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Top 8 Best Moral Stories In Hindi For Class 3 And 10

महर्षि जाबालि – Moral Stories In Hindi For Class 3

Moral Stories In Hindi For Class 3 – महर्षि जाबालि ने पर्वत पर ब्रह्मकमल खिला देखा तो उसकी शोभा और सुगंध पर मुग्ध होकर ऋषि सोचने लगे कि उसे शिव जी के चरणों में चढ़ने का सौभाग्य प्रदान किया जाए। ऋषि को समीप आया देखकर पुष्प प्रसन्न तो हुआ, पर साथ ही आश्चर्य व्यक्त करते हुए आगमन का कष्ट उठाने का कारण भी पूछा। जाबालि बोले – “तुम्हें शिव सामीप्य का श्रेय देने की इच्छा हुई तो अनुग्रह के लिए तोड़ने आ पहुँचा।”

यह सुनकर पुष्प की प्रसन्नता खिन्नता में बदल गई। उसकी उदासी का कारण महर्षि ने पूछा तो फूल ने कहा- “शिव सामीप्य का लोभ संवरण न कर सकने वाले कम नहीं। फिर देवता को पुष्प जैसी तुच्छ वस्तु की न तो कमी है और न इच्छा।

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Maharshi Jabali Image – महर्षि जाबालि

ऐसी दशा में यदि मैं तितलियों-मधुमक्खियों जैसे क्षुद्र कृमि-कीटकों की कुछ सेवा सहायता करता रहता तो क्या बुरा था ? आखिर इस क्षेत्र को खाद की भी तो आवश्यकता होगी, जहाँ मैं उगा और बढ़ा ?” ऋषि ने पुष्प की बेबाकी और भाव गरिमा को समझा और वे भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए, उसे यथास्थान छोड़कर वापस लौट आए।

मनुष्यकृत – Moral Stories In Hindi For Class 3

भगवान कुछ करने जा रहे हैं और विश्व की दिशा उलटने वाली है, उसे सर्वनाशी गर्त में गिरने से बचाकर उज्ज्वल भविष्य की दिशा में लौटने के लिए तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। इन दिनों सूक्ष्मजगत् में दिव्य हलचलें इसी स्तर की हो रही हैं और उनका क्रम तीव्र से तीव्रतर होता जा रहा है Moral Stories In Hindi For Class 3 – निकट भविष्य में वह तीव्रतम होने जा रहा है। वह मनुष्यकृत आंदोलन नहीं है, जो आज चले और कल ठप हो जाए।

फूल – Moral Stories In Hindi For Class 3

“बंधुवर पुष्प! लो सवेरा हुआ, माली इधर ही आ रहा है। अपनी सज्जनता, सौमनस्यता तथा उपकार की सजा भुगतने के लिए तैयार हो जाओ तात! यदि मेरी सीख मानते और कठोरता व कुटिलता का आश्रय ग्रहण किए रहते तो आज यह नौबत नहीं आती।’— काँटे ने कहा।

इस पर फूल कुछ बोला नहीं, उसकी स्थिति और भी मोहक हो उठी। माली आया, उसने फूल को तोड़ा और डलिया में रखा कांटा दर्प में हंसा, माली की वृद्ध उँगलियों में चुभा और अहंकार में ऐंठ गया। माली उसे गालियाँ बकता हुआ वापस लौट गया।

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Garderner is Coming to pluck flowers

समय बीता। एक दिन देव मंदिर में चढ़ाए उस फूल की सूखी काया को उठाकर कोई उसी वृक्ष की जड़ों के पास डाल गया। काँटे ने म्लानमुख सुमन को देखा तो हँसा और बोला ” कहो तात! अब तो समझ गए कि परोपकारी होना अपनी ही दुर्गति कराना है।”

Moral Stories In Hindi For Class 3 – फूल की आत्मा बोली-“बंधु, यह तुम्हारा अपना विश्वास है शरीरों में चुभकर दूसरों की आत्मा को कष्ट पहुंचाने के पाप के अतिरिक्त तुम अपयश के भी भागी बने। अंत तो सभी का सुनिश्चित है, किंतु अपने प्राणों को देवत्व में परिणत करने और संसार को प्रसन्नता प्रदान करने का जो श्रेय मुझे मिला, तुम उससे सदैव के लिए वंचित रह गए। मैं हर दृष्टि से फायदे में हूँ और तुम घाटे में।”

सुभाषचंद्र बोस – Moral Stories In Hindi For Class 3

कलकत्ते के प्रेसीडेंसी कॉलेज में एक भारतीय छात्र को बमुश्किल दाखिला मिला था। उस पर भी अँगरेजी के प्रोफेसर का व्यवहार यह था कि वह बात-बात में भारतीयों को अपमान भरे शब्द कहा करता था। अभी तक कोई विरोध करने वाला था नहीं। जब भारतीय छात्र का प्रवेश हो गया तो भी प्रोफेसर ने पुराना रवैया बदला नहीं।

Moral Stories In Hindi For Class 3 – आदतन एक दिन जैसे ही उन्होंने भारतीयों के प्रति अपमानजनक शब्द कहे तो उस भारतीय युवक ने यह जानते हुए भी कि वह कॉलेज से निष्कासित किया जा सकता है, प्रोफेसर साहब के गाल पर तमाचा जड़ दिया। कॉलेज से उसे निकाल दिया गया, पर उस भारतीय युवक ने कभी अन्याय के आगे सिर नहीं झुकाया। वह युवक श्री सुभाषचंद्र बोस थे।

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सुभाषचंद्र बोस – Shree Subash Chandra Bosh Image

उसके बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज में स्वतः ही भारतीयों की निंदा बंद हो गई। वस्तुतः अनीति को पनपने न दिया जाए, तो वह नष्ट होती ही है।

सुख-साधन – Moral Stories In Hindi For Class 3

अपने सुख-साधन जुटाने की फुरसत किसे है? विलासिता की सामग्री जहर सी लगती है, विनोद और आराम के साधन जुटाने की बात कभी सामने आई तो आत्मग्लानि ने उस क्षुद्रता को धिक्कारा, जो मरणासन्न रोगियों के प्राण बचा सकने में समर्थ पानी के एक गिलास को अपने पैर धोने की विडंबना में बिखेरने के लिए ललचाती है।

Moral Stories In Hindi For Class 3 – भूख से तड़पते प्राण त्यागने की स्थिति में पड़े हुए बालकों के मुख में जाने वाला ग्रास छीनकर माता कैसे अपना भरा पेट और भरे ? दरद से कराहते बालक से मुँह मोड़कर पिता कैसे ताश-शतरंज का साज सजाए ? ऐसा कोई निष्ठुर ही कर सकता है।

आत्मवत् सर्वभूतेषु की संवेदना जैसे ही प्रखर हुई, निष्ठुरता उसी में गल जलकर नष्ट हो गई। जी में केवल करुणा ही शेष रह गई, वही अब तक जीवन के इस अंतिम अध्याय तक यथावत् बनी हुई है। उसमें रत्ती भर भी कमी नहीं हुई, बस, दिन-दिन बढ़ोत्तरी ही होती गई।

महर्षि कणाद – Moral Stories In Hindi For Class 3

महर्षि कणाद वेदों के प्रकांड विद्वान व परम तेजस्वी एवं निरासक्त ऋषि थे। एक बार राजा उदावर्त उनसे ब्रह्मविद्या का ज्ञान लेने पहुँचे और उनके समक्ष सहस्त्रों स्वर्णमुद्राएँ रखकर उनसे ज्ञान देने का आग्रह करने लगे। महर्षि बोले- “राजन् ! इन मुद्राओं का मूल्य मेरी निगाह में कूड़े के समान है।

अध्यात्म का ज्ञान पाने के लिए धनबल की नहीं, तपबल की आवश्यकता होती है। आप संयम, शील व सदाचार के व्रत का पालन करें और उचित अवधि के बाद शिष्य के रूप में यहाँ लौटें तो ज्ञान के अधिकारी बनेंगे।”

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महर्षि कणाद – Maharshi Kanad Talking To King

Moral Stories In Hindi For Class 3 – यह सुनकर राजा को क्रोध आ गया व आक्रोश में वे कुछ बोलने ही वाले थे कि उनके मंत्री ने उन्हें समझाया – “ऋषि कणाद तपस्या, निरासक्ति व वैराग्य की साक्षात् प्रतिमा हैं। उनके प्रति दुर्भाव रखकर आप पाप के भागी बनेंगे।” बात उदावर्त की समझ में आ गई।

उन्होंने लंबे समय तक पंच महाव्रतों का पालन किया और फिर श्रद्धा भाव से महर्षि कणाद के समक्ष प्रस्तुत हुए। तब जाकर राजा उदावर्त ब्रह्मविद्या के ज्ञान को पाने के लिए सुपात्र बन सके।

ईश्वरचंद्र विद्यासागर – Moral Stories In Hindi For Class 3

प्रसिद्ध लोकसेवी ईश्वरचंद्र विद्यासागर गरमी की छुट्टियों में अपने गाँव गए। रेल के तीसरे दरजे से स्टेशन पर उतरे तो उनके पीछे कॉलेज का एक छात्र भी उतरा। वह छात्र अपना सामान जमीन पर रखकर कुली को आवाजें लगाने लगा। कोई कुली वहाँ नहीं पहुंचा तो वह छात्र व्यथित होने लगा।

उसी समय ईश्वरचंद्र विद्यासागर उसके पास पहुंचे और शांत भाव से उसका सामान उठाकर रेलवे स्टेशन के बाहर पहुँचा दिया। उस युवक ने उन्हें पैसे देने का प्रयास किया तो विद्यासागर ने विनम्रता से वह पैसे लेने से इनकार कर दिया।

ईश्वरचंद्र विद्यासागर

शाम को गाँव में उनके सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। हजारों लोग ईश्वरचंद्र विद्यासागर को सुनने पहुंचे, उनमें से एक वह नवयुवक भी था। उसने जब ईश्वरचंद्र विद्यासागर को व्याख्यान देते हुए सुना तो वह ग्लानि से भर उठा कि उसने इतने बड़े महापुरुष से अपना सामान उठवाया। मन में क्षोभ लिए वह विद्यासागर जी के पास पहुँचा और उनके चरणों में अपना सिर रख दिया।

Moral Stories In Hindi For Class 3 – ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने उसे ऊपर उठाते हुए कहा- “बेटा! क्षमा मुझसे माँगने की आवश्यकता नहीं, वो तो तुम परमात्मा से माँगो, जिसने तुम्हें मनुष्य शरीर दिया। यह शरीर श्रम करने के लिए मिला है और श्रम करने से कोई मनुष्य छोटा नहीं हो जाता।

जो अपना कार्य स्वयं करता है, स्वावलंबी बनता है; संसार-समर में वही विजयी होता है।” युवक की समझ में श्रम का मूल्य आ गया था और उसने वह शिक्षा जीवन भर अपनाई।

जीवन – Moral Stories In Hindi For Class 3

चंद्रदेव ने सूर्यदेव से पूछा- “सूर्यदेव ! परमात्मा ने मनुष्य को सर्वगुणसंपन्न बनाया है। उसे अपनी अंतरात्मा का एक अंश भी माना है। बहुत से ऋषि-मुनि तो उसे परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ राजकुमार कहकर पुकारते हैं, फिर मनुष्य के इस मायाजाल में उलझने का क्या कारण है ?”

सूर्यदेव ने उत्तर दिया- “चंद्रदेव ! मनुष्य एक जन्म को ही संपूर्ण जीवन मान बैठता है और यथासंभव शौक-मौज करने को आतुर होता है और इसीलिए अपने जीवन को अंधकारमय बनाता है। यदि मनुष्य अपने जीवन का लक्ष्य ‘खाओ पियो और मौज करो’ के अतिरिक्त कुछ और रखे और अपना उद्देश्य ईश्वर के सच्चे सहायक और सहयोगी बनने में और उसकी सृष्टि को सुंदर, समुन्नत बनाने में माने, तो कोई कारण नहीं कि वह इस मायाजाल से अपने को मुक्त न कर सके।” चंद्रदेव की शंका का समाधान हो गया।

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