Moral Stories In Hindi For Class 10

Moral Stories In Hindi For Class 10 | Top 10 Moral Stories In Hindi | Short Moral Stories In Hindi | Moral Stories In Hindi

हेलो दोस्तों मै हूँ केशव आदर्श और आपका हमारे वेबसाइट मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में स्वागत है आज जो मै आपको कहानी सुनाने जा रहा हु |

उसका नाम है Moral Stories In Hindi For Class 10 कक्षा 10 के लिए हिंदी में नैतिक कहानियाँ। यह एक Moral Stories For Kids और Motivational Story In Hindi और Best Moral Stories In Hindi For Class 10 कक्षा 10 के लिए हिंदी में नैतिक कहानियाँ। की कहानी है

Top 10 moral stories in hindi – इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है और आपको बहुत बढ़िया सिख भी मिलेगी | मै आशा करता हूं की आपको ये कहानी बहुत अच्छी तथा सिख देगी | इसलिए आप इस कहानी को पूरा पढ़िए और तभी आपको सिख मिलेगी | तो चलिए कहानी शुरू करते है

आज की कहानी – Moral Stories In Hindi For Class 10 कक्षा 10 के लिए हिंदी में नैतिक कहानियाँ।

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Moral Stories In Hindi For Class 10 | Top 10 Moral Stories In Hindi

ये कहानियां निम्न है:-

  • अलबर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein)
  • सूफी संत ( Sufi saint )
  • एक लकड़हारा ( A Woodcutter )
  • सच्ची साधना और सेवा धर्म ( Service Religion and The True Prctice )
  • विवेकवान और संयमी ( Prudent and Moderate )
  • परमार्थ का पथ ( The Path of Charity )
  • सुखी कौन रह पाता है ( Who Can be happy )
  • सफलता – ( Success )
  • वीर शिवाजी – ( Vir Shivaji )
  • राजा कीर्ति सिंह – ( The King Kirti Singh )

1. अलबर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein)

विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन बर्लिन हवाई अड्डे से हवाई जहाज में सवार हुए। थोड़ी देर में उन्होंने माला निकाल कर जपना शुरू कर दिया।

उनके निकट बैठे युवक ने उनकी ओर हीनता से देखते हुए कहा- आज का युग वैज्ञानिक युग है। आज दुनिया में आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिक हैं और आप माला जपकर रूढ़िवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।”

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ऐसा कहकर उसने अपना कार्ड उनकी तरफ बढ़ाया और बोला “मैं अंधविश्वास समाप्त करने वाले वैज्ञानिकों के दल का प्रमुख हूँ। कभी मिलने आइए।” उत्तर में आइंस्टीन ने मुस्कराकर अपना कार्ड निकाला और उसे दिया। उनका नाम पढ़ते ही वह युवक हक्का-बक्का रह गया।

आइंस्टीन बोले – “दोस्त! वैज्ञानिक होना और आध्यात्मिक होना, विरोधी बातें नहीं हैं।

बिना आस्था के विज्ञान विनाश ही पैदा करेगा, विकास नहीं।” युवक के जीवन की दिशा यह सुनकर बदल ही गई।

2. सूफी संत ( Sufi saint )

Moral Stories In Hindi For Class 10 – एक प्रसिद्ध सूफी संत थे। उनके बारे में मान्यता थी कि वे किसी भी व्यक्ति से मिलते ही एक बार में उसके मनोभाव भाँप लेते थे। एक बार एक फकीर उनसे मिलने आए।

उनसे मिलते ही उन्होंने कहा “सूप आ गया।” कुछ देर पश्चात राज्य का सबसे धनी व्यक्ति उनसे मिलने आया तो वे बोले – “ये तो चलनी है।” पास खड़े उनके शिष्य ने उनके दोनों वक्तव्य सुने।

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उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज उनके गुरु ने दो व्यक्तियों के विषय में ऐसी अभद्र टिप्पणी क्यों दी? संकोच करते हुए उसने संत से अपनी जिज्ञासा प्रकट की तो वे बोले-“बेटा! संसार में दो तरह के लोग हैं,

एक वो जो सूप की तरह बेकार की वस्तुओं को त्यागकर सारयुक्त तत्त्वों को ग्रहण करते हैं और दूसरे वो, जो चलनी की तरह काम की वस्तुओं को छोड़कर बेकार की वस्तुओं को स्वीकार करते हैं।”

शिष्य की समझ में आ गया कि कामिनी-कांचन का त्यागकर परमात्मतत्त्व को ग्रहण करने वाले फकीर को सूप और परमात्मा से विमुख होकर सांसारिक भोग्य पदार्थों को ग्रहण करने वाले धनी व्यक्ति को क्यों उनके गुरु ने चलनी कहा।

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3. एक लकड़हारा ( An Woodcutter )

Moral Stories In Hindi For Class 10 – एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था। जंगल से लकड़ियाँ काटकर जो धन मिलता, उसी में संतुष्ट रहता। एक दिन वह नदी किनारे एक पेड़ काट रहा था और उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई।

पानी गहरा था और लकड़हारा यह सोच ही रहा था कि किस तरह अपनी कुल्हाड़ी वापस निकाले कि वहाँ एक देवता प्रकट हो गए। उन्होंने मंत्र विद्या से पानी में से कुल्हाड़ी बाहर निकाली, पर वो कुल्हाड़ी चाँदी की थी। उसे देखकर लकड़हारा बोला-“देव! क्षमा करें। ये कुल्हाड़ी मेरी नहीं है।”

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देवता ने दूसरी बार में सोने की कुल्हाड़ी निकाली तो लकड़हारे ने “मेरी नहीं है”-ऐसा कहते हुए वो कुल्हाड़ी भी लेने से इनकार कर दिया। अंत में देवता ने उसकी कुल्हाड़ी निकाली और सोने चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी उसे देते हुए बोले–“पुत्र हम तुम्हारी ईमानदारी से प्रसन्न हैं। तुम ये सारी कुल्हाड़ियाँ रखो और सुख से जीवनयापन करो।” गाँव लौट कर लकड़हारे ने सारा घटनाक्रम अपने मित्र को सुनाया।

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उसका मित्र बेईमानी की भावना रखता था। अगले दिन वह भी उसी स्थान पर पेड़ काटने गया और जान-बूझकर अपनी कुल्हाड़ी पानी में डाल दी। देवता प्रकट हुए और उन्होंने पहले चाँदी की और फिर से सोने की कुल्हाड़ियाँ उसे दीं। सोने की कुल्हाड़ी देखते ही वह व्यक्ति बोला- “यही मेरी कुल्हाड़ी है।” देवता यह सुनते ही अदृश्य हो गए और एक आकाशवाणी हुई-“मूर्ख! असत्य बोलकर तूने देव शक्तियों को कुपित किया है।

अब तेरी लोहे की कुल्हाड़ी भी जलमग्न ही रहेगी।” वह व्यक्ति अपना एकमात्र धन गँवाकर घर लौटा देवता देते तो हैं, पर उनके अनुदान सत्यात्रों को ही मिलते हैं, झूठे मक्कारों को केवल हाथ मलते रह जाना पड़ता है।

4. सच्ची साधना और सेवा धर्म ( Service Religion and The True Prctice )

Moral Stories In Hindi For Class 10 – दुनियादारी की बातों से परेशान होकर कुछ युवकों के मन में क्षणिक वैराग्य जागा और वे घर छोड़ जंगल को निकल चले। चलते-चलते बातों का क्रम चल पड़ा।

एक ने पूछा ‘अच्छा भाइयो! ये बताइए कि जब हम तपस्या करेंगे और उससे प्रसन्न होकर भगवान आएँगे तो हम क्या वरदान माँगेंगे।” दूसरा बोला – “मैं तो भरपेट अन्न माँगूँगा।

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भूखे पेट कौन जीवित रह पाएगा।” तीसरा बोला- “मैं तो अपार बल माँगूँगा। शक्ति हो तो कोई भी राह खुल जाती है।” चौथा बोला – “मैं तो बुद्धि माँगूँगा, सुना है बुद्धि धनबल, जनबल से भी श्रेष्ठ है।” पाँचवाँ बोला – “मैं तो स्वर्ग माँगूँगा। वहाँ तो सब वैसे ही उपलब्ध है।”

उनकी बातें सुन रहा एक साधु बोला – “मूर्खो! तुमसे न तपस्या होगी और न तुम्हें कोई वरदान मिलेगा। तपस्या के लिए मनोबल और तितिक्षा की आवश्यकता होती है और यदि तुममें वो होता तो तुम आज संसार से घबराकर भागने के बजाय अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए आगे बढ़ते।

मेरी मानो तो वापस लौटकर प्राणिमात्र की सेवा में लग जाओ, वही सच्ची साधना है।” युवकों को अपनी भूल का भान हुआ और वे घर वापस लौटकर सेवा धर्म में निरत हो गए।

5. विवेकवान और संयमी

Moral Stories In Hindi For Class 10 – असुरों ने अपने बुद्धि-कौशल व कूटनीति से देवताओं को इक्कीस बार पराजित किया और प्रत्येक बार इंद्रासन पर प्रतिष्ठित हुए, किंतु हर बार वे दीर्घकाल तक देवलोक के स्वामी न बने रह सके और अंततः स्वर्ग छोड़ने के लिए विवश हुए।

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देवर्षि नारद ने प्रजापति ब्रह्मा से पूछा –“तात! विजयी होने पर भी असुर इंद्रासन पर अपना अधिकार क्यों न रख सके ?” ब्रह्मा ने उत्तर दिया – “पुत्र! छल व छद्म से ऐश्वर्य तो प्राप्त किया जा सकता है,

परंतु उसका उपभोग विवेकवान एवं संयमी पुरुष ही कर पाते हैं। संयम की उपेक्षा करने वाले असुर जीतने पर भी इंद्रासन पर एकाधिकार कैसे कर सकते थे

6. परमार्थ का पथ ( The Path of Charity )

राजा वृषमित्र से मिलने ऋषि प्रकीर्ण पहुँचे। राजा ने ऋषि को अपना राजकोश दिखाया। खजाने में अनेकानेक हीरे-मोती थे। ऋषि ने राजा से प्रश्न किया-“महाराज! इन हीरे-जवाहरातों से आपको कितनी आय होती है ?”

राजा ने उत्तर दिया- “ऋषिवर ! इनसे कुछ आय तो नहीं होती, पर इनकी सुरक्षा में व्यय जरूर होता है।” ऋषि प्रकीर्ण में राजा वृषमित्र को एक गरीब किसान की झोंपड़ी में ले गए और वहाँ रखी चक्की दिखाते हुए बोले – “महाराज !

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मणि-माणिक्य भी पत्थर हैं और ये चक्की भी, पर चक्की पीसती है तो उससे पूरे परिवार का पोषण होता है। झूठे अहंकार की रक्षा के लिए रखे गए हीरे जवाहरात राज्य की संपदा पर भार हैं, पर ये छोटी सी चक्की बड़ी उपयोगी है।

यदि तुम्हारा धन परमार्थ में लगेगा तो यश, कीर्ति का कारण बनेगा और स्वार्थ में लिप्त होगा तो पतन का द्वार बनेगा।” ऋषि के कहे का अर्थ राजा की समझ में आ गया और उन्होंने परमार्थ के पथ पर चलने का निश्चय किया।

7. सुखी कौन रह पाता है ( Who Can be happy )

Moral Stories In Hindi For Class 10 – एक चूहे ने भगवान को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करनी प्रारंभ की। प्रसन्न हो कर भगवान प्रकट हुए तो उन्होंने चूहे से पूछा – “वत्स! तुम्हें क्या चाहिए ?” चूहा बोला ‘भगवान! आपने मेरे दाँत इतने छोटे दिए हैं। इनसे कुछ भी कुतरने में बड़ा समय लग जाता है।

आप मेरे दाँत बदल दें।” भगवान ने कहा- “तुम्हें जैसे दाँत चाहिए हों, वैसे बता दो तो मैं बदल देता हूँ।” कुछ सोच-विचार कर चूहे ने निर्णय किया कि वह हाथी जैसे दाँत लेगा, वह ही दीखने में श्रेष्ठ लगते हैं।

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भगवान के ‘तथास्तु’ कहते ही चूहे के दाँत हाथी जितने बड़े हो गए, पर वैसा होते ही उसकी कठिनाइयाँ बढ़ गईं। इतने बड़े दाँत उठा पाना उसके लिए संभव नहीं था, सो वह एक जगह ही बैठा रह गया। परेशान होकर उसने पुनः भगवान से प्रार्थना की एवं अपने पुराने दाँत ही ले लिए।

अब उसकी समझ में आया कि परमात्मा ने पहले से ही हरेक की शक्ति-सामर्थ्य निर्धारित कर रखी है और जो उसे

भगवान का अनुग्रह मानकर संतोष के साथ स्वीकार करते हैं, वे ही सुखी रह पाते हैं।

8. सफलता – Success

Moral Stories In Hindi For Class 10 – वरदराज छोटी सी उम्र का लड़का था। उसका पढ़ने में बहुत मन नहीं लगता था। कई-कई घंटे व्यतीत कर देने के बाद भी उसे कुछ याद नहीं होता था। आखिर एक दिन दुखी होकर वह घर छोड़कर भाग गया।

रात एक सराय में गुजारनी पड़ी। घर की याद कर कर के नींद नहीं आ रही थी तो उसकी दृष्टि जमीन पर उलटे पड़े एक कीड़े पर गई । कीड़ा बार-बार सीधे होने का प्रयास करता, पर फिर उलटा हो जाता।

तीस-चालीस बार प्रयत्न करने पर भी वह सीधा न हो पाया। आखिरकार उसने इकतालीसवीं बार जोर लगाया और सीधा हो गया। इस घटना का वरदराज के हृदय पर बड़ा प्रभाव पड़ा। वह तुरंत घर लौट गया और पूरे मनोयोग के साथ अध्ययन प्रारंभ किया। वही वरदराज आगे चलकर संस्कृत का उद्भट विद्वान बना ।

असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन के साथ नहीं किया गया और जब पूरे जोर के साथ प्रयास किया जाता है तो सफलता निश्चित मिलती है।

9. वीर शिवाजी – Vir Shivaji

Moral Stories In Hindi For Class 10 – बात उन दिनों की है, जब शिवाजी मुगलों के विरुद्ध छापामार युद्ध लड़ रहे थे। । एक दिन वे छिपते-छिपाते एक वनवासी बुढ़िया की झोंपड़ी पर पहुँचे और उससे भोजन की प्रार्थना की।

बुढ़िया ने प्रेमपूर्वक खिचड़ी बनाकर उन्हें परोस दी। शिवाजी को भूख बहुत जोरों से लगी थी, इसलिए जल्दी से खाने की आतुरता में उन्होंने खिचड़ी के बीच में हाथ डाल दिया और अपनी उँगलियाँ जला बैठे।

बूढ़ी महिला ने यह दृश्य देखा तो उन्हें टोकते हुए बोली – “तू दीखने में लगता शिवाजी जैसा है और काम भी उसी की तरह मूर्खता के करता है।” यह सुनकर शिवाजी स्तब्ध रह गए।

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द्वितीय अध्याय है-महर्षि पतंजलि के योग का आधार है सिद्धांत का विवेचन इस अध्याय में महर्षि पतंजलि तृतीय के व्यक्तित्व व कृतित्व का वर्णन करने के साथ उनके यौगिक प्रक्रि द्वारा दिए गए महत्त्वपूर्ण संप्रत्वयों, जैसे-पुरुष का स्वरूप, अष्टांगयोग क बंधन की अवस्था, जीवन का चरम लक्ष्य-कैवल्य का का विवेचन स्वरूप आदि का वर्णन करने के साथ कैवल्य की प्रक्रिया गया है।

Moral Stories In Hindi For Class 10 – मह एवं उपर्युक्त मान्यताओं के आधार का विवेचन किया है-कर्म के गया है। महर्षि पतंजलि ने जिन योग सिद्धांतों के अंतर्गत इसमें तप, स बंधन, मोक्ष तथा कैवल्य के स्वरूप तथा उसको साधना है। इसके पद्धतियों की चर्चा की है, उन सबका मूल आधार उनका २९वें सूत्र अष्टांग योग है।

वे कैवल्य को चित्तवृत्तियों का निरोध नियम, आ कहते हैं। चित्त में संस्कारों का होना ही बंधन का कारण समाधि। इ है और यही व्यक्ति को चित्त की अवस्था के अनुसार प्राप्त होती ज्ञानक्रांति वर्ष

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उन्होंने बूढ़ी महिला से पूछा- “मैंने हाथ जलाए तो मुझे मूर्ख कहना समझ में आया, पर शिवाजी ने क्या मूर्खता की ?” वह वृद्ध महिला बोली-“तूने किनारे का ठंडा भात खाने की जगह बीच में हाथ डाला और जला बैठा। यही मूर्खता शिवाजी की भी है।

वह मुगल साम्राज्य के दूर बसे छोटे किलों को आसानी से जीतने की जगह बड़े किलों पर हाथ डालता है और मात खा बैठता है।” बात पते की थी। शिवाजी को अपनी रणनीतिक भूल का भान हुआ। बूढ़ी महिला को धन्यवाद देते हुए वे वहाँ से निकले और अपनी सामरिक नीति दोबारा से तैयार की।

Moral Stories In Hindi For Class 10 – छोटे लक्ष्यों को निर्धारित कर उन पर विजय प्राप्त की और अंततः बड़ा मोर्चा जीतने में सफल रहे। यही नीति जीवन-संग्राम में भी साथ देती है और

जो छोटे पर वास्तविक लक्ष्यों को लक्ष्य बनाकर चलते हैं, वे उन्हें जीतते हुए अंततः जीवन में बड़े उद्देश्यों को पूर्ण करने में सफल रहते हैं।

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10. राजा कीर्ति सिंह – The King Kirti Singh

Moral Stories In Hindi For Class 10 – राजा कीर्ति सिंह जंगल में आखेट हेतु निकले। जंगल में उन्हें कुछ पेड़ मिले जहाँ निशाने के गोले के बीचोबीच तीर गड़ा हुआ था। दस-बारह ऐसे ही तीर देखने के बाद कीर्ति सिंह के मन में उत्सुकता हुई कि उस व्यक्ति से मिला जाए, जो इतना श्रेष्ठ धनुर्धर है कि उसका निशाना हमेशा लक्ष्य के मध्य में ही लगता है।

कुछ दूरी पर उन्हें एक व्यक्ति मिला, जो गायें चरा रहा था। उन्होंने उससे प्रश्न किया कि वो तीर किसके हैं ? गायें चराते व्यक्ति ने उत्तर दिया कि वह ही वो धनुर्धर है, जिसके तीर वहाँ पेड़ों में लगे हुए हैं।

राजा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। उसने बिना उसके कथन की जाँच-पड़ताल किए उसे अपने साथ राज्य लौटने को कहा और वहाँ पहुँचकर उसे राज्य का सेनापति बनाने की घोषणा कर दी।

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राजा की आज्ञा से राज्य भर में मुनादी पिटवा दी गई कि राज्य के नए सेनापति अपनी तीरंदाजी का प्रदर्शन करेंगे। हजारों लोग प्रदर्शन देखने के लिए एकत्र भी हो गए।

जब उस व्यक्ति से प्रदर्शन दिखाने को बोला गया तो उसे धनुष पर तीर चढ़ाना भी नहीं आता था। अब राजा के क्रोध का ठिकाना न था। उसने उस व्यक्ति से पूछा- “क्यों तुम तो कह रहे थे कि वो तीर तुम्हारे ही हैं, फिर ये झूठ क्यों बोला?”

Moral Stories In Hindi For Class 10 – वह व्यक्ति बोला ‘महाराज! वो तीर तो मेरे ही थे, पर आपने ये पूछा ही नहीं कि मैंने निशाना कैसे लगाया ? मैं तो केवल पेड़ों पर तीर गाड़ देता था और उसके चारों ओर गोला खींच देता था। धनुर्धरी तो मैंने कभी सीखी ही नहीं।” सत्यता पता चलने पर राजा के पास अपनी भूल पर पछताने के अतिरिक्त कोई और मार्ग न था।

बिना सही बात जाने, कार्य करने वाले सदा हँसी के पात्र बनते हैं।

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