हेलो दोस्तों मै हूँ केशव आदर्श और आपका हमारे वेबसाइट मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में स्वागत है आज जो मै आपको कहानी सुनाने जा रहा हु |
उसका नाम है Top 10 Best Moral Stories in Hindi for class 2 यह एक Moral Stories For Kids और Motivational Story In Hindi और Top 10 Best Moral Stories in Hindi for class 2 की कहानी है औरTop 10 Best Moral Stories in Hindi for class 2 – इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है और आपको बहुत बढ़िया सिख भी मिलेगी | मै आशा करता हु की आपको ये कहानी बहुत अच्छी तथा सिख देगी | इसलिए आप इस कहानी को पूरा पढ़िए और तभी आपको सिख मिलेगी | तो चलिए कहानी शुरू करते है |
Top 10 Best Moral Stories in Hindi for class 2

ये कहानियां निम्न है :-
- एक्की दोक्की
- ब्रोनो मिल गया
- चलो केक बनाएं
- आसमान गिरा
- मेरी किताब
- चंदा मामा
- डिस्कवरी चैनल
- मुझे सोने दो
- प्रकृति का AC
- कैरमबोर्ड
1. एक्की दोक्की
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।
एककेसवाली सीधी-साधी थी। उसके एक ही बाल था इसलिए सब उसे एक्की बुलाते थे।
दोनकेसवाली बड़ी घमंडी थी। उसके दो बाल थे इसलिए सब उसे दोक्की बुलाते थे।
अम्मा का मानना था कि दोक्की जैसी सुंदर लड़की तो दुनिया में है ही नहीं और बाबा- उनको सोचने की फुरसत न थी। वे काम में जो उलझे रहते थे।
दोक्की हमेशा अपनी बहन एक्की पर रोब जमाती रहती। एक दिन की बात है। एक्की घने जंगल में गई। चलते-चलते वह घने जंगल के बीच पहुँच गई। चारों तरफ़ सन्नाटा छाया था। अचानक उसे एक आवाज़ सुनाई दी- “पानी! मुझे प्यास लगी है। कोई पानी पिला दो।”

पास में ही पानी की धारा बह रही थी। एक्की ने चुल्लू में पानी भरकर एक बार, दो बार, कई बार झाड़ी के ऊपर डाला। मेहदी की झाड़ी खुश हुई और बोली – “धन्यवाद एक्की! मैं तुम्हारी यह मदद याद रखूँगी।”
Moral Stories – एक्की आगे बढ़ गई। फिर अचानक सन्नाटे में उसे एक और आवाज़ सुनाई दी– “मुझे भूख लगी है। कोई मुझे खाना खिला दो।”
एक्की ने देखा कि एक मरियल-सी गाय पेड़ से बँधी हुई थी । एक्की ने घास-फूस इकट्ठी की और गाय को खिला दी। उसके बाद उसने गाय के गले में बँधी रस्सी को खोल दिया।
“धन्यवाद एक्की! मैं तुम्हारी यह मदद हमेशा याद रखूँगी” – गाय ने कहा ।
अब एक्की चलते-चलते थक गई थी। उसे गर्मी भी लग रही थी और प्यास भी।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे? कहाँ जाए? तभी उसे दूर एक झोपड़ी दिखाई दी। एक्की दौड़कर झोपड़ी तक गई और आवाज़ लगाई – “कोई है ?”
एक बूढ़ी अम्मा ने दरवाज़ा खोला।
एक्की हैरान रह गई और चुपचाप झोंपड़ी में आ गई। झोंपड़ी में आकर उसे बहुत अच्छा लगा।
बूढ़ी अम्मा बोली—“आओ बेटी, मैंने तुम्हारे लिए नहाने का पानी तैयार कर दिया। पहले अच्छी तरह से तेल लगा लो और उसके बाद नहा लो। फिर हम खाना खाएँगे।”
एक्की शरमा गई और बोली – “नहीं! नहीं!”
अम्मा ने पुचकारते हुए कहा – “अरे नहीं क्या! जैसा मैं कहती हूँ वैसा
एक्की ने बूढ़ी अम्मा की बात मान ली।
फिर पता है क्या हुआ? एक्की ने जैसे ही
अपने सिर से तौलिया हटाया, तो उसने पाया कि उसके सिर पर एक नहीं बल्कि बहुत
सारे बाल थे। एक्की इतनी खुश हुई कि
वह खाना खा ही नहीं सकी। बस,
बार-बार वह बूढ़ी अम्मा का धन्यवाद ही करती रही!
बूढ़ी अम्मा मुस्कराई और बोली –
“अब तुम घर जाओ बेटी और हमेशा खुश रहो ।”
करो।”
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।एक्की के तो जैसे पंख ही निकल आए। वह सरपट घर की तरफ़ दौड़ चली। रास्ते | में उसे गाय ने मीठा-मीठा दूध दिया और झाड़ी ने हाथों पर रचाने के लिए मेंहदी दी। घर पहुँचकर एक्की ने सारी कहानी सुनाई।
दोक्की कहानी सुनते ही सीधे जंगल की तरफ़ भागी। टोक्की इतनी तेज़ भाग रही थी कि न तो उसने प्यासी झाड़ी और न ही भूखी गाय की पुकार सुनी।
वह तो धड़धड़ाती हुई झोंपड़ी में घुसी और बूढ़ी अम्मा को हुक्म दिया – “मेरे – लिए नहाने का पानी तैयार करो ।”
“हाँ, आओ, मैं तुम्हारी ही राह देख रही थी। पानी तैयार कर दिया है, नहा लो।” – बूढ़ी अम्मा दोक्की से बोली।
झटपट नहाने के बाद जैसे ही दोक्की ने तौलिया सिर से हटाया, उसकी तो चीख निकल गई। दोक्की के दो ही तो बाल थे और वे भी झड़ गए थे।
रोते-रोते दोक्की घर की तरफ़ चलने लगी। रास्ते में उसे गाय ने सींग मारा और मेंहदी की झाड़ी ने काँटे चुभो दिए।
मगर अब दोक्की अपना सबक सीख चुकी थी। इसके बाद एक्की, दोक्की अपने अम्मा-बाबा के साथ खुशी-खुशी रहने लगीं
2. ब्रोनो मिल गया
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।दादा जी, आपको याद होगा, जब आप पिछली बार हमारे घर आए थे, तो हमारे घर में एक पालतू कुत्ता था। मेरा प्यारा कुत्ता ब्रूनो एक वर्ष का था। जानते हैं, पाँच में दिन पहले उसे कोई चुराकर ले गया। मुझे बहुत बुरा लगा।
उसकी याद में रो-रोकर मेरा बुरा हाल हो गया था। मुझे उसके बिना खाना-पीना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। कल रात जब मैं सोया, तो मैंने अपने प्यारे कुत्ते को सपने में देखा।

मुझे उसकी आवाज़ सुनाई दी। मुझे लगा वह मुझे पुकार रहा है। मेरी नींद खुल गई। आवाज़ सचमुच आ रही थी। मैंने तुरंत मम्मी को उठाया। मम्मी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, मेरा प्यारा ब्रूनो दौड़ता हुआ मेरी ओर आया।
वह मेरे पैरों से चिपक गया। उसे वापस पाकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने झट से उसे गोद में उठा लिया। माँ ने उसे कटोरी में दूध पीने को दिया। अब हम सब बहुत खुश हैं।
दादा जी, आप और दादी जी हमसे मिलने जल्दी से आ जाइए। मैं और ब्रूनो आप दोनों का इंतज़ार कर रहे हैं। दादी जी को मेरा प्रणाम कहना।
3. चलो केक बनाएं
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।पात्र – परी, शिखा, मोहित, रुचि, मुदिता, रिहान जून का महीना था। गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ गई थीं। मोहित, मुदिता, रिहान और रुचि शिखा के घर आए हुए थे। शिखा के माता-पिता घर पर नहीं थे। शिखा ने अपनी बड़ी बहन परी से अपने मित्रों के लिए कुछ बनाने को कहा। परी ने सोचा कि सबके लिए केक बनाती हूँ।
परी, मोहित, परी, शिखा, केक बनाने में मेरी मदद करो।
मोहित मैं कहानी पढ़ रहा हूँ, मदद नहीं कर सकता हूँ। शिखा, परी मैं तो गपशप कर रही हूँ, मदद नहीं कर सकती हूँ। रिहान, केक बनाने में मेरी मदद करो।
रिहान, परी मैं तो कंप्यूटर पर चित्र बना रहा हूँ, तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। रुचि, केक बनाने में मेरी मदद करो।
रुचि- मैं तो अपनी गुड़िया से खेल रही हूँ, मदद नहीं कर सकती । मुदिता, केक बनाने में मेरी मदद करो। मैं तो कार्टून देख रही हूँ, मदद नहीं कर सकती हूँ।
ठीक है। मैं खुद ही बना लेती हूँ।

Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।परी ने रसोई में आकर एक कटोरे में कुछ अंडों को फेंटा। उसमें पिसी चीनी, मक्खन और मैदा डालकर मिलाया। इसके बाद कटोरे को ओवन में रख दिया। आधे घंटे में ही पूरे घर में ताज़े केक की सुगंध फैल गई। उसने अपने खाने के लिए केक का एक बड़ा टुकड़ा काटा। सभी बच्चे केक की ओर देख रहे थे।
मुदिता इसकी खुशबू बहुत अच्छी है । मुझे भी थोड़ा-सा केक ” खाने को दो ।
परी – सचमुच केक बहुत स्वादिष्ट है, पर तुम्हारे पास तो इसे खाने के लिए भी समय नहीं होगा। परी की बात सुनकर सब बच्चों का सिर शर्म से झुक गया। उन्होंने परी से माफ़ी माँगी और अच्छा बच्चा बनने का वादा किया।
मोहित, मुदिता मैं चिप्स के पैकेट ले आती हूँ। रिहान, मैं सबके लिए शरबत बनाता हूँ। मेरे पास बिस्कुट हैं, मैं उन्हें ले आता हूँ। रुचि, मैं सारे बर्तन साफ़ कर दूंगी।
शिखा, मैं मेज़ पर सारी चीज़ें लाकर रख दूंगी।
परी (मुस्कराते हुए) ठीक है, चलो करते हैं।
सारे हाँ, हुर्रे! मज़ा आ गया।
4. आसमान गिरा
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।एक दिन एक छोटा पिल्ला आम के पेड़ के नीचे लेटा हुआ था। तभी आसमान में कुछ बादल घिर आए। तेज़ हवा चलने लगी। बिजली कड़की और उसी के साथ पिल्ले के सिर पर कुछ गिरा। पिल्ले ने चौंककर ऊपर देखा।
पिल्ला घबरा गया और तेज़ी से भागने लगा। भागते-भागते वह चिल्ला रहा था, “भागो, भागो। आसमान गिर रहा है।” चूहे ने पिल्ले को तेज़ी से भागते देखा।
“उसने पूछा, “क्या बात है? क्यों भाग रहे हो?” पिल्ला बोला, “भागो, भागो। आसमान गिर रहा है।”
चूहा यह सुनकर घबरा गया। वह भी “भागो, भागो” चिल्लाते हुए पिल्ले के पीछे भागने लगा। आगे जाने पर एक खरगोश मिला। खरगोश ने जब यह सुना, तो वह में भी घबराकर भागने लगा।
अब आगे पिल्ला था, पीछे चूहा, फिर खरगोश तभी उधर से एक लोमड़ी गुजरी। उन्हें भागते देख उसने पूछा, “क्या हुआ मित्रो? क्यों भाग रहे हो?” खरगोश बोला, “भागो, भागो।

Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।आसमान गिर रहा है। जान बचाकर भागो।” लोमड़ी यह सुनकर घबरा गई और वह भी तीनों के पीछे भागने लगी। अब चारों चिल्लाते हुए भाग रहे थे। तभी एक हाथी ने देखा कि पिल्ला, चूहा, खरगोश तथा लोमड़ी चारों तेज़ी से भाग रहे हैं।
‘ उन्हें भागते देखकर हाथी भी घबरा गया। वह भी चारों के पीछे-पीछे भागने लगा। भागते-भागते एक गुफ़ा के सामने एक शेर मिला। उसने पूछा, “क्या हुआ? कहाँ भागे जा रहे “हो?” पिल्ला बोला, “महाराज! आसमान टूटकर गिर रहा है। मेरे ऊपर भी एक टुकड़ा आकर गिरा।” शेर नै हैरानी से कहा, “क्या कभी आसमान भी गिरता है?”
फिर उसने चारों की तरफ देखकर पूछा, “क्यों और किसी ने आसमान को गिरते हुए देखा है?” चूहा, खरगोश, लोमड़ी व हाथी ने न में सिर हिलाया। पिल्ला बोला, “पर मेरे सिर पर आसमान का एक टुकड़ा टूटकर गिरा था।” शेर ने कहा, “अच्छा, हमें वहाँ ले चलो। मैं वह टुकड़ा देखना चाहता हूँ।”
पिल्ले के साथ सब आम के पेड़ के नीचे पहुॅचे। वहाँ केवल एक आम ही पड़ा था। उसे देखकर शेर जोर से हँसा और बोला, “वह आसमान नहीं था। वह यही आम था।”
फिर शेर ने उन्हें डाँटते हुए कहा, “तुम लोगों ने भी बिना देखे मान लिया कि आसमान गिर रहा है।” अब पाँचों जानवर मुँह लटकाए खड़े थे।
5. मेरी किताब
माँ ने वीरू को एक संदेश देकर अपनी बहन के पास भेजा। मौसी ने प्यार से वीरू को अंदर बुलाया और बैठक में ले गईं। बैठक में कदम रखते ही वीरू अचरज से ठिठक गई। उसने सोचा-बाप रे! इतनी सारी किताबें ।
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।वहाँ नीचे से ऊपर तक किताबों से भरे खानोंवाली दो लंबी दीवारें थीं। वह आँखें फाड़े देखती रही।
अंत में उसने साहस करके पूछा-“क्या आपके पास बच्चों के लिए भी किताबें हैं?”
मौसी ने कहा- “हाँ, वह देखो, यहवाला खाना और यहवाला।” वीरू ने बड़ी हैरानी से कहा- “इतनी ढेर सारी किताबें! मेरे पास तो इतनी किताबें,

Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।नहीं हैं।” मौसी ने कहा-“यदि तुम चाहो, तो मैं पढ़ने के लिए तुम्हें कुछ किताबें दे नही सकती हूँ। तुम्हें किस तरह की किताबें सबसे अधिक पसंद हैं?” वीरू ने धीरे से कहा- “मुझे मालूम नहीं।” मौसी ने एक किताब निकालकर वीरू को पकड़ाई और कहा- “तुम यह किताब पढ़कर देखो।” वीरू घबराकर पीछे हटी और बोली-“बाप रे! यह तो बहुत मोटी है।” मौसी ने सुझाव दिया- “अच्छा, फिर यहवाली ठीक रहेगी।” वीरू बोली- “यह बहुत बड़ी है। मेरे बस्ते में नहीं आएगी।”)
मौसी ने एक तीसरी किताब दिखाई “और इसके बारे में
क्या ख्याल है?” वीरू ने किताब के पन्ने पलटे और यह फ़ैसला किया “इसमें पढ़ने के लिए बहुत कम है। इतनी छोटी-छोटी तसवीरें! और यह किताब बहुत पतली है।”
मौसी ने कहा- “वीरू, मैं तुम्हारे लिए किताब नहीं चुन सकती। ऐसा करना अगली बार जब तुम आओ, तो अपने साथ एक फुट्टा लेती आना।”
वीरू ने पूछा – “फुट्टा क्यों?” मौसी ने हँसकर कहा – “तुम्हें जितनी मोटी किताब चाहिए, तुम नापकर ले लेना। ठीक है न!” वीरू ने माँ के भेजे हुए कागज़ को मेज़ पर रखा और भाग खड़ी हुई।
6. चंदा मामा
चंदा मामा हमें शीतलता प्रदान करता है।
हम चंदा मामा को कई आकारों में देखते हैं। नीचे दिए गए चंदा मामा के आकारों में रंग भरिए |
गुड़िया और श्रेय गरमी की छुट्टियाँ बिताने अपनी नानी के घर वीरपुर पहुँचे। उन्हें गाँव का वातावरण बहुत अच्छा लगा। सुबह से शाम कब हो जाती, उन्हें पता ही नहीं। चलता था।
रोज़ रात में नानी से कहानियाँ सुनने में दोनों को बहुत मज़ा आता था। एक रात गुड़िया और श्रेय नानी के साथ छत पर लेटे थे। गुड़िया ने ऊपर आकाश में चमकता हुआ चाँद देखा।
वह नानी से बोली, “नानी! कहानी तो आप रोज़ सुनाती हैं। आज हमें चंदा मामा के बारे में बताइए।” श्रेय भी बोला, “हाँ
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।नानी! बताइए ना।” नानी ने कहा, “ठीक है, आज मैं तुम लोगों को चंदा मामा के बारे में बताती हूँ।” दोनों बच्चे खुश हो गए तथा ध्यान से नानी की बातें सुनने लगे।

“देखो बच्चो! ऊपर आसमान में चाँद चमक रहा है। वह आकार में हमारी धरती से थोड़ा ही छोटा है, पर हमसे बहुत दूर होने के कारण यह इतना छोटा दिखता है।” गुड़िया ने पूछा, “नानी! क्या धरती की तरह वहाँ भी लोग रहते हैं?” “नहीं।” श्रेय बोला, “हमारी अध्यापिका ने बताया था कि चाँद पर हवा और पानी नहीं हैं, इसलिए वहाँ कोई नहीं रहता।” नानी बोलीं, “अच्छा बताओ, तुम्हारी अध्यापिका ने चाँद के बारे
Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।में और क्या बताया था?” श्रेय बोला, “उन्होंने बताया था कि चाँद हमारी धरती के चारों ओर चक्कर लगाता है। अब तो धरती से लोग अंतरिक्ष यान में बैठकर चाँद पर पहुँच चुके हैं।” अमरीका के निवासी नील आर्मस्ट्रांग चाँद की सतह
पर उतरनेवाले पहले व्यक्ति थे। चाँद की सतह पर
बहुत बड़ी-बड़ी चट्टानें एवं बड़े-बड़े गड्ढे हैं। गुड़िया ने बड़े आश्चर्य और उत्सुकता से पूछा, “भैया! चाँद इतना चमकता क्यों है?” श्रेय ने कहा, “धरती की तरह चाँद को भी सूरज से रोशनी मिलती है और इस रोशनी की वज़ह से वह चमकता है।” नानी बोलीं, “अच्छा बच्चो ! अब सो जाओ, बहुत रात हो चुकी है । कल मैं
लोगों को चंदा मामा की और भी कहानियाँ सुनाऊँगी।”
7. डिस्कवरी चैनल
टेलीविज़न सिर्फ़ हमारा मनोरंजन ही नहीं करता, बल्कि ज्ञान भी देता है।
परी खेलकर शाम को घर लौटी। हाथ-मुँह धोकर दादा जी के पास आकर बोली “दादा जी, टीवी पर डिस्कवरी चैनल लगाइए न।” परी को दादा जी के साथ बैठकर यह चैनल देखना अच्छा लगता है। उसे जानवरों से बहुत लगाव भी है। चैनल लगाने के साथ ही दादा जी ने बताया- “आज कंगारू के बारे में बताय जाएगा।”
कार्यक्रम में बताया गया कि कंगारू ऑस्ट्रेलिया में पाया जानेवाला पशु यह ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु है। इसके पेट के निचले भाग में एक विशेष प्रकार की थैली होती है। इस थैली में यह अपने छोटे बच्चों को रखता है। किसी और पशु के शरीर में ऐसी थैली नहीं होती।
टीवी स्क्रीन पर कंगारू को भागता हुआ देखकर परी को बहुत आनंद आ रहा था। कंगारू अपनी आगे की दोनों Moral Stories – एक बार दो बहनें थीं। एक का नाम था एककेसवाली और दूसरी का नाम था दोनकेसवाली। दोनों बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ एक छोटे-से घर में रहती थीं।टाँगों और पूँछ को टिकाकर, पिछली टाँगों को आगे बढ़ाता हुआ, उछल-उछलकर भाग रहा था।

तभी कुछ विज्ञापन आने लगे। परी चहकते हुए बोली- “अरे वाह! दादा जी, यह तो बहुत अनोखा जीव है।”
दादा जी ने समझाया- “बेटा, संसार में ऐसे अनेक अनोखे जीव हैं।” दो मिनट के बाद कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया। परी ने देखा-कंगारू की पूँछ लंबी और भारी है, जो उछलते समय उसे इधर-उधर लुढ़कने से बचा रही है।
तभी कंगारू अपनी पूँछ को ली माया कुरसी की तरह टिकाकर बैठ गया। प्यारा-सा एक बच्चा उसकी थैली से बाहर झाँक रहा था।
आगे बताया गया- कंगारू के बच्चों को ‘जोइस’ कह जाता है। कंगारू प्रायः झुंड में रहते हैं। झुंड का नेत एक बड़ा कंगारू होता है। ये अधिकतर घास फूस और फल खाते हैं। लंबे समय तक ये पानी के बिना रह सकते हैं।
कार्यक्रम समाप्त होने तक माँ ने मेज़ पर खाना लगा दिया। परी ने माँ-पापा को भी कंगारू के बारे में बताया। पापा बोले- “ऑस्ट्रेलिया के हवाई जहाज़ों पर भी कंगारू का चित्र बना होता है।” परी ने कहा- “पापा, अगली बार मैं भी आपके साथ ऑस्ट्रेलिया जाऊँगी। वहाँ जी भरकर कंगारू देखूँगी।” पापा बोले-” ज़रूर चलना।”
8. मुझे सोने दो
जतिन बहुत शरारती बच्चा था। वह कभी थकता ही नहीं था। उसे रात में जल्दी • सोना अच्छा नहीं लगता था। उसके माता-पिता उसे हमेशा समझाते- “हमें समय पर सोना चाहिए। रात की नींद हमारे लिए बहुत ज़रूरी है।” पर जतिन किसी की बात नहीं सुनता था। वह हमेशा रात में देर से सोता था।
जतिन बहुत शरारती बच्चा था। वह कभी थकता ही नहीं था। उसे रात में जल्दी • सोना अच्छा नहीं लगता था। उसके माता-पिता उसे हमेशा समझाते- “हमें समय पर सोना चाहिए।
रात की नींद हमारे लिए बहुत ज़रूरी है।” पर जतिन किसी की बात नहीं सुनता था। वह हमेशा रात में देर से सोता था। लातें मार-मारकर जतिन को ज़मीन पर गिरा दिया।

वह फिर उठकर पलंग पर लेटा, तो बिल्ली ने ज़ोर-ज़ोर से खर्राटे लेने शुरू कर दिए। जतिन पूरी रात सो नहीं पाया।
अगली रात फिर वही हुआ। जतिन फिर देर से अपने कमरे में पहुँचा। आज भी बिल्ली उसके बिस्तर पर पहले से ही सोई हुई थी। जतिन को बहुत गुस्सा आया।
उसने मन ही-मन कुछ सोचा और बिल्ली के साथ सोने की कोशिश करने लगा। अगली रात जैसे ही माँ ने जतिन से सोने को कहा, वह दौड़ता हुआ अपने कमरे में जाकर पलंग पर लेट गया। सोते सोते वह बड़बड़ा रहा था- “बिल्ली,
मुझे परेशान मत करो। मुझे सोने दो।” जतिन को समय पर सोता देखकर उसके माता-पिता बहुत खुश हुए। बिल्ली के आने से सचमुच जतिन जल्दी सोने लगा था।
9. प्रकृति का AC
छुक-छुक-छुक करती हुई रेलगाड़ी भागी जा रही थी। पेड़, खंभे, गाय भैंस, खेत, झोंपड़ियाँ सब तेज़ी से भागते नज़र आ रहे थे। रेलगाड़ी की गति धीमी होने लगी। शाम के पाँच बजे रेलगाड़ी स्टेशन पर आकर रुकी। स्टेशन पर चाचा जी इंतज़ार कर रहे थे। मनु माँ के साथ गाड़ी से नीचे उतरा।
चाचा जी ने माँ के हाथ से सूटकेस ले लिया और मनु का हाथ पकड़कर कार तक आए। सब कार में बैठकर चल दिए। कार खेतों के बीच बनी सड़क पर चल रही थी।
छुक-छुक-छुक करती हुई रेलगाड़ी भागी जा रही थी। पेड़, खंभे, गाय भैंस, खेत, झोंपड़ियाँ सब तेज़ी से भागते नज़र आ रहे थे। रेलगाड़ी की गति धीमी होने लगी। शाम के पाँच बजे रेलगाड़ी स्टेशन पर आकर रुकी। स्टेशन पर चाचा जी इंतज़ार कर रहे थे। मनु माँ के साथ गाड़ी से नीचे उतरा। चाचा जी ने माँ के

हाथ से सूटकेस ले लिया और मनु का हाथ पकड़कर कार तक आए। सब कार में बैठकर चल दिए। कार खेतों के बीच बनी सड़क पर चल रही थी।
सुबह हुई। मनु उठकर दादी के पास आया और बोला- “अरे वाह दादी, बिना ए०सी० के भी बहुत अच्छी नींद आई।” दादी हँसकर बोलीं- “हाँ बेटा, घर के आस-पास इतने पेड़ जो हैं। पेड़ों के घनी छाया सूर्य की गरमी को रोक लेती है जिससे घर की दीवारें गरम नहीं हो पाती
यही कारण है कि घर ठंडा रहता है। शहरों में पेड़ों की कमी है। इसलिए बिजली से चलनेवाले ए०सी० या कूलर लगाने पड़ते हैं। गाँव में पेड़ ही ए०सी० का काम करते हैं।”
मनु माँ से बोला- “माँ, हम भी अपने घर के आस-पास ए०सी० के पेड़ लगाएँगे ।”
मनु की बात सुनकर सब हँसने लगे। मनु नाश्ता करके चाचा जी के साथ गाँव घूमने गया।
गाँव में हरे-भरे लहलहाते खेत थे। बरगद के पेड़ की छाया में एक कुम्हार मिट्टी के बरतन बना रहा था तथा स्त्रियाँ कुएँ पर पानी भर रही थीं। पेड़ों की मज़बूत टहनियों पर झूले लटके थे। जिन पर बच्चे झूल रहे थे। मनु भी उनके साथ खूब झूला। मनु को गाँव अच्छा लगा। वह बहुत प्रसन्न था।
10. कैरमबोर्ड
“छुट्टी का दिन था। सुबह से तेज़ बारिश हो रही थी। सानिया और टीनू खेलने जाना चाहते थे। वे बार-बार खिड़की से बाहर देख रहे थे। बारिश रुके, तो जाएँ। बारिश थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
टीनू बोला- “आओ दीदी, कंप्यूटर पर कुछ खेलते हैं।” तभी एक आवाज़ आई । आवाज़ अलमारी के पीछे से आ रही थी। दोनों ने पास जाकर देखा।
अरे! यहाँ तो कैरमबोर्ड रखा हुआ है। कैरमबोर्ड ही बोल रहा था-“कंप्यूटर से तो रोज़ खेलते हो। मेरे
साथ भी खेलकर देखो।” सानिया बोली – “लेकिन हमें तो कैरम खेलना आता नहीं है।”
कैरम बोला- “आओ, मैं सिखाता हूँ। पहले मुझे एक चौकी पर रख लो।”
दोनों बच्चों ने झट से कैरमबोर्ड को एक चौकी पर रख दिया। कैरम बोला- “मुझे खेलने के लिए गोटियाँ और स्ट्राइकर चाहिए। नौ गोटियाँ काली, नौ सफ़ेद और एक लाल। लाल गोटी को ‘रानी’ कहते हैं। टीनू ने अलमारी में से गोटियों का डिब्बा निकाल लिया। कैरम बताने लगा- “मेरे बीच में बने गोले पर सब गोटियों को फूल की तरह सजा लो।

रानी को बीच में ही रखना। मेरे चारों कोनों पर जालीदार थैलियाँ बनी हुई हैं, जो गोटियों को रोक लेती हैं। मेरा स्ट्राइकर गोटियों से बड़ा होता है। स्ट्राइकर को बोर्ड पर खिंची रेखाओं के बीच में रखकर उँगली के ज़ोर से मारा जाता है। स्ट्राइकर से गोटियों को थैलियों में पहुँचाने का प्रयास किया। जाता है। बारी-बारी से हर खिलाड़ी स्ट्राइकर से निशाना बनाकर मारता है।
गोटी थैली में पहुँच जाए, तो एक बारी और मिलती है। अगर स्ट्राइकर ही थैली में चला जाए, तो जीती हुई गोटियों में से एक गोटी वापस बोर्ड पर रखनी होती है।
रानी गोटी को जीतने के लिए उसके पीछे-पीछे एक और गोटी भी थैली में पहुँचानी होती है। ऐसा न होने पर रानी गोटी को वापस बोर्ड पर रखना होता है। जो खिलाड़ी अधिक गोटियाँ थैलियों में पहुँचाता है, वह जीत जाता है। कई बार खिलाड़ी दो-दो के जोड़े बनाकर भी खेलते हैं। जीत-हार का निर्णय अंकों को जोड़कर होता है। सफ़ेद गोटियों के दो अंक, काली गोटियों का एक और रानी गोटी के पाँच अंक होते हैं।
सानिया और टीनू ने खेलना प्रारंभ कर दिया। कैरमबोर्ड भी आज बच्चों के साथ
खेलकर बहुत खुश था।