read Hindi story – एक दिन पिता के जाने पर वह घूम रहा था। एक ओर से ‘खो-खों की आवाज आयी। वह देखने दौड़ गया। एक बड़ा- सा रीछ कंटीली झाड़ियों में उलझ गया था। बड़े-बड़े पालो कोटे से थे। एक ओर से कांटे तो दूसरी ओर उलझ जाते घरा गया था। लड़के को दया आ गयी। चला गया। उसने काँटे छुड़ाकर को छुटकारा दे दिया।

बड़े जोर से चिल्लाया। लड़के के सामने खड़े होकर देर स्तक भलभलाता रहा। लड़का डर रहा था, मुझे खा न जाये | वह भाग भी नहीं सकता था | रीछ जाने क्या व्याख्यान दे रहा था। थोड़ी देर में रीछ उलटे भाग गया। लड़के की जान में जान आयी।

रीछ किसी पर चिढ़ जाय तो बड़ा भयानक शत्रु होता है, वह पेड़ पर भी चढ़ जाता है। लेकिन किसी पर प्रसन्न हो जाय तो मित्र भी बहुत अच्छा होता है। अपने पर उपकार करनेवाले का उपकार वह भूलता नहीं है। जो लोग दूसरे प्राणियों पर दया करते हैं, उन्हें उस दया और उपकार का फल भी मिलता है।

संसार के बहुत- से प्राणी मनुष्य के उपकार का बड़ा सुन्दर बदला उपकार करके चुकाते हैं। रीछ की भाषा लड़का नहीं समझता था। किंतु रीछ ने उससे कहा था- मैं तुम्हारा मित्र हूँ। मैं तुम्हारे लिये अभी मीठे फल लेकर आता हूँ।

Read Hindi story – लड़का वहाँ से बहुत दूर भाग जाना चाहता था। read hindi story वह दौड़ा जा रहा था। वह कुछ ही दूर जा पाया था कि रीछ फिर आ गया। अबकी बार वह कई सुन्दर सुन्दर फल लाया था। उसने लड़के के हाथों में फल दे दिये। लड़के ने खाकर देखा कि बहुत मीठे हैं वे फल ।

लड़के और रीछ की दोस्ती हो गयी। इस मित्रता से लड़के का बाप बहुत प्रसन्न था। रीछ लड़के को रोज मीठे-मीठे फल लाकर देता था। लड़का अपने पिता को भी वे फल देता था। एक दिन लड़के ने जंगल में आते ही देखा कि उसके मित्र रीछ की आँखें दुखनी आ गयी हैं।

वह एक पेड़ के तने से लगकर बैठा है और ‘हूँ’ ‘हूँ’ करके रो रहा है। लड़के को हँसी आ गयी। वह ताली बजाकर हँसने लगा। रीछ को आया गुस्सा और उसने लड़के की नाक नोच खायी। लड़के की यह दुर्दशा क्यों होती, यदि उसने। रामायण पढ़ी होती । यदि उसने रामायण की शिक्षा ली होती तो उसे पता होता कि-

जे न मित्र दुख होहिं दुखारी । तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥

प्रत्युपकार – Stories In Hindi

Read Hindi story – शेर की गुफा थी। खूब गहरी, खूब अँधेरी । उसी में बिल बनाकर एक छोटी चुहिया भी रहती थी । शेर जो शिकार लाता, उसकी बची हड्डियों में लगा मांस चुहिया के लिये बहुत था। शेर जब जंगल में चला जाता, तब वह बिल से निकलती और हड्डियों में लगे मांस को कुतरकर पेट भर लेती। खूब मोटी हो गयी थी वह।

Read hindi story – एक दिन शेर दोपहर में सोया था । चुहिया को भूख लगी । वह बिल से बाहर निकली और उसने अपना पेट भर लिया। पास रहते-रहते उसका भय दूर हो गया था। पेट भर जाने पर वह शेर के शरीर पर चढ़ गयी। शेर का कोमल चिकना शरीर उसे बहुत पसंद आया। उसे बड़ा आनन्द आया। वह उसके पैर, पीठ, गर्दन और मुख पर इधर से उधर दौड़ने लगी ।

इस धमाचौकड़ी में शेर की नींद खुल गयी। उसने पंजा उठाकर चुहिया को पकड़ लिया और डाँटा– ‘क्यों री, मेरे शरीर पर यह क्या ऊधम मचा रखा है तूने ?’

चुहिया की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। अब मरी तब मरी । किसी प्रकार काँपते-काँपते बोली- ‘महाराज ! मुझ से सचमुच बड़ा भारी अपराध हो गया! पर आप समर्थ हैं, यदि मुझे क्षमा करके प्राणदान दे दें तो मैं शक्तिभर आपकी सेवा करूँगी।’

शेर हँस पड़ा। उसने चुहिया को छोड़ते हुए कहा – ‘जा, तू मेरी सेवा तो क्या करेगी और जंगल के राजा को नन्हीं चुहिया की सेवा से करना भी क्या है, पर तुझे क्षमा करता हूँ।’

संयोग की बात किसी अजायबघर को जीवित शेर की आवश्यकता थी। जंगल में जाल लगाया गया। शेर उसमें फँस गया। वह दहाड़ ने और चिल्लाने लगा।

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Read Hindi story – शेर बहुत शक्तिशाली था। वह बार-बार पंजे मारता था, दांतों से जाल को काटना चाहता था और उछलकर भागना चाहता था। लेकिन जाल ऐसा वैसा नहीं था। शेर को फँसाने के लिये भला कोई कमजोर जाल कैसे बिछा सकता है | शेर जितना उछलता और पंजे मारता था, जाल के फंदे उतने ही करते जाते थे।

शेर के पंजे के नखों और मुँह से भी रक्त आने लगा था, किंतु वह बराबर जाल को नोचता ही जाता था। इससे हुआ यह कि जाल बहुत अधिक कड़ा हो गया। उसके बन्धन इतने कस गये कि शेर अब हिल भी नहीं सकता था।

जंगल का राजा शेर जाल में पड़ा पड़ा दहाड़ रहा था। वह कभी किसी से डरा नहीं था. कभी किसी ने उसे बांधा नहीं था | उसे बन्धन में पड़ना बहुत बुरा लग रहा था, किंतु अब वह कर भी क्या सकता था। वह दहाड़ रहा था और कुछ-कुछ डर भी रहा था कि कोई उसे पकड़ने आवेगा | उसे क्रोध तो खूब ही आ रहा था।

शेर की आवाज चुहिया ने पहचानी | वह दौड़ी आयी और बोली- ‘महाराज ! आप चुप रहें। दहाड़ने से दूर गये शिकारी दौड़ आयेंगे और मुझे भी डर लगेगा। मैं काम नहीं कर सकूँगी। मैं जाल कुतर देती हूँ।’

शेर चुप हो गया। बड़ा मजबूत जाल था। चुहियाके दांतों से रक्त निकलने लगा, पर उसने जाल तो काट ही दिया। शेर कुछ बोले, इससे पहले चुहिया ने कहा- ‘आप जल्दी भागिये! मेरा क्या यह कम सौभाग्य है कि मैं अपने जीवनदाता एवं जंगल के महाराज की कुछ सेवा कर सकी।’ शेर ने केवल इतना कहा-

‘भलो भलाइहि पै लहड़।’

उपकार – hindi stories for reading

Read Hindi story – अफ्रीका बड़ा भारी देश है। उस देश में बहुत घने वन है। और उन क्नों में सिंह, भालू, गैंडा आदि भयानक पशु बहुत होते हैं। बहुत से लोग सिंह का चमड़ा पाने के लिये उसे मारते हैं।

गरमी के दिनों में हाथी जिस रास्ते झरने पर पानी पीने जाते हैं, उस रास्ते में लोग बड़ा भारी गहरा गड्ढा खोद देते हैं और इस गड्ढे के चारों और लकड़ियों को भाले के समान नॉकवाली करके गाड़ देते हैं। फिर गड्ढे को पतली लकड़ियों और पत्तों से ढक देते हैं।

जब हाथी पानी पीने निकलते हैं तो उनके दल का आगे का हाथी गड्ढे के ऊपर दहनियों के कारण गड्ढे को देख नहीं पाता और जैसे ही टहनियों पर पैर रखता है, टहनियाँ टूट जाती हैं और हाथी गड्ढे में गिर जाता है। पीछे हाथी पकड़ने वाले गड्ढे में एक ओर रास्ता खोदकर दूसरे पालतू हाथियों की सहायता से उस हाथी को पकड़ लाते हैं।

Read Hindi story – हाथी पकड़ने वाले उस हाथी को लाकर पहले कई दिन भूखा रखते हैं। गड्ढे में भी हाथी कई दिन भूखा रखा जाता है, जिससे कमजोर हो जाने के कारण निकलते समय बहुत धूम न मचावे।

भूख के मारे जब हाथी छटपटाने लगता है, तब कोई आदमी उसे चारा देने जाता है। चारा देने के बहाने वह आदमी हाथी से धीरे-धीरे जान-पहचान कर लेता है और फिर हाथी को वही सिखाता है। शिक्षा देनेके बाद हाथी को लोग बेच देते हैं।

कई बार हाथी पकड़ने के लिये जो गड्ढा बनाया जाता है, उसमें रात को धोखे से हिरन, नीलगाय, चीते या जंगल के दूसरे पशु भी गिर जाते हैं। गड्ढा बनाने वाले उन्हें भी निकाल लाते हैं।

हाथी पकड़ने वालों ने अफ्रीका के जंगल में एक बार हाथी फँसाने के लिये गड्ढा बनाया और ढक दिया। रात में एक सिंह उस गड्ढे में गिर पड़ा। सिंह किसी छोटे पशु को पकड़ने दौड़ा होगा और भूल से गड्ढे में जा पड़ा होगा।

एक शिकारी उधर से निकला। उसने सिंह को में गिरा देखा। वीर पुरुष किसी को दुःख में देखकर उसे मारते नहीं, उसकी सहायता करते हैं। सिंह बार-बार उछलता था; परंतु गड्ढे के चारों ओर गड़ी नोकवाली लकड़ियों से उसे चोट लगती थी और वह फिर गड्ढे में गिर जाता था। शिकारी ने एक रस्सी में दो लकड़ियों को बाँधा और पेड़ पर चढ़ गया।

पेड़ पर से रस्सी खींचकर उसने लकड़ियाँ उखाड़ दीं। शिकारी ने नीचे से लकड़ियाँ इसलिये नहीं उखाड़ी कि कहीं गड्ढे से निकलने पर सिंह उसे मार न डालें। दो लकड़ियाँ उखड़ने से सिंह को रास्ता मिल गया। वह उछलकर गड्ढे बाहर निकल आया।

Read Hindi story – वह शिकारी एक दिन एक झरने के किनारे पानी पीकर, बंदूक रखकर बैठा था। वह बहुत थका था, इसलिये लेट गया और उसे नींद आ गयी। इतनेमें एक चीता वहाँ आया और शिकारी को मारने के लिये उस पर चढ़ बैठा।

बेचारा शिकारी डरके मारे चिल्ला भी न सका । इतने में एक भारी सिंह जोर से गर्जा। उसकी गर्जना सुनकर चीता पूँछ दबाकर भागने लगा; पर सिंह चीते के ऊपर कूद पड़ा और उसने चीते को चीर-फार डाला ।

शिकारी समझता था कि चीते को मारकर सिंह अब उसे मारेगा; लेकिन सिंह आया और शिकारी के सामने बैठकर पूँछ हिलाने लगा। शिकारी ने पहचान लिया कि यह वही सिंह है, जिसे गड्ढे में से निकलने में शिकारी ने सहायता दी थी।

सिंह- जैसा भयंकर पशु भी अपने उपकार करनेवाले को नहीं भूला था। तुम मनुष्य हो, तुम्हें तो अपने पर कोई थोड़ा भी उपकार करे तो उसे नहीं भूलना चाहिये और उस उपकारी की सेवा-सहायता करने के लिये सदा तैयार रहना चाहिये ।

पाखण्ड का परिणाम – story in hindi for read

Read Hindi story – एक सियार था। एक दिन उसे जंगल में कुछ खाने को न मिला। बड़ी भूख लगी थी। अन्त में वह बस्ती में कुछ खाने की खोज में आया। अँधेरी रात थी। लोग सो गये थे । जाड़े का दिन था। घरों के दरवाजे बंद थे। सियार गली-गली भटकता फिरा ।

एक धोबी का घर था । गधे बँधे थे। एक नाँद में कपड़े भीग रहे थे और एक में कुछ और था। सियार को गन्ध-सी आयी । सोचा, शायद कुछ पेट में डालने को मिल जाय । नाँद ऊँची थी। कूदा और नाँद में गिर पड़ा। जाड़े के दिन, रात्रि का समय, ठंडे पानी में गिरने से दुर्दशा हो गयी । कूदा और थर-थर काँपता सीधा जंगल की ओर भागा।

प्रातःकाल नाले के पानी से पेट भरने गया । पानी में छाया देखकर दंग रह गया । रात को वह नील की नाँद में गिर पड़ा था। सूरत बदल गयी थी। बड़ा प्रसन्न हुआ। जंगल में जानवरों की सभा बुलायी, उसने घोषित किया कि ‘मैं नीलाकर हूँ। मुझे ब्रह्मा ने जंगल का राजा बनाकर भेजा है। जो मेरी आज्ञा नहीं मानेगा, उसे बहुत भयंकर दण्ड मिलेगा।’

Read Hindi story – जानवरों ने ऐसे अद्भुत रंग का पशु कहाँ देखा था । उन्होंने सियार की बात मान ली। वह जंगल का राजा हो गया । सब पर रोब गाँठने लगा ।

उस सियारने शेर को अपना मन्त्री बनाया, चीते को सेनापति बनाया। दूसरे पशुओं की उसने सेना बनायी।

वह बैठा-बैठा सबको आज्ञा देता था। शेर उसके लिये शिकार मार लाता था। रोज उसे बेर और दूसरे बन के फल लाकर देते थे। वह खुद कोई काम नहीं करता था। सब पशु उसे नीलाकर महाराज कहकर पुकारते और प्रणाम करते थे।

उस डोंगी सियार को अपनी जातिवालों से चिढ़ थी। उन सियारों को अपने पास भी नहीं आने देता था उसे डर लगता था कि कोई सियार उसे पहचान न ले। किसी सियार को वह मिलने का समय नहीं देता था। उसने चीते से कह दिया था कि सभी सियारों को वनसे भगा दो सियारों में नये राजा की इस आज्ञा से बड़ी हलचल मची थी।

अभी तक किसी राजा ने उन्हें नोंच डाली गयी। वन में से निकाला नहीं था कोई सिंह सियारों को मारता भी नहीं था। इस नये राजा ने तो उन्हें एकदम जंगल से बाहर हो खदेड़ देने को कह दिया। सियार बार-बार आपस में मिलते थे। और सलाह करते थे कि कैसे राजा को मनाया जाय अपना घर छोड़कर वे बेचारे कहाँ जाते, लेकिन कोई उपाय नहीं दीखता था।

Read Hindi story – एक दिन एक काने सियारने अपनी जातिवालोंसे कहा- “यह नया राजा तो विचित्र है। इसके न तो दांत मजबूत हैं और न पंजे ! यह बलवान् भी नहीं जान पड़ता। जंगलका राजा शेर तो दूसरेका मारा शिकार छूतातक नहीं और यह सदा दूसरोंसे अपने लिये शिकार मंगवाता है।

‘ दूसरे ने कहा- ‘मुझे भी दाल में काला दीखता है। यह सूरत शकल में हमलोगों जैसा ही है। केवल रंग में अन्तर है।’ काने ने कहा- ‘अच्छा, हम सब उसके पास कुछ पीछे चलकर हुआ हुआ तो करें। अभी भेद खुल जायगा।’

सलाह पक्की हो गयी। नकली सियार पशुओं के दरबार में बैठा था। पीछे की ओर से सियारों की खूब हुआ-हुआं सुनायी पड़ी। उसे अपनी दशा भूल गयी। उसने भी कान खड़े किये। मुख आकाश की ओर उठाया और पूँछ फटकार कर हुआँ हुआँ चिल्लाने लगा।

‘अरे, यह तो सियार है!’ पशुओं में क्रोध भरी पुकार मची। वे झपट पड़े और सियार भागे तब तक तो उसकी बोटी-बोटी

‘उघरहिं अंत न होइ निबाहू।’

बाबाजी गये चोरी करने – stories for class 10

Read Hindi story – एक बाबाजी एक दिन अपने आश्रम से चले गंगाजी नहाने। बाबाजी धोखे से आधी रात को ही निकल पड़े थे ।। रास्ते में उनको चोरों का एक दल मिला। चोरों ने बाबाजी से कहा—’या तो हमारे साथ चोरी करने चलो, नहीं तो मार डालेंगे।’

बेचारे बाबाजी क्या करते, उनके साथ हो लिये। चोरों ने एक अच्छे-से घर में सेंध लगायी। एक चोर बाहर रहा और सब भीतर गये। साधु बाबा को भी वे लोग भीतर ले गये। चोर तो लगे संदूक ढूँढ़ने, तिजोरी तोड़ने। बाबाजी ने देखा कि एक ओर सिंहासन पर ठाकुर जी विराजमान हैं। उन्होंने सोचा- ‘आ गये हैं तो हम भी कुछ करें।

ये ठाकुरजी की पूजा करने बैठ गये।’ बाबाजी ने चन्दन घिसा। धूपबत्ती ठीक की और लगे इधर-उधर भोग ढूँढ़ने। वहाँ कुछ प्रसाद था नहीं। सोचा, ठाकुरजी के जगने पर कोई सती-सेवक आ जायगा तो उससे भोग मँगा लेंगे। ठाकुर जी तो रेशमी दुपट्टा ताने सो रहे थे। पूजा के लिये उनको जगाना आवश्यक था। बाबाजी ने उठाया शंख और लगे ‘धूतूधू’ करने ।

Read Hindi story – ठाकुरजी तो पता नहीं जगे या नहीं, पर घर के सब सोये लोग चौंककर जाग पड़े। सब चोर सिर पर पैर रखकर भाग खड़े हुए। घर के लोगों ने दौड़कर बाबाजी को पकड़ा। बाबाजी ने कहा – ‘चिल्लाओ मत। ठाकुरजी को भोग लगाने के लिये कुछ दौड़कर ले आओ, तब तक मैं पूजा करता हूँ। पूजा हो जायगी, तब तुम सबको प्रसाद दूँगा और उन चोरों को भी दूँगा |

जो सब सेंध लगाकर मेरे साथ इस घर में आ गये हैं। जाओ, जल्दी करो ।’ घर के लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। पूछने पर सब बातों का पता लगा। तब एक स्त्री ने हँसते हुए बाबाजी के पास ठाकुरजी को भोग लगाने के लिये बहुत-से पेड़े लाकर रख दिये। उस समय एक वृद्ध यह गा रहे थे-

बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं । फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं ॥

मुझे मनुष्य चाहिये – hindi stories read online

Read Hindi story – एक मन्दिर था आसाम में। खूब बड़ा मन्दिर था । उसमें हजारों यात्री दर्शन करने आते थे। सहसा उसका प्रबन्धक प्रधान पुजारी मर गया। मन्दिर के महन्त को दूसरे पुजारी की आवश्यकता हुई। उन्होंने घोषणा करा दी कि जो कल सबेरे पहले पहर आकर यहाँ पूजा सम्बन्धी जाँच में ठीक सिद्ध होगा, उसे पुजारी रखा जायगा ।

मन्दिर बड़ा था। पुजारी को बहुत आमदनी थी। बहुत-से ब्राह्मण सबेरे पहुँचने के लिये चल पड़े। मन्दिर पहाड़ी पर था । एक ही रास्ता था। उस पर भी काँटे और कंकड़-पत्थर थे। ब्राह्मणों की भीड़ चली जा रही थी मन्दिर की ओर। किसी प्रकार काँटे और कंकड़ों से बचते हुए लोग जा रहे थे ।

Read Hindi story – सब ब्राह्मण पहुँच गये। महन्त ने सब को आदरपूर्वक बैठाया। सब को भगवान्‌ का प्रसाद मिला। सबसे अलग- अलग कुछ प्रश्न और मन्त्र पूछे गये । अन्त में परीक्षा पूरी हो गयी। जब दोपहर हो गयी और सब लोग उठने लगे तो एक नौजवान ब्राह्मण वहाँ आया। उसके कपड़े फटे थे। वह पसीने से भीग गया था और बहुत गरीब जान पड़ता था । महन्त ने कहा – ‘तुम बहुत देर से आये !’

वह ब्राह्मण बोला- ‘मैं जानता हूँ। मैं केवल भगवान्का दर्शन करके लौट जाऊँगा ।’

महन्त उसकी दशा देखकर दयालु हो रहे थे। बोले – ‘तुम जल्दी क्यों नहीं आये?’

उसने उत्तर दिया- ‘घर से बहुत जल्दी चला था । मन्दिर के मार्ग में बहुत काँटे थे और पत्थर भी थे। बेचारे यात्रियों को

उनसे कष्ट होता । उन्हें हटाने में देर हो गयी।’ महन्त ने पूछा- ‘अच्छा, तुम्हें पूजा करना आता है?’

Read Hindi story – उसने कहा- ‘भगवान्‌ को स्नान करा के चन्दन – फूल चढ़ा देना, धूप-दीप जला देना तथा भोग सामने रखकर पर्दा गिरा देना और शंख बजाना तो जानता हूँ।’

‘ और मन्त्र ?’ महन्त ने पूछा । वह उदास होकर बोला- ‘भगवान्से नहाने-खाने को कहने के लिये मन्त्र भी होते हैं, यह मैं नहीं जानता।’ सब पण्डित हँसने लगे कि ‘यह मूर्ख भी पुजारी बनने आया है।’ महन्त ने एक क्षण सोचा और कहा-‘ -‘पुजारी तो तुम बन गये। अब मन्त्र सीख लेना, मैं सिखा दूँगा।

मुझ से भगवान्ने स्वप्न में कहा है कि मुझे मनुष्य चाहिये।’ ‘हमलोग मनुष्य नहीं हैं?” दूसरे पण्डितों ने पूछा। वे लोग महन्त पर नाराज हो रहे थे। इतने पढ़े-लिखे विद्वानों के रहते महन्त एक ऐसे आदमी को पुजारी बना दे जो मन्त्र भी न जानता हो, यह पण्डितों को अपमान की बात जान पड़ती थी ।

महन्त ने पण्डितों की ओर देखा और कहा- ‘अपने स्वार्थ की बात तो पशु भी जानते हैं। बहुत-से पशु बहुत चतुर भी होते हैं। लेकिन सचमुच मनुष्य तो वही है, जो दूसरों को सुख पहुँचाने का ध्यान रखता है, जो दूसरों को सुख पहुँचाने के लिये अपने स्वार्थ और सुख को छोड़ सकता है।’

पण्डितों का सिर नीचे झुक गया। उन लोगों को बड़ी लज्जा आयी। वे धीरे-धीरे उठे और मन्दिर में भगवान्‌ को और महन्तजी को नमस्कार कर के उस पर्वत से नीचे उतरने लगे। भाई, तुम सोचो तो कि मनुष्य हो या नहीं ?

कछुआ गुरु – stories hindi

Read Hindi story – एक बूढ़े आदमी थे। गंगा किनारे रहते थे। उन्होंने एक झोपड़ी बना ली थी। झोपड़ी में एक तख्ता था, जल से भरा मिट्टी का एक घड़ा रहता था और उन्होंने एक कछुआ पाल रखा था। पास की बस्ती में दोपहर में रोटी माँगने जाते तो थोड़े चने भी माँग लाते। वे कछुए को भीगे चने खिलाया करते थे।

एक दिन किसी ने पूछा- ‘आपने यह क्या गंदा जीव पाल रखा है, फेंक दीजिये इसे गंगाजी में।’

बूढ़े बाबा बड़े बिगड़े। वे कहने लगे- ‘तुम मेरे गुरु- बाबा का अपमान करते हो ? देखते नहीं कि तनिक सी आहट पाकर या किसी के साधारण स्पर्श से वे अपने सब अंग भीतर खींचकर कैसे गुड़मुड़ी हो जाते हैं। चाहे जितना हिलाओ- डुलाओ, वे एक पैर तक न हिलायेंगे ।

‘इससे क्या हो गया ?’ उसने पूछा।

‘हो क्यों नहीं गया!’ मनुष्य को भी इसी प्रकार सावधान रहना चाहिये, लोभ-लालच और भीड़-भाड़ में नेत्र मूँदकर राम-राम करना चाहिये।

Read Hindi story – सच्ची बात तो यह है कि वे किसी को देखते ही भागकर झोपड़ी में घुस जाते थे और जोर-जोर से ‘राम-राम’ बोलने लगते । पुकारने पर बोलते ही नहीं थे। आज पता नहीं, कैसे बोल रहे थे।

उस आदमी ने कहा—’चाहे जो हो, दीखता है।’ यह बड़ा घिनौना है । बूढ़े बाबाने कहा -‘ -‘ इससे क्या हो गया। अपने परम लाभ के लिये तो नीच से भी प्रेम किया जाता है । ‘ वे कछुए को हथेली पर उठाकर पुचकार ने लगे और गाने लगे-

‘अति नीचहु सन प्रीति करिअ जानि निज परम हित ॥’

बगुला उड़ गया – short hindi stories

Read Hindi story – जापान में एक साधारण चरवाहा था । उसका नाम था मूसाई। एक दिन वह गायें चरा रहा था। एक बगुला उड़ता आया और उसके पैरों के पास गिर पड़ा। मूसाई ने बगुले को उठा लिया। सम्भवतः बाज ने बगुले को घायल कर दिया था। उजले पंखों पर रक्त के लाल-लाल बिन्दु थे । बेचारा पक्षी बार-बार मुख फाड़ रहा था ।

मूसाई ने प्यार से उस पर हाथ फेरा। जल के समीप ले जाकर उसके पंख धोये। थोड़ा जल चोंच में डाल दिया । पक्षी में साहस आया। थोड़ी देर में वह उड़ गया। इसके थोड़े दिन पीछे एक सुन्दर धनवान् लड़की ने मूसाई की माता से प्रार्थना की और उससे मूसाई का विवाह हो गया।

मूसाई बड़ा प्रसन्न था । उसकी स्त्री बहुत भली थी। वह मूसाई और उसकी माता की मन लगाकर सेवा करती थी। वह घर का सब काम अपने-आप कर लेती थी। मूसाई की माता तो अपने बेटेकी स्त्री की गाँव भर में प्रशंसा ही करती फिरती थी। उसे घर के किसी काम में तनिक भी हाथ नहीं लगाना पड़ता था ।

Read Hindi story – भाग्य की बात – देश में अकाल पड़ा। खेतों में कुछ हुआ नहीं । मूसाई मजदूरी की खोज में माता तथा स्त्री के साथ टोकियो नगर में आया। मजदूरी कहीं जल्दी मिलती है? मूसाई के पास के पैसे खर्च हो गये थे । उसको उपवास करना पड़ा। तब उसकी स्त्री ने कहा- ‘मैं मलमल बना दूँगी। तुम बेच लेना। लेकिन जब मैं मलमल बुनूँ तो मेरे कमरे में कोई न आवे।’

मूसाई की समझ में कोई बात नहीं आयी। वह नहीं जानता था कि उसकी स्त्री मलमल कैसे बनावेगी ? लेकिन मूसाई सीधा था। उसे अपनी स्त्री पर पूरा विश्वास था । उसकी स्त्री ने पहले कभी झूठ नहीं कहा था। फिर पास में पैसे थे नहीं। किसी प्रकार कोई पैसे मिलने का रास्ता निकले तो घर का काम चले।

Read Hindi story – मूसाई ने स्त्री की बात चुपचाप मान ली। स्त्री जब उससे कुछ माँगती नहीं तो उसकी बात मान लेने में हानि भी क्या थी। उसने अपनी माता से कह दिया कि जब उसकी स्त्री अपना कमरा बंद कर ले तो कोई उसे पुकारे नहीं और न उसके कमरे में ही जाय।

दूध के समान उजला मलमल और उसपर छोटे-छोटे लाल छींटें – मूसाई की स्त्री ने जो मलमल बनायी वह अद्भुत थी । रेशम के समान चमकती थी। बहुत कोमल थी। जब मूसाई उसे बेचने गया तो खुद राजा मिकाडो ने मलमल खरीदी। मूसाई को सोने की मुहरें मिलीं। अब तो मूसाई धनी हो गया । उसकी स्त्री मलमल बनाती और वह बेच लाता ।

एक दिन मूसाई ने सोचा- ‘मेरी स्त्री न रूई लेती है, न रंग । वह मलमल कैसे बनाती है?’ मूसाई छिपकर खिड़ की से देखने गया, जब स्त्री ने मलमल बनाने का कमरा बंद कर लिया था। मूसाई ने देखा भीतर स्त्री नहीं है।

Read Hindi story – एक उजला बगुला बैठा है। वह अपने पंख से पतला तार नोचता है और पंजों से मलमल बुनता है। उसके गले में घाव है। घाव का रक्त वह पंजे से वस्त्र पर छिड़क कर छींटे डालता है। मूसाई ने समझ लिया कि वही बगुला स्त्री बना है और उपकार का बदला दे रहा है।

मूसाई को बड़ा आश्चर्य हुआ। एक छोटे बगुले ने उपकार का ऐसा बदला दिया है; यह सोचकर उसका हृदय भर आया । उसकी आँखों में आँसू आ गये। वह जहाँ-का-तहाँ खड़ा रह गया। उसे वह बात भूल गयी कि उसकी स्त्री ने मना किया है कि मलमल बुनते समय कोई उसे देखने न आवे। उसे तो यह भी याद नहीं रहा कि वह यहाँ क्यों खड़ा है।

इसी समय मूसाई की माता ने पुकारा । मूसाई बोल पड़ा। बगुला चौंका और खिड़की से उड़ गया-

जो जीवों पर दया करता है, उसे अवश्य बड़ा लाभ होता है।

सत्य बोलो – hindi stories for reading

Read Hindi story – एक डाकू था। डाके डालता, लोगों को मारता और उनके रुपये, बर्तन, कपड़े, गहने लेकर चम्पत हो जाता। पता नहीं, कितने लोगों को उसने मारा। पता नहीं कितने पाप किये।

एक स्थान पर कथा हो रही थी। कोई साधु कथा कह रहे थे। बड़े-बड़े लोग आये थे । डाकू भी गया । उसने सोचा- ‘कथा समाप्त होने पर रात्रि हो जायगी । कथा में से जो बड़े आदमी घर लौटेंगे, उनमें से किसी को मौका देखकर लूट लूँगा ।’

कोई कैसा भी हो, वह जैसे समाज में जाता है, उस समाज का प्रभाव उस पर अवश्य पड़ता है। भगवान्‌ की कथा और सत्संग में थोड़ी देर बैठने या वहाँ कुछ देर को किसी दूसरे बहाने से जाने में भी लाभ ही होता है। उस कथा – सत्संग का मन पर कुछ-न-कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है।

Read Hindi story – कथा सुनकर उसको लगा कि साधु तो बड़े अच्छे हैं। उसे कथा सुनकर मृत्यु का डर लगा था। और मरने पर पापों का दण्ड मिलेगा, यह सुनकर वह घबरा गया था। वह साधु के पास गया। ‘महाराज ! मैं डाकू हूँ। डाका डालना तो मुझसे छूट नहीं सकता। क्या मेरे भी उद्धार का कोई उपाय है? उसने साधु से पूछा ।

साधु ने सोचकर कहा – ‘तुम झूठ बोलना छोड़ दो। ‘ डाकू ने स्वीकार कर लिया और लौट पड़ा। कथा से लौटनेवाले घर चले गये थे। डाकू ने राजा के घर डाका डालने का निश्चय किया। वह राजमहल की ओर चला । पहरेदार ने पूछा- ‘कौन है ? ‘

झूठ तो छोड़ ही चुका था, डाकू ने कहा- ‘डाकू’ । पहरेदार ने समझा कोई राजमहल का आदमी है। पूछने से अप्रसन्न हो रहा है। उसने रास्ता छोड़ दिया और कहा – ‘भाई, मैं पूछ रहा था। नाराज क्यों होते हो, जाओ।’ वह भीतर चला गया और खूब बड़ा संदूक सिर पर लेकर निकला । पहरेदार ने पूछा- ‘क्या ले जा रहे हो ?’

उसने कहा—‘जवाहरात का संदूक ।’

Read Hindi story – पहरेदार ने पूछा- ‘किससे पूछकर ले जाते हो ?’ डाकू को झूठ तो बोलना नहीं था। उसने सत्य बोलने का प्रभाव भी देख लिया था। वह जानता था कि पहरेदार ने उसे राजमहल में भीतर जाने दिया, वह भी सत्य का ही प्रभाव था । नहीं तो पहरेदार उसे भीतर भला कभी जाने देता ? डाकू के मन में उस दिन के साधु के लिये बड़ी श्रद्धा हो गयी थी ।

उसका डर एकदम चला गया था । वह सोच रहा था कि यदि इतना धन लेकर मैं निकल गया और पकड़ा न गया तो फिर आगे कभी डाका नहीं डालूँगा। उसे अब अपना डाका डालने का काम अच्छा नहीं लगता था । पहरेदार से वह जरा भी झिझका नहीं । उसे तो सत्य का भरोसा हो गया था। उसने कहा- ‘डाका डालकर ले जा रहा हूँ।’ मीटि

पहरेदारने समझा कोई साधारण वस्तु है और यह बहुत चिढ़नेवाला जान पड़ता है। उसने डाकू को जाने दिया । प्रातः राजमहल में तहलका मचा। जवाहरात की पेटी नहीं थी। पहरेदार से पता लगने पर राजा ने डाकू को ढूँढ़कर बुलवाया।

Read Hindi story – डाकू के सत्य बोलने से राजा बहुत प्रसन्न हुआ । उसने उसे अपने महल का प्रधान रक्षक बना दिया। अब डाकू को रुपयों के लिये डकैती करने की आवश्यकता ही नहीं रही । उसने सबसे बड़ा पाप असत्य छोड़ा तो दूसरे पाप अपने-आप छूट गये-

नहिं असत्य सम पातक पुंजा ।’

सबसे बड़ा धर्मात्मा – story in hindi for read

Read Hindi story – एक राजा के चार लड़के थे। राजा ने उनको बुलाकर बताया कि ‘जो सबसे बड़े धर्मात्मा को ढूँढ़ लायेगा, वही राज्य का अधिकार पायेगा।’ चारों लड़के घोड़ों पर सवार हुए और दिशाओं में चले गये।

एक दिन बड़ा लड़का लौटा। उसने पिता के सामने एक सेठजी को खड़ा कर दिया और बताया- ‘ये सेठजी सदा हजारों रुपये दान करते हैं। इन्होंने बहुत-से मन्दिर बनवाये हैं, तालाब खुदवाये हैं और अनेक स्थान पर इनकी ओर से प्याऊ चलते हैं।

तीर्थों में इनके सदाव्रत चलते हैं, ये नित्य कथा सुनते हैं, साधु-ब्राह्मणों को भोजन कराकर भोजन करते हैं। गौ-पूजन करते हैं, इनसे बड़ा धर्मात्मा संसार में कोई नहीं है।’

राजा ने कहा – ‘ये निश्चय धर्मात्मा हैं।’ सेठजी का आदर- सत्कार हुआ और वे चले गये।

Read Hindi story – दूसरा लड़का एक दुबले-पतले ब्राह्मण को लेकर लौटा। उसने कहा – ‘इन विप्रदेव ने चारों धामों तथा सातों पुरियों की पैदल यात्रा की है। ये सदा चान्द्रायण व्रत ही करते रहते हैं। झूठ से तो सदा डरते हैं। इन्हें क्रोध करते किसी ने कभी नहीं देखा। नियम से मन्त्र जप करके तब जल पीते हैं। तीनों समय स्नान करके संध्या करते हैं। इस समय विश्व में ये सबसे बड़े धर्मात्मा हैं। ‘

राजा ने ब्राह्मण देवता को प्रणाम किया। उन्हें बहुत-सी दक्षिणा दी और कहा – ‘ये अच्छे धर्मात्मा हैं।’ तीसरा लड़का भी आया। उसके साथ एक बाबाजी थे । बाबाजी ने आते ही आसन लगाकर नेत्र बंद कर दिये। उनकी बड़ी भारी जटा थी, शरीर में केवल हड्डियाँ भर जान पड़ती थीं।

उस लड़के ने बताया कि ‘महाराज बहुत प्रार्थना करने पर पधारे हैं। बहुत बड़े तपस्वी हैं। सात दिनों में केवल एक बार दूध पीते हैं। गरमी में पंचाग्नि तापते हैं। सर्दी में जल में खड़े रहते हैं। सदा भगवान्‌ का ध्यान करते हैं, इनके समान धर्मात्मा की बात सोचना भी कठिन है।’

राजा ने महात्मा को दण्डवत् किया – महात्मा आशीर्वाद देकर बिना कुछ कहे चलते बने। राजा ने कहा – ‘अवश्य ये बड़े धर्मात्मा हैं । ‘

सबसे अन्त में छोटा लड़का आया। साथ में मैले कपड़े पहने एक देहाती किसान था। वह किसान दूर से ही हाथ जोड़कर डरता हुआ राजा के सामने आया। तीनों बड़े लड़के छोटे भाई की मूर्खता पर हँसने लगे।

Read Hindi story – छोटे भाई ने कहा – ‘एक कुत्ते के शरीर में घाव हो गये थे। पता नहीं किसका कुत्ता था, इसने देखा और लगा घाव धोने। मैं इसे ले आया हूँ । पता नहीं, यह धर्मात्मा है या नहीं? आप पूछ लें । ‘ राजा ने पूछा – ‘तुम क्या धर्म करते हो ?’

डरते हुए किसान ने कहा- ‘मैं अनपढ़ हूँ, धर्म क्या जानूँ । कोई बीमार होता है तो सेवा कर देता हूँ। कोई माँगता है तो मुट्ठी भर अन्न दे देता हूँ।’

राजा ने कहा—‘यह सबसे बड़ा धर्मात्मा है।’ सब लड़के इधर-उधर देखने लगे, तो राजा ने कहा-

Read Hindi story – दान-पुण्य करना, देवताओं की और गौ की पूजा करना धर्म है। झूठ न बोलना, क्रोध न करना, तीर्थ यात्रा करना, संध्या करना, पूजा करना भी धर्म है- तपस्या करना तो धर्म है ही; किंतु सबसे बड़ा धर्म है— बिना किसी चाह के असहाय प्राणियों की सेवा करना

Read Hindi story – बिना किसी स्वार्थ के भूखे को अन्न देना, रोगी की टहल करना, कष्ट में पड़े हुए की सहायता करना – सबसे बड़ा धर्म है। जो दूसरे प्राणियों की भलाई करता है, उसकी भलाई अपने-आप होती है। तीनों लोकों के स्वामी भगवान् उस पर प्रसन्न होते हैं।

‘ पर हित सरिस धर्म नहिं भाई ।’

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